केंद्र यूजीसी के नए नियमों से राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता कमज़ोर कर रहा है: केरल सीएम

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केंद्र पर नए यूजीसी नियमों के जरिये उच्च शिक्षा संस्थानों को 'अस्थिर करने की कोशिश' करने का आरोप लगाया और कहा कि इस तरह के प्रयासों से न केवल सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि यूजीसी की विश्वसनीयता भी ख़त्म हो जाएगी.

पिनराई विजयन. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को केंद्र और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पर उच्च शिक्षा संस्थानों को ‘अस्थिर करने की कोशिश’ करने का आरोप लगाया, और इसका प्रमुख उदाहरण यूजीसी के नए मसौदा नियमों को बताया.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि ये नियम, जो राज्य विश्वविद्यालयों की ‘स्वायत्तता को ख़तरा’ बनाते हैं, निर्वाचित विधानसभाओं द्वारा बनाए गए अधिनियमों द्वारा उन्हें दी गई स्वतंत्रता को कमज़ोर करते हैं.

विजयन ने राज्य उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अगली पीढ़ी की उच्च शिक्षा पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद ये टिप्पणियां कीं.

अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति या इसी तरह के मामलों में न्यूनतम योग्यता तय करने का कोई विरोध नहीं है तथा राज्य ऐसे नियमों का पूरी तरह पालन करता है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि यूजीसी द्वारा इस तरह अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करना ‘अस्वीकार्य है’, उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश विश्वविद्यालयों को राज्य के संसाधनों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, जिसमें केंद्रीय योगदान न्यूनतम होता है.

उन्होंने कहा, ‘यह देखना चिंताजनक और निराशाजनक है कि केंद्र सरकार और यूजीसी राज्य सरकार के अधीन इन संस्थानों को अस्थिर करने के उद्देश्य से दृष्टिकोण अपना रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इसका एक प्रमुख उदाहरण यूजीसी के नए नियम हैं, जो राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को खतरे में डालते हैं.’

विजयन ने केंद्र सरकार और यूजीसी से विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता और शिक्षा से संबंधित मामलों में राज्य सरकारों के अधिकारों का सम्मान करने का भी आग्रह किया.

विजयन ने यह भी कहा कि इस तरह के प्रयासों से न केवल सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि यूजीसी की विश्वसनीयता भी खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा, ‘ऐसी कार्रवाइयों को आगे बढ़ाते हुए यूजीसी और केंद्र सरकार यह समझने में विफल रही है कि इन प्रयासों से सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित उच्च शिक्षा प्रणाली का पतन हो सकता है, और अंततः अधिक निजी शैक्षणिक संस्थानों के लिए रास्ता साफ हो जाएगा.’

उन्होंने ‘यूजीसी नियम 2025 का मसौदा’ की आलोचना करते हुए दावा किया कि यह राज्यों से कुलपति नियुक्त करने का अधिकार छीन लेता है तथा कुलपतियों को अनियंत्रित शक्तियां प्रदान करता है.

मालूम हो कि यूजीसी के नए नियम राज्यों में राज्यपालों को कुलपतियों की नियुक्ति के लिए व्यापक अधिकार प्रदान करते हैं. साथ ही कहते हैं कि अब वीसी का पद शिक्षाविदों तक सीमित नहीं है, बल्कि उद्योग विशेषज्ञों और सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गजों को भी वीसी बनाया जा सकता है.

नए नियमों में कहा गया है, ‘कुलपति/विजिटर तीन विशेषज्ञों वाली खोज-सह-चयन समिति (Search-cum-Selection Committee) का गठन करेंगे.’ पहले, नियमों में उल्लेख किया गया था कि कुलपति के पद के लिए इस समिति द्वारा गठित 3-5 व्यक्तियों के पैनल द्वारा उचित पहचान के माध्यम से किया जाना चाहिए, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं किया गया था कि समिति का गठन कौन करेगा.

बता दें कि इस मुद्दे पर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के साथ चल रही खींचतान के बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पिछले हफ्ते कहा था कि यूजीसी के नए नियम राज्यपालों को कुलपतियों की नियुक्तियों पर व्यापक नियंत्रण प्रदान करते हैं और गैर-शैक्षणिक लोगों को इन पदों पर रहने की अनुमति देते हैं, जो संघवाद और राज्य के अधिकारों पर सीधा हमला है.