नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में कथित हस्तक्षेप के लिए आलोचना की और दावा किया कि यूजीसी के बजट में 61% की भारी कटौती की गई है.
उन्होंने कहा कि सरकार की शिक्षा नीति का उद्देश्य विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करना, स्वायत्त संस्थानों का गला घोंटना और सार्वजनिक शिक्षा पर आरएसएस की विचारधारा थोपना है.
खरगे ने एक्स पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस लगातार भारत में उच्च शिक्षा पर हमला कर रहे हैं.
BJP-RSS लगातार, भारत की उच्च शिक्षा पर हमलावार है ! @narendramodi जी,
आप “Pariksha Par Charcha” और “Exam Warriors” से अपना ढोल पीटते हैं, पर
1️⃣National Talent Search Examination Scholarship (NTSE) को तीन वर्षों से बंद कर दिया गया है, ऐसा समाचार पत्रों से पता चला है। 1963 से… pic.twitter.com/reXi4dI4z3
— Mallikarjun Kharge (@kharge) January 10, 2025
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (एनटीएसई – National Talent Search Examination) छात्रवृत्ति कार्यक्रम के निलंबन के बारे में सवाल किया, जो 1963 से चल रहा था.
उन्होंने आगे कहा, ‘नरेंद्र मोदी, आप ‘परीक्षा पर चर्चा’ और ‘एग्जाम वॉरियर्स’ के जरिए अपनी वाहवाही करते हैं, लेकिन एनटीएसई को तीन साल से बंद कर दिया गया है, जैसा कि अखबारों से पता चला है. 1963 से चल रही इस योजना पर 40 करोड़ रुपये खर्च होने चाहिए थे, लेकिन पीएम मोदी के पीआर पर 62 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.’
कांग्रेस नेता ने यूजीसी के नए मसौदा नियमों के बारे में चिंता व्यक्त की, खासकर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपालों को दिए गए बढ़े हुए अधिकार के बारे में. उन्होंने इसे राज्य की स्वायत्तता का उल्लंघन माना.
खरगे ने कहा, ‘यूजीसी के मसौदा नियम 2025 राज्यपालों को कुलपति नियुक्तियों पर व्यापक नियंत्रण देते हैं और गैर-शैक्षणिक लोगों को इन पदों पर रहने की अनुमति देते हैं, जो संघवाद और राज्य के अधिकारों पर सीधा हमला है. भाजपा-आरएसएस चाहते हैं कि केवल संघ परिवार के कुलपति ही नियुक्त किए जाएं.’
मालूम हो कि हाल ही में जारी किए गए यूजीसी के नए नियम राज्यों में राज्यपालों को कुलपतियों की नियुक्ति के लिए व्यापक अधिकार प्रदान करते हैं. साथ ही कहते हैं कि अब वीसी का पद शिक्षाविदों तक सीमित नहीं है, बल्कि उद्योग विशेषज्ञों और सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गजों को भी वीसी बनाया जा सकता है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने विश्वविद्यालयों को मिलने वाले वित्त पोषण को यूजीसी से हटाकर एचईएफए को सौंपने पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा, ‘पहले यूजीसी विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही थी, यूजीसी को सरकार फंड देती थी. पर अब वित्तीय सहायता देने के काम को मोदी सरकार द्वारा बनाई गई एचईएफए ने हड़प लिया है – यह केनरा बैंक और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक उपक्रम है. इससे न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अधिक स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रम (Self-Financed Courses) शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, बल्कि एसी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों की वित्तीय परेशानियां भी बढ़ेंगी.’
उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान सरकार विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रतिबंधित कर रही है और सार्वजनिक शिक्षा में आरएसएस की मनुवादी विचारधारा को लागू कर रही है, जिससे युवाओं को नुकसान हो रहा है.