अमेरिका: हश मनी मामले में डोनाल्ड ट्रंप को कोई सज़ा नहीं

डोनाल्ड ट्रंप को मई 2024 में हश मनी से जुड़े 34 मामलों में दोषी ठहराया गया था. शुक्रवार को उन्हें सज़ा सुनाई जानी थी, लेकिन न उन्हें जेल हुई और न ही उन पर कोई जुर्माना लगाया गया. ये फैसला देते समय उन पर कोई शर्त भी नहीं लगाई गई. यानी ट्रंप इस मामले में दोषी तो हैं, लेकिन सज़ा मुक्त हैं.

डोनाल्ड ट्रंप. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी (चुप रहने के लिए गुप्त रूप से पैसा देना) मामले में शुक्रवार (10 जनवरी) को सज़ा सुनाई जानी थी, लेकिन न्यायाधीश ने उन्हें कोई भी सज़ा देने से इनकार कर दिया. यानी ट्रंप इस मामले में दोषी तो क़रार दिए गए, लेकिन उन्हें कोई सज़ा नहीं दी गई.

द हिंदू की खबर के मुताबिक, ये अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें सज़ा न देना का फैसला ही सज़ा है. ये इस असाधारण मामले के शांत अंत दर्शाता है, जिसने पहली बार एक पूर्व राष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को आपराधिक प्रतिवादी के रूप में अदालत में खड़ा किया. यह मामला चार आपराधिक अभियोगों में से पहला ऐसा मामला था जिस पर सुनवाई हुई और संभवतः एकमात्र ऐसी सुनवाई हुई होगी.

मालूम हो कि इस मामले में मैनहैटन के न्यायाधीश जुआन एम. मर्चन 78 वर्षीय रिपब्लिकन नेता ट्रंप को चार साल तक की जेल की सज़ा सुना सकते थे. लेकिन उन्होंने सज़ा के बजाय, सज़ा-मुक्त करने का फैसला चुना, जिसने इस पूरे मामले को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया. हालांकि इसमें संवैधानिक मुद्दों को दरकिनार कर दिया, लेकिन जज द्वारा आश्वासन दिया गया कि अमेरिका में ये पहली बार होगा जब किसी अपराध का दोषी व्यक्ति देश का राष्ट्रपति होगा.

इस बार सुजा सुनवाई के दौरान ट्रंप पहले की तरह न तो खुद अदालत में उपस्थित हुए और न ही उन्होंने पत्रकारों को संबोधित किया. वे इस बार फ्लोरिडा के पाम बीच के अपने घर से ही वीडियो के माध्यम से अदालत से जुड़े. इस बार उनकी पृष्ठभूमि में अमेरिकी ध्वज और साथ में एक वकील वीडियो स्क्रीन पर दिखाई दिए.

उन्होंने करीब छह मिनट के अपने अदालती संबोधन में फिर से जोर देकर कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और यह एक राजनीतिक साजिश है, जो उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई थी, ताकि वे चुनाव हार जाएं लेकिन ये सफल नहीं हुई.

अदालती कार्यवाही समाप्त होने के बाद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया नेटवर्क पर एक पोस्ट में कहा कि ये सुनवाई एक ‘घटिया नाटक’ थी और उन्होंने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने की योजना बनाई है.

मालूम हो कि ट्रंप को पिछले साल 2024 के मई महीने में हश मनी से जुड़े 34 मामलों में दोषी ठहराया गया था. ये सभी मामले एक भुगतान को छिपाने के लिए बिज़नेस रिकॉर्ड में की गई हेराफेरी से जुड़े थे. ट्रंप पर 2016 के चुनाव से पहले एक सेक्स स्कैंडल से बचने के लिए एडल्ट फिल्म स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को धन देने का आरोप लगा था.

हश मनी के केंद्र में ट्रंप से जुड़ा 2006 का एक कथित यौन संबंध का मामला था, जिसके सार्वजनिक न होने के बदले में ट्रंप द्वारा डेनियल्स को 1,30,000 डॉलर दिए गए थे. इस संबंध में ट्रंप ने कहा था कि डेनियल्स ने झूठे दावों के आधार पर उनसे जबरन वसूली करने की कोशिश की थी. इसके बावजूद उन्होंने पैसे देने का फैसला किया था.

