2023-24 में चुनावी बॉन्ड से सर्वाधिक चंदा पाने वाले क्षेत्रीय दल टीएमसी और बीआरएस रहे: रिपोर्ट

देश की छह राष्ट्रीय पार्टियों में से चार- आम आदमी पार्टी, बसपा, माकपा और एनपीपी ने निर्वाचन आयोग को अपनी ऑडिट रिपोर्ट दी है, जिसमें से केवल आप ने चुनावी बॉन्ड से चंदा पाने की घोषणा की है. भाजपा और कांग्रेस की ऑडिट रिपोर्ट आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं. 

भारतीय करेंसी नोटों की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो: rupixen.com/Pixabay)

नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) में पार्टियों द्वारा दायर की गई वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित किए जाने तक क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदे का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ था.  

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस की ऑडिट रिपोर्ट ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं. 

क्षेत्रीय दलों की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2023 से 15 फरवरी, 2024 के बीच, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सबसे अधिक 612.4 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि 495.5 करोड़ रुपये के साथ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) दूसरे स्थान पर रही. 

वहीं बीजू जनता दल (बीजद) को 245.5 करोड़ रुपये, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) को 174.1 करोड़ रुपये, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) को 121.5 करोड़ रुपये, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को 60 करोड़ रुपये, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को 11.5 करोड़, और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 5.5 करोड़ रुपये मिले.

 

भारत की छह राष्ट्रीय पार्टियों में से चार पार्टियों – आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (सीपीआई-एम) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने ईसीआई की वेबसाइट पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी. 

उनमें से केवल आप ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा मिलने की घोषणा की, जिसे चुनावी बॉन्ड/चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से 10.1 करोड़ रुपये मिले.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023-24 में टीएमसी की कुल आय में चुनावी बॉन्ड का योगदान 95%, बीजद में 82%, झामुमो में 73%, बीआरएस में  72%, वाईएसआरसीपी में 64%, तेदेपा में 61% और आप में 44% था. वहीं डीएमके की 33% आय चुनावी बॉन्ड से थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में कम है.

कुल आय की बात करें, तो बीआरएस ने साल 2023-24 के लिए क्षेत्रीय दलों में सबसे अधिक 685.5 करोड़ रुपये आय की घोषणा की. इसके बाद टीएमसी ने 646.4 करोड़ रुपये और बीजद ने 297.8 करोड़ रुपये आय की घोषणा की. वहीं वाईएसआरसीपी ने साल 2023-24 में 295.8 करोड़ रुपये खर्च किए, इसके बाद बीआरएस ने 254.9 करोड़ रुपये खर्चे.

राष्ट्रीय पार्टियों में बसपा ने सबसे अधिक 64.8 करोड़ रुपये की आय दिखाई, आप ने 22.7 करोड़ रुपये, एनपीपी ने 22.4 लाख रुपये और सीपीएम ने 16.8 लाख रुपये की आय घोषित की.

वहीं पिछले वित्तीय वर्ष के लिए घोषित खर्च में से सबसे अधिक बसपा द्वारा 43.2 करोड़ रुपये रहा. 

चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से चंदा 

इस बीच ईसीआई की वेबसाइट पर मौजूद रिपोर्ट के अनुसार, प्रूडेंट चुनावी ट्रस्ट (पीईटी) (देश का सबसे बड़ा चुनावी ट्रस्ट) को वित्त वर्ष 24 में 1,075.7 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. प्रूडेंट द्वारा यह राशि छह पार्टियों के बीच वितरित की गई, जिसमें से भाजपा को सबसे अधिक 723.7 करोड़ रुपये मिले. इसके बाद कांग्रेस को 156.4 करोड़ रुपये, बीआरएस को 85 करोड़ रुपये, वाईएसआरसीपी को 72.5 करोड़ रुपये और तेदेपा को 33 करोड़ रुपये मिले.

ईसीआई 19 चुनावी ट्रस्टों को मान्यता देता है, लेकिन उनमें से केवल 14 का योगदान ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिनमें से पीईटी सहित केवल पांच चुनावी ट्रस्टों को वित्त वर्ष 24 में चंदा मिला.

पीईटी के शीर्ष दानदाताओं में आर्सेलर मित्तल, निप्पॉन स्टील इंडिया और डीएलएफ शामिल है, प्रत्येक ने 100 करोड़ रुपये का चंदा दिया. 

पिछले साल 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को तुरंत बॉन्ड जारी करना बंद करने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने ईसीआई की वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड के विवरण की घोषणा करने का भी आदेश दिया था. 

चुनावी बॉन्ड के विपरीत चुनावी ट्रस्टों को चंदादाता के नाम के साथ हर एक डोनेशन की घोषणा करनी होती है. ट्रस्टों को यह भी बताना होगा कि वे किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दे रहे हैं.

हालांकि, कौन-सी कंपनी किस पार्टी को कितना चंदा दे रही है, इसकी जानकारी गुमनाम रहती है.