यूपी: महाकुंभ को कैसे कवर करें पत्रकार? योगी सरकार ने ख़बरें लिखने के लिए 70 विषय सुझाए

मीडिया कवरेज के लिए अंग्रेजी और हिंदी में छपे यूपी सरकार के एक ब्रोशर में पत्रकारों और संपादकों को बताया गया है कि महाकुंभ 2025 को कैसे कवर किया जाए, उन्हें किस तरह की स्टोरी करनी चाहिए और इसके लिए वे किससे बातचीत करें व किसका साक्षात्कार लें.

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महाकुंभ से जुड़े कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, (बाएं) मीडिया के लिए ख़बरों के थीम वाला ब्रोशर. (फोटो साभार: UP CMO/स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: स्टोरी आइडिया संख्या 54: ‘महाकुंभ: कैसे हुई पृथ्वी के सबसे बड़े आयोजन की तैयारी.’

स्टोरी लाइन: महाकुंभ 2025 की तैयारियां 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक के साथ शुरू हुईं. तब से मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज के कई दौरे किए. आयोजन से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं तैयारियों का जायजा लिया और कई प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन किया. दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम की मेजबानी करने के लिए एक अस्थायी शहर, ‘महाकुंभ नगर’ बसाने के लिए यह जरूरी था. इस नए शहर को बनाने के लिए 50,000 से ज़्यादा मज़दूरों ने दिन-रात खुद को समर्पित कर दिया. जहां स्थायी पुल समय पर नहीं बन पाए, वहां अस्थायी चार लेन वाले स्टील पुल बनाए गए. प्रयागराज की ओर जाने वाली सड़कों को चौड़ा किया गया और तीर्थयात्रियों की आमद को ध्यान में रखते हुए उनका सौंदर्यीकरण किया गया. डबल इंजन वाली सरकार ने बेहतर तालमेल के साथ काम किया और यह सुनिश्चित किया कि रेलवे पुल और अन्य बुनियादी ढांचे इस आयोजन की मांगों को पूरा करें.

स्टोरी के लिए आवश्यक तत्व: प्रशासन/सरकार के प्रतिनिधि की बाइट, मेला प्राधिकरण के अधिकृत प्रतिनिधि की बाइट, स्थानीय लोगों की बाइट, मेला स्थल पर काम करने वालों की बाइट, स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार की बाइट.

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अगर आप सोच रहे हैं कि आपने केंद्र और उत्तर प्रदेश में ‘डबल इंजन’ वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकारों के अनुकूल किसी रिपोर्टर के निजी नोट्स पर नजर डाली है, तो आप गलत हैं.

यह उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के प्रचार विभाग द्वारा प्रकाशित ब्रोशर का एक छोटा-सा अंश मात्र है, जिसमें पत्रकारों को महाकुंभ मेला 2025 को कैसे कवर किया जाए तथा सत्तारूढ़ सरकार की उपलब्धियों का बखान कैसे किया जाए, इस बारे में जानकारी दी गई है.

‘संगम पर मानवता का सबसे बड़ा जमावड़ा – गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का संगम – एक पत्रकार का सपना होता है. संस्कृति से लेकर बुनियादी ढांचे तक, धार्मिक रंग, पर्यावरण के मुद्दों और राजनीतिक गतिविधियों तक, कुंभ मेला अपने आप में एक उल्लेखनीय अनुभव होने के अलावा पत्रकारिता की कहानियों का एक तैयार भंडार है.’

शायद पत्रकारों को विचार-विमर्श की परेशानी से बचाने के लिए आदित्यनाथ सरकार की प्रचार शाखा ने महाकुंभ मेले के इर्द-गिर्द 10 या 20 नहीं बल्कि 70 विस्तृत स्टोरी थीम तैयार की हैं. अंग्रेजी और हिंदी दोनों में छपे इस पत्र में उन्हें यह भी बताया गया है कि स्टोरी को कैसे पेश किया जाए और इसके लिए किसका साक्षात्कार लिया जाए.

यह पत्र उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक शिशिर द्वारा लखनऊ के चुनिंदा संपादकों को भेजा गया है. शिशिर ने एक कवर पत्र में कहा, ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत-महाकुंभ का महत्व जनता तक पहुंचे और लोगों में जागरूकता बढ़े यह सुनिश्चित करने के लिए मीडिया की सक्रिय भागीदारी अपरिहार्य है.’

अधिकारी ने खबरों के लिए ‘पूर्व निर्धारित विषयों’ पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया.