हालांकि, अदालत के सामने मुद्दा ये था कि इस भुगतान को ‘कानूनी खर्च’ के रूप में कैसे लेबल किया गया. अभियोजन पक्ष का आरोप था कि यह 2016 के चुनाव अभियान के दौरान लेनदेन की वास्तविक प्रकृति को छिपाने के लिए एक व्यापक साजिश रची गई थी. ट्रंप के बचाव पक्ष में वकीलों ने तर्क दिया था कि पूर्व राष्ट्रपति को किसी भी गलत काम की जानकारी नहीं थी और उस समय उनका ध्यान अन्य मामलों पर था.

इस केस में सबसे महत्वपूर्ण गवाह ट्रंप के वकील माइकल कोहेन थे. कोहेन ट्रंप को बचाने के लिए कांग्रेस से झूठ बोलने के आरोप में 2018 की सज़ा के बाद अभियोजन पक्ष के लिए प्रमुख गवाह बन गए थे. ये मामला तब सामने आया, जब ये पता चला कि उन्होंने अपने पूर्व वकील डेनियल कोहेन को भुगतान किया था. दरअसल, उनके वकील ने ही डेनियल को सीधे पैसे दिए थे. बाद में ट्रंप ने वकील का पैसा वापस किया था. लेकिन इसे छिपाने के लिए अपने बिज़नेस रिकार्ड में गड़बड़ी की थी.

इस मामले में सज़ा सुनाने को लेकर न्यायाधीश मर्चन ने कहा कि वे किसी भी अन्य प्रतिवादी को सज़ा देने से पहले ऐसा होने के कारकों पर विचार करते हैं, लेकिन राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप को जो कानूनी सुरक्षा मिलेगी, वह ‘एक ऐसा कारक है जो अन्य सभी पर हावी है.’

ज्ञात हो कि शुक्रवार की सुनवाई से पहले इस मामले की सुनवाई कर रहे जज जुआन मर्चन ने पहले ही संकेत दे दिया था कि वे ट्रंप को जेल नहीं भेजेंगे, न ही जुर्माना लगाएंगे.

इस संबंध में अभियोजकों ने कहा कि वे बिना किसी दंड के सज़ा का समर्थन करते हैं, लेकिन उन्होंने मामले के दौरान और उसके बाद कानूनी व्यवस्था पर ट्रंप के हमलों की निंदा की.

अभियोजक जोशुआ स्टीनग्लास ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के भावी राष्ट्रपति इसकी वैधता को कमजोर करने के लिए एक सुनियोजित अभियान में लगे हुए हैं.’

गौरतलब है कि ये पूरी सुनवाई आधे घंटे से कुछ अधिक समय तक चली. सुनवाई से पहले मुट्ठी भर ट्रंप समर्थक और आलोचक अदालत के बाहर जमा हुए. एक समूह ने बैनर ले रखा था, जिस पर लिखा था, ‘ट्रंप दोषी हैं.’ वहीं, दूसरे पर लिखा था, ‘पक्षपातपूर्ण साजिश बंद करो.’

मालूम हो कि मैनहैटन जिला अटॉर्नी एल्विन ब्रैग, जिनके कार्यालय ने ट्रंप पर आरोप लगाए थे, एक डेमोक्रेट हैं. ब्रैग के कार्यालय ने बीते सोमवार (6 जनवरी) को अदालत में दायर एक याचिका में कहा था कि ट्रंप ने गंभीर अपराध किए जिससे चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और न्यूयॉर्क के वित्तीय बाज़ार की अखंडता को व्यापक नुकसान हुआ.

न्यायाधीश मर्चैन, जो खुद एक डेमोक्रेट हैं, ने इस मामले में बार-बार सज़ा को स्थगित किया. ये सज़ा पहले बीते साल जुलाई के लिए निर्धारित थी, जिसे इस साल तक खींचा गया. इस दौरान ट्रंप के वकीलों द्वारा सज़ा रोकने के लिए अनेक प्रयास किए गए. उनकी आखिरी उम्मीद गुरुवार रात (9 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के 5-4 के उस फैसले के साथ समाप्त हो गई, जिसमें सज़ा में देरी करने से इनकार कर दिया गया.

इस बीच अन्य आपराधिक मामले जो कभी ट्रंप पर मंडरा रहे थे, समाप्त हो गए हैं या सुनवाई से पहले ही रुक गए हैं.