असम: एनआरसी लिंक के साथ आधार सत्यापन शुरू, सीएम ने ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ का हवाला दिया

असम में अब आधार कार्ड जारी करने के लिए एनआरसी आवेदन संख्या देनी होगी. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश से घुसपैठ चिंता का विषय है, इसीलिए हमें अपनी व्यवस्था को मजबूत करने की ज़रूरत है.

हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार असम में आधार कार्ड के लिए आवेदकों का सत्यापन शुरू करेगी और उन आवेदकों को खारिज कर देगी जिनके परिवारों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का हिस्सा बनने के लिए आवेदन नहीं किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मा ने इस साल सितंबर में एनआरसी आवेदनों के साथ आधार कार्ड को जोड़ने के फैसले की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने भविष्य में आधार कार्ड जारी करने के लिए एक मानक संचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) जारी करने का फैसला किया है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति के लिए एनआरसी आवेदन संख्या प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा, जो उन्हें 2015 में आवेदन करते समय दी गई थी.

बुधवार को हुई बैठक के बाद उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने इस संबंध में एसओपी लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग इसके क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होगी, जिसकी निगरानी जिला स्तर पर अतिरिक्त जिला आयुक्त और राजस्व मंडल स्तर पर मंडल अधिकारी करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘पिछले दो महीनों में असम पुलिस, त्रिपुरा पुलिस और बीएसएफ ने कई घुसपैठियों को पकड़ा है. यही कारण है कि बांग्लादेश से घुसपैठ हमारे लिए चिंता का विषय है. हमें अपनी व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है और इसीलिए हमने आधार कार्ड व्यवस्था को सख्त बनाने का फैसला किया है.’

उन्होंने कहा कि आवेदन किए जाने के बाद यूआईडीएआई इसे सत्यापन के लिए राज्य सरकार को भेजेगा, जिसके बाद संबंधित सर्किल अधिकारी यह जांच करेगा कि आवेदक या उनके परिवार ने एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन किया है या नहीं.

उन्होंने कहा, ‘अगर यह पाया जाता है कि एनआरसी के लिए आवेदन किया गया था, तो सर्कल अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार क्षेत्र-स्तरीय सत्यापन के लिए जाएंगे. अधिकारी के पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद आधार को मंजूरी दी जाएगी.’

एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया, जो 2019 में ‘अंतिम एनआरसी’ के प्रकाशन के बाद फिलहाल अधर में लटकी हुई है, 2015 में शुरू हुई थी. यह प्रक्रिया यह निर्धारित करने के लिए शुरू की गई थी कि क्या आवेदक 24 मार्च, 1971 से पहले राज्य में प्रवेश कर चुका था. जो लोग उस तिथि से पहले असम में प्रवेश कर चुके पाए गए, उन्हें एनआरसी में शामिल किया जाना था और उन्हें नागरिक के रूप में मान्यता दी जानी थी. जिन लोगों को एनआरसी से बाहर रखा गया था, उन्हें राज्य की विदेशी न्यायाधिकरण प्रणाली में मुकदमे का सामना करना था.

मालूम हो कि असम के नागरिकों की तैयार अंतिम सूची यानी कि अपडेटेड एनआरसी 31 अगस्त, 2019 को जारी की गई थी, जिसमें 31,121,004 लोगों को शामिल किया गया था, जबकि 1,906,657 लोगों को इसके योग्य नहीं माना गया था.  हालांकि, उस एनआरसी को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है.