नई दिल्लीः पिछले महीने गुजरात के पाटन के धारपुर में जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 18 वर्षीय एमबीबीएस छात्र की सीनियर्स द्वारा रैगिंग लिए जाने के बाद हुई मौत वाले मामले में गुजरात पुलिस की जांच में सामने आया है कि कॉलेज के अधिकारी कॉलेज में बड़े पैमाने पर हो रही रैगिंग से कथित तौर पर अच्छी तरह वाकिफ थे, लेकिन उन्होंने इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जांच में रैगिंग के शिकार हुए प्रथम वर्ष के 11 अन्य छात्रों के बयानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सीनियर्स नए छात्रों की रैगिंग लेते रहे और कॉलेज प्रशासन मूकदर्शक बना रहा.
हालांकि, मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ. हार्दिक शाह ने दावा किया है कि उन्हें रैगिंग की जानकारी नहीं थी.
बता दें कि गुजरात के पाटन जिले में मेडिकल कॉलेज के 18 वर्षीय छात्र की 16 नवंबर की रात को मौत हो गई थी. बताया गया था कि उनके छात्रावास में सीनियर्स द्वारा रैगिंग के दौरान कथित तौर पर उन्हें तीन घंटे तक खड़ा रखा गया था.
सुरेंद्रनगर जिले के जेसदा गांव के अनिल नटवरभाई मेथानिया पाटन के धारपुर में जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रथम वर्ष के छात्र थे.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने 18 नवंबर को सूचित किया था कि पुलिस ने कथित तौर पर रैगिंग के शिकार हुए छात्र की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज के 15 छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या और अन्य अपराधों के तहत मामला दर्ज किया गया था.
एफआईआर के अनुसार, सभी आरोपी एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र थे और उन्होंने कथित तौर पर मृतक सहित कुछ जूनियर छात्रों को 16 नवंबर की रात तीन घंटे से अधिक समय तक छात्रावास के कमरे में खड़ा रखा और उन्हें मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी.
बताया गया है कि आरोपी छात्रों को अगले आदेश तक छात्रावास और शैक्षणिक गतिविधियों से कॉलेज प्रशासन द्वारा निलंबित कर दिया गया था.