नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी लड़की या पीड़िता का सिर्फ़ एक बार पीछा करना पीछा करना नहीं माना जाएगा.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के सिंगल-जज जस्टिस गोविंद सनप ने 5 दिसंबर, 2024 को यह फ़ैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने कहा कि इस तरह का कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 354-डी और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत पीछा करना नहीं माना जाएगा.
जस्टिस सनप ने यह फ़ैसला दो लड़कों को बरी करते हुए दिया, जिन्हें नाबालिग लड़की का पीछा करने (Stalking) के लिए दोषी ठहराया गया था.
जस्टिस सनप ने फ़ैसले में कहा, ‘यह ध्यान देने योग्य है कि पीछा करने के अपराध के लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि अभियुक्त ने बार-बार या लगातार किसी बच्ची का पीछा किया, देखा या उससे सीधे या इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल मीडिया के माध्यम से संपर्क किया. पीछा करने के अपराध की इस अनिवार्य आवश्यकता को देखते हुए पीड़िता का पीछा करने का एक भी उदाहरण इस अपराध को बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.’
अदालत दो लड़कों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें एक नाबालिग लड़की का पीछा करने और उसके बाद यौन उत्पीड़न करने के लिए दोषी ठहराया गया था.
जज ने यह भी कहा कि पीड़िता ने दूसरे आरोपी की कोई विशेष भूमिका नहीं बताई, जो केवल पहले आरोपी के साथ था, जब वह कुएं से पानी लाने गई थी. जज ने आगे कहा कि दूसरा आरोपी भी जनवरी 2020 में पहले आरोपी के साथ था, जब बाद वाला लड़की के घर गया और उसका मुंह बंद करके और उसके स्तन दबाकर उसके साथ जबरदस्ती की.
अदालत ने देखा कि घटना के दौरान दूसरा आरोपी ‘केवल पीड़िता के घर के बाहर खड़ा था’ और इसलिए उसे यौन उत्पीड़न या पीछा करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता. अदालत ने पहले आरोपी को यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराए जाने को बरकरार रखा, जबकि दूसरे को पीछा करने के आरोप से बरी कर दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की पीड़िता महाराष्ट्र के अकोला की रहने वाली 14 वर्षीय लड़की थी, जिसने आरोप लगाया कि दोनों आरोपियों ने कई महीनों तक उसका उत्पीड़न किया.
मामले में अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि पीड़िता की छोटी बहन ने अगस्त 2020 में एक आरोपी को पीड़िता के घर में जबरन घुसते, उसके साथ छेड़छाड़ करते और हिंसक कृत्य के बारे में किसी को न बताने की धमकी देते हुए देखा था.
इससे पहले एक ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपियों को आईपीसी की धाराओं 354 (शील भंग), 354-डी (पीछा करना), 452 (घर में जबरन घुसना) और 506 (आपराधिक धमकी) के साथ-साथ पोक्सो अधिनियम की धाराओं 7 और 11 के तहत दोषी ठहराया था और उन्हें तीन से सात साल तक के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी.