मणिपुर में ग्रामीणों ने असम राइफल्स के कैंप को जलाया, बल को हटाने की मांग: रिपोर्ट

मणिपुर के कामजोंग ज़िले में शनिवार को तनाव बढ़ गया, जब गुस्साए ग्रामीणों ने होंगबेई गांव में असम राइफल्स के एक अस्थायी कैंप पर हमला कर आग के हवाले कर दिया. बल के कर्मियों पर 'निरंतर तलाशी' अभियान चलाकर सार्वजनिक जीवन बाधित करने और कथित उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@manipur_police)

नई दिल्ली: मणिपुर के कामजोंग जिले में शनिवार (11 जनवरी) को तनाव बढ़ गया, जब गुस्साए ग्रामीणों ने होंगबेई गांव में असम राइफल्स के एक अस्थायी कैंप पर हमला किया और उसे आग के हवाले कर दिया. यह घटना असम राइफल्स द्वारा इंफाल-म्यांमार रोड पर कासोम खुल्लेन ब्लॉक के रास्ते सुरक्षा जांच के दौरान कथित उत्पीड़न को लेकर बढ़ते असंतोष के कारण हुई.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों ने अर्धसैनिक बलों के कर्मियों पर ‘निरंतर तलाशी’ अभियान चलाकर सार्वजनिक जीवन को बाधित करने और कथित उत्पीड़न का आरोप लगाया. स्थिति तब और बिगड़ गई जब असम राइफल्स के जवानों ने कथित तौर पर पास के गांव में मकान निर्माण के लिए लकड़ी के परिवहन को रोक दिया, जिससे स्थानीय लोग नाराज हो गए.

स्थानीय विधायक के हस्तक्षेप को खारिज किया

इस बीच, स्थानीय विधायक लीशियो कीशिंग, जो एक शादी में भाग लेने के लिए इलाके में थे, ने मामले को सुलझाने का प्रयास किया. उन्होंने असम राइफल्स से लकड़ी के परिवहन की अनुमति देने का अनुरोध किया, इस बात पर जोर देते हुए कि लकड़ी का विनियमन मणिपुर के वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है, असम राइफल्स के नहीं.

वायरल वीडियो में कीशिंग को इस मामले पर असम राइफल्स के एक अधिकारी से भिड़ते हुए देखा गया. उनके हस्तक्षेप के बावजूद अर्धसैनिक बलों ने कथित तौर पर सहयोग करने से इनकार कर दिया, जिससे तनाव और बढ़ गया.

विरोध हिंसक हुआ

इनकार के बाद स्थानीय निवासी अस्थायी शिविर में एकत्र हुए और तलाशी अभियान को समाप्त करने तथा असम राइफल्स के जवानों को क्षेत्र से वापस बुलाने की मांग की. यह टकराव तब हिंसक हो गया जब असम राइफल्स के जवानों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कथित तौर पर गोला-बारूद और आंसू गैस का इस्तेमाल किया.

जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने अस्थायी शिविर को नष्ट कर दिया और असम राइफल्स से इलाके को पूरी तरह से खाली करने पर जोर दिया. अशांति पड़ोसी गांवों तक फैल गई, जहां ग्रामीणों ने घटनास्थल पर पहुंचने से रोकने के लिए सड़कों को अवरुद्ध कर दिया.

कामजोंग के पुलिस अधीक्षक निंगसेम वाशुम ने तनाव बढ़ने की पुष्टि करते हुए स्थिति को ‘तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में’ बताया. वाशुम ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘हम दोनों पक्षों से बातचीत करके स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं.’

यह घटना क्षेत्र में असम राइफल्स की चौकियों की स्थापना के लिए चल रहे स्थानीय विरोध के बाद हुई है, जिसके बारे में निवासियों का कहना है कि यह सामुदायिक हितों के विपरीत है.

असम राइफल्स ने चौकी खाली की, ग्रामीणों के उत्पीड़न के आरोपों से इनकार

असम राइफल्स ने ग्रामीणों द्वारा कैंप को जलाए जाने के एक दिन बाद रविवार (12 जनवरी) को एक अस्थायी चौकी खाली कर दी.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने कहा कि होंगबेई गांव में चौकी खाली करने का निर्णय असम राइफल्स के एक ब्रिगेडियर, कामजोंग के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक और तंगखुल नगा समुदाय के नागरिक समाज संगठनों की बैठक के दौरान लिया गया.

एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘बैठक के बाद करीब 20 कर्मियों ने होंगबेई चौकी खाली कर दी.’

असम राइफल्स ने इन आरोपों का खंडन किया कि उसके कर्मी अक्सर ग्रामीणों को परेशान करते हैं.

असम राइफल्स ने कहा, ’11 जनवरी को होंगबेई में चौकी पर तैनात असम राइफल्स के कर्मियों ने एक वाहन का निरीक्षण किया और पाया कि लकड़ी से भरे वाहन के पास अनिवार्य दस्तावेज नहीं थे. असम राइफल्स के कर्मियों ने प्रक्रियाओं का पालन करते हुए वाहन को रोक दिया.’

इसने कहा कि ‘अराजक तत्वों’ ने स्थानीय लोगों को कर्मियों को वाहन छोड़ने के लिए मजबूर करने के लिए उकसाया. इसने कहा कि भीड़ हिंसक हो गई, लेकिन असम राइफल्स के कर्मियों ने उचित और ‘नपी-तुली प्रतिक्रिया’ का इस्तेमाल किया.

इस बीच, रविवार को दक्षिणी तांगखुल नगा यूनियन ने नगा गांव के अधिकारियों, एक महिला संघ और युवा संगठनों को सलाह दी कि वे असम राइफल्स के जवानों को अपने अधिकार क्षेत्र से गुजरने की अनुमति न दें.