नई दिल्ली: नगालैंड सरकार के एक मंत्री ने मंगलवार को कहा कि नगालैंड सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य को संरक्षित क्षेत्र परमिट (प्रोटेक्टेड एरिया परमिट-पीएपी) के दायरे से बाहर करने के लिए केंद्र से अपील करने का फैसला किया है.
राज्य के पर्यावरण मंत्री सीएल जॉन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सोमवार को मुख्यमंत्री के आवासीय परिसर में आयोजित कैबिनेट की बैठक के दौरान नगालैंड में पीएपी व्यवस्था को रद्द करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध करने का निर्णय लिया गया.
ज्ञात हो कि पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में जाने के लिए विदेशी नागरिक के पास पीएपी होना आवश्यक है, परमिट की अवधि आम तौर पर 10 दिन होती है जिसे बढ़ाया जा सकता है.
केंद्र सरकार ने पिछले महीने मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम में संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (Protected Area Regime) को फिर से लागू कर दिया था, ताकि पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों के कारण सुरक्षा संबंधी बढ़ती चिंताओं के बीच विदेशियों की आवाजाही पर नजर रखी जा सके.
तकरीबन 14 साल के अंतराल के बाद यह छूट वापस ले ली गई थी. 2011 में तत्कालीन यूपीए II सरकार के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम से पीएपी को खत्म कर दिया था.
नगालैंड के मंत्री ने कहा, ‘कैबिनेट बैठक के दौरान पीएपी व्यवस्था पर गहन विचार-विमर्श किया गया. मंत्रिपरिषद ने पाया कि राज्य ने पिछले साल 1 से 10 दिसंबर तक हॉर्नबिल उत्सव शांतिपूर्वक मनाया था, जिसमें 2,000 से अधिक विदेशी शामिल हुए थे. कैबिनेट ने नगालैंड में पीएपी व्यवस्था को रद्द करने के लिए केंद्र से अपील करने का फैसला किया.’
पिछले साल कुल मिलाकर 2,05,968 पर्यटक, जिनमें 2,527 विदेशी शामिल थे, नगा विरासत गांव किसामा में उमड़े, जो राज्य की राजधानी से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण में हॉर्नबिल महोत्सव का आयोजन स्थल है.
क्षेत्र की संवेदनशील प्रकृति और भू-राजनीतिक चिंताओं के कारण सुरक्षा उपाय के रूप में 1960 के दशक से विदेशियों के लिए लागू पीएपी को दिसंबर 2021 में रद्द कर दिया गया था. इससे विदेशियों को बिना किसी परमिट की आवश्यकता के नगालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में आसानी से प्रवेश मिल गया.