नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्यावरण और वन को लेकर अपनी ‘कथनी’ और ‘करनी’ में अंतर का आज एक और सबूत दे रहे हैं, क्योंकि यह पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए गंभीर खतरा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (25 दिसंबर) को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखी.
कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज प्रधानमंत्री पर्यावरण और वन मामलों पर अपनी ‘कथनी’ और ‘करनी’ के बीच के अंतर का एक और सबूत दे रहे हैं. केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना, जिसका वे आज आधारशिला रख रहे हैं, मध्य प्रदेश में जैव विविधता से भरपूर पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए गंभीर खतरा है.’
रमेश ने कहा, ‘पन्ना की कहानी अपने आप में अद्भुत है. 2009 की शुरुआत तक वहां बाघों की आबादी पूरी तरह से ख़त्म हो गई थी, लेकिन उसी वर्ष शुरू किए गए सबसे सफल बाघ पुनरुद्धार कार्यक्रम के बदौलत 15 साल बाद वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व में छोटे-बड़े मिलाकर 90 से अधिक बाघ हैं. ये पर्यटकों के लिए आकर्षण के मुख्य केंद्र बने हुए हैं.’
उन्होंने कहा कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से उस टाइगर रिजर्व के 10% से अधिक मुख्य क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा. न सिर्फ बाघों के आवास बल्कि गिद्धों जैसी अन्य प्रजातियां भी नष्ट हो जाएंगी. पारिस्थितिकी तंत्र दो भागों में बंट जाएगा. 23 लाख से ज़्यादा पेड़ काटे जाने हैं. कंस्ट्रक्शन गतिविधियों के कारण गंभीर रूप से व्यवधान उत्पन्न होगा. तीन सीमेंट कारखानों की योजना बनाई जा रही है, जिनमें से एक पार्क के आसपास पहले ही चालू हो चुका है.
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इतनी अधिक पारिस्थितिक क्षति पहुंचाए बिना भी परियोजना (जैसे डैम को नदी के उपरी हिस्से में स्थानांतरित करना) को क्रियान्वित करने के विकल्प मौजूद हैं.’
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा दौधन बांध और दो सुरंगें (ऊपरी स्तर 1.9 किमी और निचला स्तर 1.1 किमी) बनाई जाएंगी.
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर) भूमि को वार्षिक सिंचाई, लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल की आपूर्ति और 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होने की उम्मीद है.
द वायर ने इससे पहले रिपोर्ट किया था कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन संरक्षण डिविजन ने वन सलाहकार समिति की सिफारिश पर 25 मई 2017 को केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के लिए 6,017 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन कार्यों (डाइवर्जन) में इस्तेमाल की मंजूरी प्रदान की थी.
इस परियोजना के तहत मंत्रालय ने इन क्षेत्रों में कम से कम 23 लाख पेड़ों का काटने की इजाजत दी थी, जिसमें से बेहद संवेदनशील पन्ना टाइगर रिजर्व का 4141 हेक्टेयर वन क्षेत्र भी शामिल है.
1980 के दशक में इस परियोजना की अवधारणा की गई थी, लेकिन दोनों राज्यों के बीच जल-बंटवारे का समझौता नहीं हो सका था. परियोजना पर काम मूल रूप से 2015 में शुरू किया गया था.