आरजी कर रेप-हत्या: आरोपी को आजीवन कारावास, सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख मुआवज़ा देने का आदेश

आरजी कर रेप-हत्या मामले में मुख्य आरोपी 33 वर्षीय संजय रॉय को बीते सप्ताह सियालदाह की अदालत ने दोषी पाया था. सोमवार को अदालत ने उसे उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई और पचास हज़ार रुपये जुर्माना भरने का निर्देश दिया.

सियालदाह कोर्ट. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: कोलकाता की सियालदाह अदालत ने सोमवार (20 जनवरी) को शहर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी पाए गए नागरिक स्वयंसेवक (सिविल वालंटियर) संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

इस मामले में रॉय को पिछले सप्ताह दोषी पाया गया था. इसके बाद से ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि रॉय को मौत की सजा दी जाएगी. इस घटना को लेकर पनपे जनाक्रोश के बीच सितंबर 2024 में ममता बनर्जी सरकार ने बलात्कार की सभी घटनाओं में मृत्युदंड लगाने के लिए एक नया कानून भी पारित किया था.

इसके साथ ही, मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी मृत्युदंड की जोरदार वकालत की थी. शनिवार, 18 जनवरी को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास की अदालत ने रॉय को भारतीय न्याय संहिता के तहत बलात्कार (धारा 64) और हत्या – 103 (1) के आरोपों में दोषी पाया था. न्यायाधीश दास ने सोमवार को सीबीआई के इस तर्क के जवाब में कि मामला दुर्लभ (rarest of rare) है, कहा कि वे नहीं मानते कि यह दुर्लभतम मामला है.’

पिछले साल अगस्त में हुई इस घटना से लोगों में काफी गुस्सा भड़क गया था और पश्चिम बंगाल सहित देशभर में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था. जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी थी. डॉक्टरों की मांग थी कि ट्रेनी डॉक्टर को जल्द न्याय मिले और सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था में प्रणालीगत बदलाव किए जाए. टीएमसी सरकार पर भी व्यवस्थागत खामियों के कई आरोप लगे थे.

मामले की जांच कोलकाता पुलिस ने शुरू की थी, जिसे बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया था.

अदालत में पेश होने के दौरान रॉय ने आरोप लगाया कि उन्हें फंसाया जा रहा है और इस मामले में ‘उच्च स्तर के पुलिस अधिकारी’ शामिल हैं.

सजा के साथ ही अदालत ने रॉय को 50,000 रुपये का जुर्माना भी भरने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बंगाल सरकार को मृत डॉक्टर के परिवार को मुआवजे के तौर पर 17 लाख रुपये देने का निर्देश भी दिया है. हालांकि, मृतका के माता-पिता ने यह राशि लेने से इनकार कर दिया है.

द वायर सहित कई साक्षात्कारों में मृत डॉक्टर के माता-पिता ने इस बात का जिक्र किया था कि उन्हें व्यवस्थागत सड़न का संदेह है और कोलकाता पुलिस ने मामले को दबाने के लिए उन्हें पैसे की पेशकश की थी. डॉक्टर के पिता ने द वायर से कहा था कि ‘यह बंद कमरे के अंदर हुई क्रूर हत्या है और उनके पास सीबीआई पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.’

गौरतलब है कि इस मामले में बीते साल 13 दिसंबर को आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाने के पूर्व प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल को जमानत दे दी गई थी. सीबीआई द्वारा निर्धारित 90 दिन की अवधि के भीतर आरोप पत्र दायर करने में विफलता के कारण यह जमानत दी गई थी.

अभिजीत मंडल पर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी करने का आरोप था, जबकि घोष पर इसी मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया था.

हालांकि, इस बलात्कार-हत्या मामले में जमानत मिलने के बावजूद घोष हिरासत में ही हैं, क्योंकि उन्हें आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक अलग मामले में भी न्यायिक रिमांड पर रखा गया है. इस मामले में केंद्रीय एजेंसी ने 53 वर्षीय घोष को अस्पताल में भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था.

ज्ञात हो कि जूनियर डॉक्टर का शव 9 अगस्त 2024 को अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला था, जिसके बाद चौतरफा दबाव के चलते प्रिंसिपल संदीप घोष को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.

हालांकि, उनके इस्तीफे के कुछ घंटे बाद ही उन्हें कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया था, जिसे लेकर भारी विरोध और उच्च न्यायालय की आपत्ति सामने आई थी, जिसके बाद उन्हें अनिश्चितकालीन छुट्टी लेने के लिए कहा गया.