दिल्ली आबकारी नीति: केंद्र ने केजरीवाल, सिसोदिया पर मनी लॉन्ड्रिंग केस चलाने के लिए मंज़ूरी दी

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ईडी को आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून के तहत दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चलाने की मंज़ूरी दे दी है. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा इसकी सिफ़ारिश की गई थी.

दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पर आप नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मंजूरी दे दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मंजूरी दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा की गई सिफारिश के एक महीने बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि आबकारी नीति मामले में केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को मंजूरी दी जाए.

अधिकारियों के अनुसार, ईडी ने 3 दिसंबर को केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी और मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर दिल्ली के मुख्य सचिव धर्मेंद्र को पत्र लिखा था.

ईडी सूत्रों ने बताया कि पहले एजेंसी को आरोपपत्र दाखिल करने से पहले अभियोजन की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं थी – यह सीबीआई के लिए अनिवार्य है.

एक अधिकारी के अनुसार, ईडी ने मंजूरी के लिए अपने अनुरोध में कहा, ‘आपको सूचित किया जाता है कि इस कार्यालय ने वर्ष 2021-22 के लिए दिल्ली के जीएनसीटीडी की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं के मामले में 17.05.2024 को श्री अरविंद केजरीवाल (आरोपी संख्या 37) के खिलाफ अभियोजन शिकायत (एसपीसी-7) दर्ज की है.’

ईडी ने कहा कि एक विशेष अदालत ने भी 9 जुलाई को एजेंसी के द्वारा दायर अभियोजन पक्ष की शिकायत का संज्ञान लिया था. एक अधिकारी के अनुसार, इसने कहा कि ईडी बनाम बिभु प्रसाद आचार्य और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता का प्रावधान मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम की धारा 65 पर लागू होता है और धारा 71 (1) ‘सीआरपीसी के प्रावधान को ओवरराइड नहीं कर सकती है जो पीएमएलए पर लागू होती है.’

ईडी ने अनुरोध में कहा, ‘उपर्युक्त तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पीएमएलए की धारा 4 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी की आवश्यकता हो सकती है.’

नियमों के तहत. उपराज्यपाल गृह मंत्रालय या भारत सरकार को, जो ऐसे मामलों में सक्षम प्राधिकारी हैं, मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने की सिफारिश कर सकते हैं.

आबकारी नीति से संबंधित ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर अलग-अलग मामलों में पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद राजधानी में सत्तारूढ़ आप का नेतृत्व करने वाले केजरीवाल की एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है, जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उनके अभियोजन के लिए पूर्व अनुमति के बिना ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान लिया गया था.

केजरीवाल को लोकसभा चुनावों से पहले 21 मार्च, 2024 को ईडी ने गिरफ्तार किया था, क्योंकि वे नौ समन के बाद भी उसके सामने पेश नहीं हुए थे. ईडी ने उनसे पूछताछ की और केंद्रीय एजेंसी द्वारा यह पाए जाने के बाद कि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें उसी साल 12 जुलाई को ईडी मामले में और 13 सितंबर को सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी. उन्होंने 17 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने और 12 दिन बाद ईडी ने गिरफ्तार किया. सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त, 2024 को उन्हें ज़मानत देते हुए कहा, ‘निकट भविष्य में मुक़दमा समाप्त होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है.’

क्या मामला है?

फरवरी 2023 में दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और उसके एक महीने बाद ईडी ने भी उन्हें गिरफ्तार किया था. जुलाई 2022 में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आबकारी नीति में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था.

सिसोदिया के अलावा दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और आप सांसद संजय सिंह को भी ईडी जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. इसी मामले में तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को ईडी ने 15 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था.

सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में सिसोदिया पर ‘लाइसेंसधारी को निविदा के बाद अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति से संबंधित सिफारिश करने और निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने’ का आरोप लगाया गया है.

आरोप है कि शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति कुछ डीलरों के पक्ष में प्रभावित थी और बदले में उन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी.

मालूम हो कि नई आबकारी नीति 2021-22, 17 नवंबर 2021 से लागू की गई थी, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए. कई शराब की दुकानें खुल नहीं पाईं. ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए गए थे.

तब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और इसकी जांच के लिए उपराज्यपाल के साथ केंद्रीय एजेंसियों में शिकायत दर्ज कराई थी.

आरोप था कि मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बहाने निविदा लाइसेंस शुल्क पर शराब कारोबारियों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट की अनुमति दी है. यह भी आरोप लगाया गया था कि आम आदमी पार्टी ने 2022 के पंजाब चुनाव के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल किया होगा.