नई दिल्ली: हरियाणा में 2024 में जन्म के समय लिंगानुपात आठ वर्षों में सबसे कम दर्ज किया गया और एक साल पहले के आंकड़ों से छह अंकों की गिरावट दर्ज की गई. शुक्रवार को सामने आए आंकड़ों से पता चला है कि सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण कन्या भ्रूण हत्या रोकने के सरकार के अभियान को नुकसान पहुंच सकता है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के आंकड़ों से पता चला है कि जन्म के समय लिंग अनुपात, जो लैंगिक समानता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, 2024 में प्रति 1,000 पुरुष जन्मों पर 910 लड़कियों के जन्म तक गिर गया, जो 2023 में 916 से छह अंक कम है और 2016 के बाद सबसे कम है, जब यह 900 था.
संसद में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, 2022-23 में देश का जन्म के समय औसत लिंगानुपात 933 था. 2011 की जनगणना के अनुसार, जन्म के समय यह आंकड़ा 943 था. 2019 और 2021 के बीच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, यह संख्या 929 थी.
हालांकि, हरियाणा में लगातार भारत में सबसे कम लिंगानुपात दर्ज किया गया है, जो बालिकाओं के प्रति सामाजिक विद्वेष तथा कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों के ढीले क्रियान्वयन का दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम है. सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि 2024 में ताजा गिरावट चिंताजनक है क्योंकि हरियाणा ने 2015 में अभियान शुरू होने के बाद उल्लेखनीय सुधार दिखाया था.
उदाहरण के लिए जन्म के समय लिंग अनुपात 2012 में 832, 2013 में 868 और 2014 में 871 था. यह 2015 में बढ़कर 876, 2016 में 900 हो गया और 2017, 2018 और 2021 में 914 पर स्थिर रहा. जन्म के समय उच्च लिंग अनुपात, 923, 2019 में दर्ज किया गया, इसके बाद 2020 में 922 दर्ज किया गया. यह 2022 में 917 और 2023 में 916 तक गिर गया.
2024 के सीआरएस डेटा से पता चला है कि हरियाणा के पांच जिलों- चरखी दादरी (869), फरीदाबाद (899), गुड़गांव (899), रेवाड़ी (873) और रोहतक (888) में जन्म के समय लिंग अनुपात 900 से नीचे चला गया है.
कार्यक्रम से जुड़े एक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर अखबार से कहा, ‘गुड़गांव का एसआरबी (जन्म के समय लिंगानुपात) 2023 में 928 से घटकर 899 पर आ गया था और फरीदाबाद में सात अंकों की गिरावट दर्ज की गई है- 2023 में 906 से घटकर 899 पर आ गया – जो चिंता का विषय है. इसी तरह, पंचकूला जिले में भी चिंता की बात है, जहां एसआरबी 2023 में 942 से घटकर 915 पर आ गया है. नूंह जिला हमेशा से ऊपर रहा है. लेकिन वहां भी एसआरबी में पहली बार चार अंकों की गिरावट आई है. यह एक चेतावनी है. ये रुझान हरियाणा के लिए अच्छे नहीं हैं.’
महिला एवं बाल विकास आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी. कुमार ने सरकारी कार्यक्रमों का बचाव करते हुए कहा कि हरियाणा ने जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है. कुमार ने कहा, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू होने के बाद जन्म के समय लिंगानुपात में 39 अंकों का सुधार हुआ है.’
उन्होंने दावा किया कि उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मामले दर्ज करने में हरियाणा हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों से आगे है.
कुमार ने कहा, ‘गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 के तहत कुल 1,208 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जबकि अंतर-राज्यीय छापों के माध्यम से 386 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप डॉक्टरों, झोलाछाप डॉक्टरों और दलालों द्वारा अवैध प्रथाओं को लक्षित करके 4,000 से अधिक गिरफ्तारियां की गई हैं. हरियाणा ने जन्म के समय अपने लिंग अनुपात में सुधार करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है.’
लेकिन कार्यकर्ताओं ने एक निराशाजनक तस्वीर पेश की है.
सेल्फी विद डॉटर के संस्थापक और कार्यकर्ता सुनील जगलान ने कहा, ‘अमीर लोग बड़े पैमाने पर कानून का उल्लंघन कर रहे हैं क्योंकि लिंग निर्धारण टेस्ट करना बहुत कठिन है. संसाधन संपन्न लोग मुख्य रूप से कन्या भ्रूण हत्या के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि वे राज्य से बाहर जाते हैं जहां सुविधाएं अवैध रूप से उपलब्ध हैं और बहुत अधिक पैसे वसूले जाते हैं. गरीब लोग टेस्ट का खर्च नहीं उठा सकते और कन्या भ्रूण हत्या में शामिल जोखिम उठाते हैं.’
कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पीसीपीएनडीटी और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत एफआईआर की संख्या 2024 में घटकर 47 रह गई, जबकि पिछले साल यह 85 थी. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘इसके ठीक उलट, कोविड-19 महामारी के बावजूद 2020 में 100 और 2021 में 142 मामले दर्ज किए गए.’
जागलान ने कहा कि सख्त निगरानी और जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘हमें लोगों को यह स्वीकार करने और भेदभाव न करने की मानसिकता बदलने की जरूरत है. इस कार्यक्रम की निगरानी के लिए सरकार का एक स्वतंत्र प्रकोष्ठ होना चाहिए.’
आंकड़ों से पता चला है कि 2024 में इस बारे में सबसे ज्यादा एफआईआर सोनीपत में दर्ज की गईं, इसके बाद गुड़गांव में नौ और झज्जर में पांच एफआईआर दर्ज की गईं. 10 जिलों – भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, हिसार, करनाल, मेवात, पलवल, पानीपत, रेवाड़ी और जींद में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पीएनडीटी और एमटीपी अधिनियमों के तहत 2015 में 127 मामले, 2016 में 271 मामले, 2017 में 144 मामले, 2018 में 121 मामले, 2019 में 78 मामले, 2020 में 100 मामले, 2021 में 142 मामले और 2022 में 105 मामले और 2023 में 85 मामले दर्ज किए गए.
यमुनानगर 939 जन्म के समय लिंगानुपात के साथ राज्य में सबसे आगे रहा, उसके बाद सिरसा (936) और फतेहाबाद (925) का स्थान रहा. 2023 और 2024 के बीच एसआरबी में सबसे ज्यादा गिरावट चरखी दादरी (28), पलवल (37) और गु़ड़गांव (29) में आई.
यमुनानगर और करनाल में 18 अंकों का सुधार हुआ, सिरसा में 11 अंकों का और भिवानी में 12 अंकों का सुधार हुआ.