नई दिल्ली: सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार (18 दिसंबर) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव से मुलाक़ात की.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, कॉलेजियम ने जस्टिस यादव द्वारा हाल ही में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में दिए गए विवादित भाषण को लेकर कहा कि उसे देने से बचा जा सकता था.
अख़बार के मुताबिक, यह मुलाकात करीब तीस मिनट की थी, हालांकि इसकी विस्तृत जानकारी अभी सामने नहीं आई है.
ज्ञात हो कि जस्टिस यादव ने 8 दिसंबर को विहिप के कार्यक्रम में कहा था कि भारत केवल ‘बहुसंख्यक समुदाय’ की इच्छानुसार चलेगा. उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए ‘कठमुल्ला’ जैसे आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करते हुए सांप्रदायिक भाषण दिया था. यादव ने यह भी कहा था कि मुस्लिम बच्चे हिंसा और पशु वध देखते हुए बड़े होते हैं, इसलिए उनमें सहिष्णुता और उदारता नहीं होती.
महाभियोग का नोटिस
जस्टिस यादव के इस बयान पर विपक्षी सांसदों ने 13 दिसंबर को उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस दायर किया था. इसमें 55 सांसदों के हस्ताक्षर शामिल हैं, जिनमें कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह, मनोज झा और साकेत गोखले जैसे नाम प्रमुख हैं.
सिब्बल ने कहा था, ‘यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि संविधान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा का मुद्दा है.’
योगी आदित्यनाथ का समर्थन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 दिसंबर को जस्टिस यादव के बयान का समर्थन करते हुए इसे ‘सत्य’ बताया. उन्होंने विपक्ष पर संविधान को ‘गला घोंटने’ का आरोप लगाया और कहा कि विहिप एक सामाजिक–सांस्कृतिक संगठन है.
सुप्रीम कोर्ट ने लिया है संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को इस मामले का संज्ञान लेते हुए कहा था कि ‘यह मामला उनकी नज़र में है.’ कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटबिलिटी एंड रिफॉर्म्स ने इस मुद्दे पर ‘इन–हाउस जांच’ की मांग की थी.
वामपंथी नेता वृंदा करात ने जस्टिस यादव के बयान को उनके शपथ का उल्लंघन बताया और कहा कि ऐसे जज से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग न्याय की उम्मीद नहीं कर सकते.