मुज़फ़्फ़रनगर दंगा: सुरेश राणा, संगीत सोम समेत चार के ख़िलाफ़ जारी ग़ैर ज़मानती वॉरंट रद्द

राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद 15 दिसंबर को भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वॉरंट जारी किए गए थे.

भाजपा नेता संगीत सोम और सुरेश राणा. (फोटो साभार: फेसबुक)

राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद 15 दिसंबर को भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वॉरंट जारी किए गए थे. भाजपा नेताओं पर एक सभा में भाषण देकर हिंसा भड़काने का आरोप है.

भाजपा नेता संगीत सोम और सुरेश राणा. (फोटो साभार: फेसबुक)
भाजपा नेता संगीत सोम और सुरेश राणा. (फोटो साभार: फेसबुक)

मुज़फ़्फ़रनगर: स्थानीय अदालत ने 2013 मुज़फ़्फ़रनगर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा, भाजपा विधायक संगीत सोम और भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह सहित एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ जारी ग़ैर ज़मानती वॉरंट रद्द कर दिया.

राज्य सरकार से उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद 15 दिसंबर को उनके ख़िलाफ़ ग़ैर जमानती वॉरंट जारी किए गए थे.

मामले की जांच कर रही एसआईटी ने इन आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत कथित तौर पर एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण देने के संबंध में मुक़दमा चलाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी थी और सरकार ने इसकी अनुमति दे दी थी.

शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मधु गुप्ता ने सुरेश राणा, संगीत सोम, सिंह, भारतेंदु सिंह और चंद्र पाल नाम के व्यक्ति के ख़िलाफ़ जारी ग़ैर जमानती वॉरंट रद्द कर दिए.

उनके वकील ने याचिका में दलील दी थी कि उन्हें भादंवि की धारा 153ए के तहत पहले ही ज़मानत दी जा चुकी है.

आरोप है कि इन लोगों ने एक महापंचायत में हिस्सा लिया था और अगस्त 2013 के अंतिम सप्ताह में भाषण के ज़रिये हिंसा भड़काई. इसके अलावा आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है.

ज्ञात हो कि मुज़फ़्फ़रनगर और इसके आसपास के इलाकों में साल 2013 के अगस्त और सितंबर महीने में सांप्रदायिक झड़प हुई थी, जिसके बाद हुई हिंसा में 60 लोगों की मौत हो गई थी और 40,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए थे. उस वक़्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)