नई दिल्ली: कई दिनों की अटकलों के बाद आखिरकार बुधवार (4 दिसंबर) को भाजपा की बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लग गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, फडणवीस का नाम नवनिर्वाचित विधायकों के सामने रखा गया और उनकी मंजूरी के बाद इस पद के लिए उनका नाम फ़ाइनल कर दिया गया.
निर्मला सीतारमण, विजय रूपानी, चंद्रशेखर बावनकुले समेत कई भाजपा नेताओं ने फडणवीस के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस फैसले की घोषणा की.
🕐 दु. १.०५ वा. | ४-१२-२०२४📍मुंबई.
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— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) December 4, 2024
यह फडणवीस का तीसरा कार्यकाल होगा, इससे पहले वे 2014 से 2019 तक पांच साल और उसके बाद सिर्फ 80 घंटे के लिए सीएम रह चुके हैं. नागपुर दक्षिण पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित विधायक फडणवीस पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं.
नागपुर के पूर्व महापौर फडणवीस लगातार पांच बार विधायक चुने गए हैं.
क्यों हुई इतनी देरी?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम 23 नवंबर को ही आ गए थे, लेकिन माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के विरोध के कारण भाजपा चाहकर भी फडणवीस के नाम की घोषणा नहीं कर पा रही थी. पिछले ढाई साल से शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता शिंदे ही राज्य की कमान संभाल रहे हैं.
हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, जबकि शिंदे की सेना को 57 सीटें मिलीं. महायुति में उनकी तीसरी सहयोगी, अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटें जीतीं. मराठा नेता शिंदे कथित तौर पर नागपुर के ब्राह्मण फडणवीस के अधीन काम करने के लिए तैयार नहीं थे.
शिंदे द्वारा भाजपा के उम्मीदवार को खुले तौर पर अस्वीकार करने से पार्टी मुश्किल स्थिति में आ गई थी, जिससे उसे सीएम पद के लिए गैर-ब्राह्मण मराठा नेता पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से पिछले 10 दिनों में कई नाम चर्चा में रहे हैं.
शिंदे का क्या कहना है?
शिंदे ने पिछले सप्ताह कई प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दावा किया कि गठबंधन में असंतोष की बात मीडिया द्वारा गढ़ा गया है और उन्होंने हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लिए गए निर्णय का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की है.
शिंदे, जो कथित तौर पर हाल के दिनों में अस्वस्थ रहे हैं, उन्होंने पूर्व-निर्धारित बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया और अपने गृहनगर सतारा लौट गए. शिंदे ने कथित तौर पर भाजपा से नई सरकार में प्रमुख विभागों की मांग की थी, हालांकि उन्होंने इन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है.
फडणवीस की नियुक्ति को अंतिम रूप दिए जाने से पहले ही भाजपा ने 5 दिसंबर को मुंबई के आज़ाद मैदान में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने का फैसला किया था. पार्टी की इस घोषणा को शिंदे पर भाजपा के फैसले को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के तौर पर देखा गया.