नई दिल्ली: वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में शुक्रवार को बड़ी संख्या में छात्रों ने संस्थान के परिसर में स्थित एक मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को भगवा झंडे लेकर और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए करीब 500 छात्र कॉलेज के गेट पर एकत्र हुए.
हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि वहां पहले से बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस बल ने उन्हें कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया.
यह घटनाक्रम कॉलेज में तनाव के कुछ दिनों बाद हुआ है, जब मंगलवार (3 दिसंबर) को छात्रों के एक समूह ने मस्जिद के पास नमाज अदा करते समय हनुमान चालीसा का पाठ किया, जिसके बाद पुलिस ने कुछ समय के लिए सात लोगों को हिरासत में लिया था.
पूर्व छात्र संघ नेता विवेकानंद सिंह ने कहा कि चूंकि मजार की जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है, इसलिए इसे परिसर से हटा दिया जाना चाहिए.
सिंह ने कहा, ‘कॉलेज के छात्रों और पूर्व छात्रों ने मिलकर परिसर से मजार को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन पुलिस ने हमें कॉलेज में घुसने नहीं दिया. अगर मजार पर नमाज पढ़ी जा सकती है तो छात्रों को वहां हनुमान चालीसा का पाठ करने की भी इजाजत मिलनी चाहिए.’
उधर, सहायक पुलिस आयुक्त (कैंट) विदुष सक्सेना ने कहा, ‘कॉलेज के गेट पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया था. छात्रों का एक समूह अपनी बात कहने आया था, जिसमें से कुछ थोड़े आक्रामक हो गए थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें शांत कर दिया.’
हनुमान चालीसा-नमाज़ विवाद के बाद परिसर में ‘बाहरियों’ के प्रवेश पर प्रतिबंध
इससे पहले मंगलवार को कॉलेज में उभरे तनाव के बीच पुलिस ने गुरुवार को बाहरी लोगों के कैंपस में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया और केवल वैध पहचान पत्र वाले छात्रों को ही अंदर जाने की अनुमति दी.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम मंगलवार (3 दिसबंर) को मस्जिद के पास नमाज़ के दौरान छात्रों द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद हुए उपद्रव के बाद उठाया गया था.
छात्र नेता विवेकानंद सिंह ने गुरुवार को बताया था, ‘पुलिसकर्मी कॉलेज गेट पर तैनात हैं और पहचान पत्र की जांच कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई बाहरी व्यक्ति परिसर में प्रवेश न कर सके. छात्रों का एक समूह भी गेट पर निगरानी कर रहा है.’
उन्होंने कहा कि गुरुवार को कोई भी नमाज अदा करने नहीं आया और शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरती गई.
तनाव तब उत्पन्न हुआ जब छात्रों ने कॉलेज परिसर में अनधिकृत प्रवेश की चिंता का हवाला देते हुए मस्जिद में ‘बाहरी लोगों’ द्वारा नमाज अदा करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि कॉलेज प्रबंधन ने प्रशासन से संपर्क कर परिसर में प्रवेश करने वालों के सत्यापन की मांग की है तथा पुलिस आगे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए सतर्क है.
संबंधित घटनाक्रम में कॉलेज के छात्रों ने एक ‘छात्र अदालत’ का गठन किया है और उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड को 11-सूत्रीय पत्र भेजा है, जिसमें मस्जिद की स्थिति और उसके स्वामित्व के बारे में 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है.
हालांकि अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को ही मस्जिद की स्थिति की जांच के लिए उत्तर प्रदेश केंद्रीय वक्फ बोर्ड को पत्र लिखा था और उत्तर प्रदेश केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताने वाला उसका 2018 का नोटिस 18 जनवरी, 2021 को रद्द कर दिया गया था. मौजूदा विवाद का कोई कारण नहीं है.
पीटीआई के अनुसार, इससे पहले उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कॉलेज परिसर में स्थित मस्जिद और उसके आसपास की जमीन पर वक्फ की संपत्ति होने का दावा किया था, जिसे कॉलेज प्रशासन ने खारिज कर दिया था.
प्रिंसिपल डीके सिंह ने पहले कहा था कि उदय प्रताप कॉलेज को 2018 में एक नोटिस भेजा गया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसके परिसर में स्थित मस्जिद और कॉलेज की जमीन टोंक के नवाब द्वारा वक्फ बोर्ड को दान की गई थी और इसलिए कॉलेज परिसर वक्फ की संपत्ति है.
सिंह ने कहा, ‘नोटिस वाराणसी निवासी वसीम अहमद खान की ओर से आया था. कॉलेज के तत्कालीन सचिव ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई थी और कॉलेज की संपत्ति एक ट्रस्ट की है जिसे न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है.’
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड ने 2022 में मस्जिद बनाने की कोशिश की थी, लेकिन कॉलेज प्रशासन की शिकायत के बाद पुलिस ने इसे रोक दिया. प्रिंसिपल ने यह भी आरोप लगाया कि मस्जिद कॉलेज से बिजली चोरी कर रही है.
पुलिस उपायुक्त (वरुणा जोन) सीके मीणा ने कहा कि यह विवाद 2022 का है, जब कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर मस्जिद का निर्माण रोक दिया गया था.
कॉलेज का इतिहास
उदय प्रताप कॉलेज 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक प्रसिद्ध शैक्षणिक केंद्र है. परिसर में पांच संस्थान हैं- उदय प्रताप इंटर कॉलेज, रानी मुरार कुमारी बालिका इंटर कॉलेज, उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, एक प्रबंधन कॉलेज और एक स्वायत्त कॉलेज, जिनमें 17,000 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं.
इसकी स्थापना 1909 में राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव ने हेवेट क्षत्रिय हाई स्कूल के रूप में की थी और 1921 में इसे इंटरमीडिएट कॉलेज में बदल दिया गया, जब इसका नाम बदलकर उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज वाराणसी कर दिया गया. 1949 में इसे डिग्री कॉलेज का दर्जा मिला.
परिसर के अंदर मस्जिद 0.06 एकड़ भूमि पर स्थित है.
प्रिंसिपल ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि यह मुद्दा अब क्यों उठाया जा रहा है, क्योंकि मस्जिद यहां लंबे समय से मौजूद है और इसका दो बार जीर्णोद्धार किया गया था, सबसे ताजा जीर्णोद्धार में 2012 में हुआ था. राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, पूरी जमीन उदय प्रताप कॉलेज के नाम पर पंजीकृत है.’
उन्होंने यह भी कहा कि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के एक पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कॉलेज की जमीन से संबंधित कोई भी मुद्दा बोर्ड के पास लंबित नहीं है.
दूसरे कॉलेज में भी विवाद
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा वाराणसी में राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालय काशी विद्यापीठ के छात्रों ने भी विरोध प्रदर्शन किया.
उनका कहना है कि विश्वविद्यालय के आसपास की मस्जिदों में ‘अज़ान’ के कारण अशांति फैल रही है. छात्रों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए विश्वविद्यालय परिसर के अंदर मार्च भी निकाला.