छत्तीसगढ़: चावल चोरी के संदेह में दलित व्यक्ति को पेड़ से बांधकर पीटा, मौत

रायगढ़ ज़िले में 22 दिसंबर को चावल चोरी के संदेह में दलित व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या करने के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति समेत तीन को गिरफ़्तार किया है. कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह मॉब लिंचिंग का मामला है, जबकि पुलिस ने कहा कि यह बीएनएस के तहत अपराध की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रबर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में रविवार (22 दिसंबर) की सुबह चावल चोरी के संदेह में दलित व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या करने के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया.

कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह मॉब लिंचिंग का मामला है, जबकि पुलिस ने कहा कि यह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अपराध की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना डुमरपल्ली गांव में रात करीब 2 बजे हुई. पुलिस को दिए गए अपने बयान के अनुसार, मामले के मुख्य संदिग्ध 50 वर्षीय वीरेंद्र सिदार ने कहा कि वह किसी शोर से जाग गया था और उसने पीड़ित पंचराम सारथी उर्फ ​​बुटू को अपने घर में घुसते और चावल की बोरी चुराने की कोशिश करते देखा. गुस्से में आकर उसने अपने पड़ोसियों अजय प्रधान (42), और अशोक प्रधान (44) को बुलाया और तीनों ने मिलकर सारथी को एक पेड़ से बांध दिया.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, गांव के सरपंच ने सुबह पुलिस को सूचना दी और जब सुबह 6 बजे पुलिस वहां पहुंची तो उन्होंने सारथी को बेहोश पाया और वह उस वक़्त तक पेड़ से बंधा हुआ था. पुलिस सूत्रों का दावा है कि उसे डंडों और लात-घूंसों से पीटा गया.

गिरफ्तार किए गए तीनों लोगों पर बीएनएस की धारा 103 (1) के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अब मामले में और लोगों की संलिप्तता की जांच कर रही है.

इस बीच, यह मामला अब विवादों में घिर गया है और कार्यकर्ताओं ने मामले में भीड़ द्वारा हत्या के प्रावधान को लागू करने की मांग की है.

बीएनएस की धारा 103 (2) में भीड़ द्वारा हत्या को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, ‘जब पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत आस्था या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा.’

वकील और सामाजिक कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने अखबार से कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस पर हमला करने के पीछे क्या कारण था. क्या वे कानून अपने हाथ में ले सकते हैं? यह मॉब लिंचिंग का मामला है.’

लेकिन अखबार द्वारा संपर्क करने पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामला ‘बीएनएस की धारा 103 (2) में उल्लिखित मानदंडों को पूरा नहीं करता है.’