नई दिल्ली: मणिपुर के कुकी बहुल कांगपोकपी जिले में शुक्रवार (3 जनवरी) शाम को डिप्टी कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक के दफ्तरों पर भीड़ ने हमला कर दिया.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल पूर्वी जिले की सीमा से लगे सैबोल गांव में केंद्रीय बलों द्वारा कुछ सामुदायिक बंकरों पर कब्ज़ा करने के बाद पिछले 48 घंटों से जिले में तनाव की स्थिति बनी हुई थी. स्थानीय लोग चाहते थे कि जिला पुलिस केंद्रीय बलों को इलाके से हटा दे.
शाम को प्रदर्शनकारियों ने एसपी कार्यालय तक मार्च किया और उसे सील करने का प्रयास किया. कुछ प्रदर्शनकारियों ने डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में घुसने की भी कोशिश की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित वीडियो में दिखाया गया कि उनमें से कुछ हथियारबंद थे और वर्दी में थे. पुलिस के विरोध के बाद वहां पथराव हुआ, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए. एसपी कार्यालय के पास मौजूद कुछ वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया गया.
सोशल मीडिया पर एसपी की माथे पर चोट लिए तस्वीरें वायरल हुई हैं. पुलिस ने बताया है कि ‘एसपी को आवश्यक इलाज दिया गया था और अब वह ठीक हैं. वह वर्तमान में स्थिति से निपटने के लिए संयुक्त सुरक्षा बलों का नेतृत्व कर रहे हैं. स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा बलों की बड़ी टुकड़ियां तैनात की गई हैं.’
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कुकी-जो संगठन 31 दिसंबर को सैबोल गांव में सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं पर कथित लाठीचार्ज के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू) ने जिले में 12 घंटे का बंद बुलाकर सैबोल गांव में केंद्रीय बलों की तैनाती के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है.
मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि सैबोल गांव में केंद्रीय बलों को वापस बुलाने की मांग को लेकर सीओटीयू द्वारा आयोजित रैली हिंसक हो गई. इसमें कहा गया, ‘हिंसक प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी और पेट्रोल बम फेंककर एसपी (कांगपोकपी) के कार्यालय पर हमला किया. सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया और स्थिति को नियंत्रण में लाया.’
ख़बरों के मुताबिक, महिलाओं पर सुरक्षा बलों द्वारा कथित कार्रवाई के विरोध में शुक्रवार को मणिपुर के कुकी-जो इलाकों में एक आदिवासी संगठन द्वारा आर्थिक नाकेबंदी की गई.
आदिवासी निकाय कुकी-जो काउंसिल ने कहा कि 2 जनवरी की आधी रात से शुरू हुई आर्थिक नाकेबंदी ‘आदिवासी अधिकारों और सम्मान की अवहेलना’ के विरोध में शनिवार को 2 बजे तक जारी रहेगी. संगठन ने कहा कि नाकेबंदी के दौरान कुकी-जो आबादी वाले इलाकों से गुजरने वाले वाहनों की आवाजाही और आवश्यक वस्तुओं के परिवहन पर प्रतिबंध रहेगा.
आदिवासी निकाय के अध्यक्ष हेनलीएनथांग थांगलेट ने चूड़ाचांदपुर में कहा कि अगर सुरक्षा बलों द्वारा कथित लाठीचार्ज में घायल महिलाओं को मुआवजा नहीं दिया गया तो कुकी ज़ो काउंसिल अपना विरोध प्रदर्शन तेज़ कर देगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने उनके हवाले से कहा, ‘अगर सरकार बफर ज़ोन की शुचिता (sanctity) बनाए रखने में विफल रहती है, जो प्रशासन के हाथों में है, तो आर्थिक नाकेबंदी फिर से लागू कर दी जाएगी.’
मालूम हो कि मणिपुर 3 मई 2023 से आदिवासी कुकी-ज़ो समुदायों और मेईतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा से प्रभावित है. जारी हिंसा में 250 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 60,000 से ज़्यादा लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं.