मणिपुर: इनर लाइन परमिट प्रणाली की समीक्षा करेगी सरकार, समिति गठित

आईएलपी वाले राज्यों में जाने के लिए देश के दूसरे राज्यों के लोगों को अनुमति लेनी होती है. मणिपुर सरकार ने 30 नवंबर को एक छापेमारी में इंफाल पश्चिम ज़िले में असम के रहने वाले 29 लोगों के पकड़े जाने के बाद इस प्रणाली की समीक्षा के लिए एक राज्य स्तरीय समिति गठित की है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: मणिपुर सरकार ने इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए सोमवार को एक राज्य स्तरीय समिति गठित की, जिसके अनुसार 29 लोगों को दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए आईएलपी जारी किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (30 नवंबर) को की गई छापेमारी के दौरान इंफाल पश्चिम जिले के मायांग इंफाल में 29 लोगों को पकड़ा गया.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि छापेमारी एक ख़ुफ़िया सूचना के बाद की गई थी कि बांग्लादेशियों का एक समूह अवैध रूप से राज्य में घुस आया है, लेकिन सभी 29 लोग असम के निवासी निकले.

बीरेन सिंह ने कहा, ‘29 व्यक्ति आईएलपी की श्रमिक श्रेणी के तहत एक बेकरी में काम कर रहे थे- जिसे डिप्टी कमिश्नर, इंफाल पश्चिम के माध्यम से सत्यापन करने पर पाया गया कि उन्हें मणिपुर आईएलपी दिशानिर्देश, 2019 के अनुपालन में जारी नहीं किया गया था. प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, हमने परमिट जारी करने वाले अधिकारी की पहचान कर ली है.’

ज्ञात हो कि आईएलपी व्यवस्था वाले राज्यों में देश के दूसरे राज्यों के लोगों सहित बाहरियों को अनुमति लेनी पड़ती है.

आईएलपी दिशानिर्देश, 2019 (2022 में संशोधित) के अनुसार, लेबर परमिट किसी ठेकेदार/फर्म/कंपनी/या निर्माण कार्य में लगे व्यक्ति द्वारा लाए गए मजदूरों के समूह या व्यक्तिगत मजदूरों को एक निश्चित अवधि के लिए जारी किया जाता है. इस मामले में व्यक्तियों को राज्य के किसी भी स्थायी निवासी के प्रायोजन के अधीन नियमित आईएलपी प्रदान किया जाना चाहिए.

सिंह ने बताया कि 29 व्यक्तियों को जारी किया गया परमिट रद्द कर दिया गया है और उन्हें उनके राज्य वापस भेज दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि गृह विभाग ने जिला प्रशासन और डिप्टी लेबर कमिश्नर को विस्तृत जांच करने और चूक के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने को कहा है.

इस बीच, राज्य स्तरीय समीक्षा समिति में गृह विभाग के आयुक्त, यूआईडीएआई के अध्यक्ष और प्रतिनिधि तथा मुख्य निर्वाचन अधिकारी आदि शामिल होंगे. समिति को 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.

लोगों से समिति के साथ सहयोग करने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राज्य वर्तमान में एक ऐसे संकट से जूझ रहा है जो अवैध आवाजाही का परिणाम है. ऐसे महत्वपूर्ण समय में हम समाज के हर वर्ग से ईमानदार होने का आग्रह करते हैं.’

मालूम हो कि अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के बाद मणिपुर चौथा राज्य है जहां पर आईएलपी को लागू किया गया है.

बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर नियमन 1873 के अंतर्गत आईएलपी व्यवस्था लागू की गई थी. बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर नियमन 1873 की धारा दो के तहत अन्य राज्यों के नागरिकों को इन तीनों राज्यों में जाने के लिए आईएलपी लेना पड़ता है.

आईएलपी व्यवस्था का मुख्य मकसद मूल आबादी के हितों की रक्षा के लिए तीनों राज्यों में अन्य भारतीय नागरिकों की बसाहट को रोकना है.