शिशिर ने पत्र में कहा, ‘जैसे-जैसे महाकुंभ नज़दीक आ रहा है, तत्काल प्रासंगिकता वाले कई संबंधित विषय उभरने की संभावना है. ऐसी तत्काल चिंताओं को संबोधित करने के साथ-साथ, हमारा उद्देश्य पूर्वनिर्धारित विषयों पर भी ध्यान केंद्रित करना है.’

पत्र की प्रति द वायर के पास भी है.

पत्र में यूपी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने महाकुंभ मेले से संबंधित ‘सुझाए गए विषय’ दिए हैं, जिन्हें आवश्यकतानुसार अतिरिक्त तथ्यों के साथ विस्तारित किया जा सकता है.

शिशिर ने संपादकों को संबोधित पत्र में लिखा, ‘इन विषयों को प्रमुख हस्तियों के साक्षात्कारों के माध्यम से भी समृद्ध किया जा सकता है और उनके अनुक्रम को आपकी पसंद के अनुसार संशोधित किया जा सकता है.’

पत्र में सूचीबद्ध 70 स्टोरी थीम में मेले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, इसके साधु और अखाड़े से लेकर रोज़गार पैदा करने के लिए इस उत्सव के उत्प्रेरक होने तक की बातें शामिल हैं. इसमें लॉजिस्टिक्स के आयोजन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल तकनीक की भूमिका का भी जिक्र किया गया है.

‘पवित्र डुबकी ने वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया’

सरकार इस आयोजन को ‘दिव्य भव्य डिजिटल महाकुंभ 2025’ के रूप में प्रचारित कर रही है, जिसका विषय है, ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत।’

स्टोरी आइडिया 27 में बताया गया है कि कुंभ में ‘स्नान’ या पवित्र डुबकी ने अपने लाभों से वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया.

स्टोरी लाइन इस प्रकार है:

‘महाकुंभ स्नान को लंबे समय से इसके आध्यात्मिक महत्व के लिए सम्मानित किया जाता रहा है, लेकिन अब मानव स्वास्थ्य पर इसके गहन प्रभाव ने वैज्ञानिकों को चकित कर दिया है. पृथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही है इससे अपकेंद्रीय बल यानी ऊर्जा पैदा होती है. जिसमें 11 डिग्री अक्षांश पर ऊर्जाएं ऊपर की और जाती हैं. प्राचीन गुरुओं और योगियों ने नदियों के संगम जैसे ऐसे स्थानों की पहचान शक्तिशाली स्थलों के रूप में की है, जहां शुभ दिनों पर स्नान सहित विशिष्ट अनुष्ठानों के माध्यम से मानव क्षमता को बढ़ाया जा सकता है.’

विषयवस्तु में आगे कहा गया है कि केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के शोधकर्ता 1,080 ‘कल्पवासियों’ का अध्ययन कर रहे थे ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर ‘कल्पवास’ के प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया जा सके. कल्पवास एक सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें श्रद्धालु संगम के तट पर 45 दिनों तक रंग-बिरंगे तंबुओं में तपस्या करते हैं.

यूपी सरकार के पत्र में कहा गया है, ‘विश्लेषण में 14 संकेतक शामिल हैं, जिनमें कॉर्टिसोल, डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे तनाव और खुशी के हार्मोन का स्तर शामिल है. वैज्ञानिक सूक्ष्मजीवों के आदान-प्रदान की भी जांच कर रहे हैं जो तब होता है जब हज़ारों लोग लगातार स्नान करते हैं, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो एंटीबॉडी उत्पादन को उत्तेजित करके प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है.’

इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा नदी के पानी और मिट्टी के नमूने उनके भौतिक, रासायनिक और सूक्ष्मजीवविज्ञानी गुणों का अध्ययन करने के लिए एकत्र किए जा रहे हैं, जबकि बड़े पैमाने पर धार्मिक सभा के भू-खगोलीय महत्व की भी समीक्षा की जा रही है. इस व्यापक शोध का उद्देश्य महाकुंभ स्नान से जुड़ी प्राचीन प्रथाओं को वैज्ञानिक मान्यता प्रदान करना है.’

सरकार के अनुसार, इस खबर को सफलतापूर्वक लिखने के लिए एक पत्रकार को जीवविज्ञानियों, आध्यात्मिक गुरुओं, कल्पवासियों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा खगोलविदों से भी बात करने की जरूरत होगी.

