नई दिल्ली: देश के प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी-बॉम्बे में ‘अच्छी संतान पैदा करने के विज्ञान’ पर आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर परिसर में विरोध देखने को मिला है. संस्थान द्वारा परिसर में आयोजित कार्यक्रमों को लेकर भेजे गए एक मेल में उल्लेख किया गया है कि संस्कृति आर्य गुरुकुलम के एक आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा ‘गर्भविज्ञान’ पर चर्चा शनिवार (18 जनवरी) को आयोजित की जाएगी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, छात्रों के एक वर्ग ने दावा किया कि संस्थान ने हाल ही में जेंडर सेल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को रद्द कर दिया और फिर उसके स्थान पर दूसरे वक्ताओं के एक अलग समूह को बुलाकर सेमिनार करावाया गया, लेकिन अब ऐसे आयोजनों की अनुमति दी जी रही है जो कथित तौर पर ‘छद्म विज्ञान (pseudoscience) को बढ़ावा दे सकते हैं.’
मेल में कहा गया है कि बातचीत में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को बच्चे के आंतरिक और बाहरी गुणों को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में पता चलेगा, पूर्वज बच्चे के गुणों को कैसे प्रभावित करते हैं, गर्भावस्था के दौरान मां और भ्रूण का स्वास्थ्य, मन और शरीर की तैयारी गर्भधारण से पहले, गर्भावस्था के दौरान लापरवाही के परिणाम और गर्भसंस्कार के कुछ नियम. इसमें आगे कहा गया है कि शोधकर्ता, युवा वयस्क, छोटे बच्चों के माता-पिता और शिक्षक इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.
मालूम हो कि एक इंजीनियरिंग संस्थान में इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन को लेकर कुछ छात्रों ने निराशा जाहिर की है. छात्रों का कहना है कि एक विज्ञान संस्थान द्वारा इस तरह का आयोजन इसे वैधता दे सकता है.
एक छात्र ने कहा, ‘संस्थान ने हाल ही में भंवरी देवी, कविता श्रीवास्तव और वृंदा ग्रोवर की एक पैनल चर्चा को रद्द कर दिया था. ये कार्यक्रम महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन शोषण से संबंधित विषय पर था. बाद में संस्थान ने नए वक्ताओं के साथ इसे गुरुवार (16 जनवरी) को आयोजित करवाया.’
वहीं, संस्थान के एक अधिकारी ने कहा कि सेमिनार संस्थान के संस्कृत सेल द्वारा आयोजित किया गया है और इसका संचालन आयुर्वेद के एक विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा और यह छद्म विज्ञान नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा नहीं है और इसलिए यह संस्थान की समीक्षा समिति के पास नहीं भेजा गया. भारतीय ज्ञान और विज्ञान का विश्लेषण किया जाना चाहिए और हमे चर्चा के लिए खुला रहना चाहिए. गर्भ विज्ञान का अर्थ है ‘गर्भावस्था का व्यवस्थित अध्ययन’ और आयुर्वेद से स्वस्थ गर्भावस्था प्रथाओं पर प्रकाश डाला गया है.
अधिकारी ने जेंडर सेल के कार्यक्रम के संबंध में कहा कि इसे रद्द नहीं किया गया, बल्कि गुरुवार को फिर से आयोजित किया गया था.
एक छात्रा ने कहा कि एक तरफ संस्थान छात्रों को कार्यस्थल पर महिलाओं के संघर्ष के बारे में जानने से रोकना चाहता है. वहीं, दूसरी ओर उन्हें विज्ञान के नाम पर गर्भावस्था के बारे में छद्म विज्ञान सिखाया जा रहा है…
छात्र के अनुसार, ‘ये दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कैंपस समुदाय की ओर से इस तरह के प्रतिगामी कदम के लिए कोई स्पष्ट प्रतिरोध नहीं दिखाई दे रहा है.’