रोजगार और डिजिटल क्रांति

थीम नंबर 22 ‘रोजगार भरमार: महाकुंभ की महिमा अपरम्पार’ पर आधारित है. मेले में रोजगार सृजन और कौशल विकास में ‘राज्य सरकार की सकारात्मक भूमिका को उजागर करने वाली’ स्टोरी पेश करती है.

एक अन्य थीम का शीर्षक है ‘नए भारत का महाकुंभ’ तथा इसमें ‘डिजिटल क्रांति का सूत्रपात’ पर चर्चा की गई है.

इस स्टोरी में महाकुंभ 2025 ऐप और वेबसाइट के बारे में बताया जाएगा और बताया जाएगा कि किस तरह से वे तीर्थयात्रियों को यात्रा और सेवाओं और सुविधाओं की उपलब्धियों के बारे में आसानी से सुलभ जानकारी प्रदान करेंगे. ऐप में एक बहुभाषी चैटबॉट, सहायक होगा, जो 11 भाषाओं में प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम है.

ऐसे में सीधा सवाल है कि राज्य सरकार की क्या अपेक्षा होगी कि इस खबर को किस तरह से कवर किया जाना चाहिए? जवाब बेहद आसान है- सारा श्रेय उसे देते हुए.

सरकारी स्टोरी मैनुअल में कहता है,

‘इस बात पर प्रकाश डालें कि डिजिटल आयोजन के रूप में 2025 का महाकुंभ पिछले कुंभों से किस तरह अलग है और इस बदलाव का श्रेय राज्य सरकार को क्यों दिया जाना चाहिए. इस स्टोरी में डेमो सीक्वेंस द्वारा समर्थित क्यूआर कोड और अन्य तकनीकी नवाचारों के उपयोग के संदर्भ शामिल होने चाहिए.’

‘मुगलों को चौंका दिया’

पत्र में जूना अखाड़े और नागा साधुओं के बारे में भी स्टोरी आइडिया बताया गया है.

‘जूना अखाड़ा: विश्वासघात से उभरना’ जूनागढ़ के निज़ाम के ‘विश्वासघात’ की कहानी बताता है, जिसमें भैरव अखाड़े के सदस्यों को ‘शांति वार्ता’ के दौरान ज़हर दिया गया था, जब निज़ाम ने उन्हें हरा दिया था. दस्तावेज़ में कहा गया है कि उस ज़हर से बचे लोगों ने बाद में जूना अखाड़ा का गठन किया.

‘नागा साधु: सनातन धर्म की आरक्षित सेना’ नामक थीम में मुगलों के खिलाफ युद्धों और झड़पों में उनकी भागीदारी के बारे में बताया गया है.

यूपी सरकार के अनुसार, स्टोरी कुछ इस प्रकार है:

‘नागा साधु एक अद्वितीय सैन्य संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो एक सैन्य रेजिमेंट की तरह संरचित है, जिसका प्राथमिक मिशन राष्ट्र और धर्म की रक्षा करना है. उनकी वीरता इतिहास में अंकित है, जैसा कि मुगलों के खिलाफ युद्ध में महाराणा प्रताप का समर्थन करते हुए देखा गया, जिससे आक्रमणकारी दंग रह गए. उनके बलिदान का प्रमाण राजस्थान के पंचमहुआ क्षेत्र में चपली तालाब और रणकारा घाट के पास समाधि (स्मारक) के रूप में मौजूद है, जहां कई नागा साधुओं ने अपने प्राण त्यागे थे. इसी तरह, जब औरंगजेब ने बनारस में विश्वनाथ मंदिर पर हमला किया, तो महानिर्वाणी दशनामी अखाड़े के साधुओं ने इसकी रक्षा के लिए कदम आगे बढ़ाया.’

सरकार का अनुमान है कि अगले महीने शुरू होने वाले महाकुंभ मेले 2025 में 45 करोड़ से ज़्यादा लोग शामिल होंगे. यह मेला 4,000 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा.

एक अन्य स्टोरी का विषय कुंभ को ‘लाखों युवाओं के लिए सफलता का मंत्र खोजने का सुनहरा अवसर’ के रूप में प्रचारित करना है. इसमें स्वयंभू गुरु मोरारी बापू, जग्गी वासुदेव, धीरेंद्र शास्त्री और श्री श्री रविशंकर के साक्षात्कार शामिल हैं.

आइडिया संख्या 51 में एक स्टोरी प्रस्तावित की गई है कि किस प्रकार कुंभ में आने वाले विदेशी और घरेलू पर्यटक अयोध्या में राम मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में भी जाते हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)