महाकुंभ भगदड़: यूपी सरकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

महाकुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ में कम से कम 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक अन्य घायल हो गए. एक जनहित याचिका में यूपी सरकार पर प्रशासनिक चूक, लापरवाही और पूर्ण विफलता का आरोप लगाया गया है. इस बीच, भगदड़ की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@MahaKumbh_2025)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई, जिसमें बुधवार को महाकुंभ में हुई भगदड़ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से ‘प्रशासन की चूक, लापरवाही और पूर्ण विफलता’ का आरोप लगाया गया. इस भगदड़ में कम से कम 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक अन्य घायल हो गए.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में शीर्ष अदालत से बड़े धार्मिक समारोहों में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए नीतियां और नियम बनाने के निर्देश देने की मांग की गई है. साथ ही सभी राज्य सरकारों से कुंभ में एक समर्पित ‘भक्त सहायता प्रकोष्ठ’ स्थापित करके अपने-अपने राज्यों से इस आयोजन में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है.

जनहित याचिका में कई प्रमुख अनुरोध किए गए हैं, जिनमें सभी राज्यों को महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षित तीर्थयात्रा के लिए सहयोग करने के निर्देश देना, तथा विभिन्न राज्यों से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा उपायों और दिशा-निर्देशों पर आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए कुंभ में सुविधा केंद्र स्थापित करना शामिल है.

याचिका में दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक में भगदड़ जैसी त्रासदियों को रोकने और भीड़ प्रबंधन में सुधार के लिए राज्य सरकारों के बीच समन्वित प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ समन्वय में विभिन्न राज्यों से डॉक्टरों और नर्सों सहित छोटी मेडिकल टीमों की तैनाती के लिए अदालत से आदेश मांगा गया है ताकि आपात स्थिति के दौरान पर्याप्त चिकित्सा सहायता सुनिश्चित की जा सके.

सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस मामले पर विचार करने के लिए कोई तारीख तय नहीं की है.

ज्ञात हो कि लाहाबाद में बुधवार को सुबह-सुबह मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए, जब भीड़ पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर नदी के किनारे की एक संकरी पट्टी की ओर भागी और वहां खड़े लोगों को कुचलने लगी.

अधिकारियों ने बताया कि यह त्रासदी रात एक से दो बजे के बीच हुई, जब लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम तट पर डुबकी लगाने से पहले जगह तलाशने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे, उन्होंने सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. सेवानिवृत्त न्यायाधीश हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल जांच की निगरानी करेगा, जिसमें पूर्व डीजीपी वीके गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डीके सिंह सदस्य होंगे.

इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि घटना की एक अलग पुलिस जांच भी की जाएगी.

भगदड़ के बाद वीवीआईपी पास रद्द

भगदड़ के एक दिन बाद राज्य सरकार ने आगे की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. प्रशासन ने पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल ज़ोन घोषित करने सहित पांच बड़े बदलाव लागू किए हैं.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, महाकुंभ मेला क्षेत्र में सभी प्रकार के वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. वीवीआईपी पास रद्द कर दिए गए हैं. किसी भी विशेष पास के बिना वाहन प्रवेश की अनुमति नहीं होगी.

वन-वे रूट लागू किया गया है. श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुचारू बनाने के लिए वन-वे ट्रैफिक सिस्टम लागू किया गया है.

इसके अलावा भीड़भाड़ कम करने के लिए इलाहाबाद के पड़ोसी जिलों से आने वाले वाहनों को जिले की सीमाओं पर रोका जा रहा है. व्यवस्था बनाए रखने के लिए 4 फरवरी तक शहर में चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

मुख्यमंत्री ने कई दिशा निर्देश जारी किए

भगदड़ के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और अंतर-विभागीय समन्वय पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई दिशा निर्देश जारी किए. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा महाकुंभ व्यवस्थाओं की समीक्षा करने का आदेश दिया.

इलाहाबाद के एडीजी और जिला मजिस्ट्रेट को शहर से सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षित और सुचारू विदाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.

देर रात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आदित्यनाथ ने इलाहाबाद, कौशाम्बी, वाराणसी, अयोध्या, मिर्जापुर, बस्ती, जौनपुर और रायबरेली सहित कई जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और अधिकारियों को संबोधित किया.

इलाहाबाद के रेलवे स्टेशनों पर बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं के घर लौटने की तैयारी के मद्देनजर आदित्यनाथ ने अधिकारियों को रेल अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए परिवहन निगम को अतिरिक्त बसें चलाने का निर्देश दिया गया है.

मेला क्षेत्र में भीड़ के दबाव को नियंत्रित करने के लिए सीमा बिंदुओं पर होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं. स्थिति अनुकूल होने पर ही श्रद्धालुओं को आगे बढ़ने दिया जाएगा. राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि इन क्षेत्रों में भोजन, पेयजल और निर्बाध बिजली आपूर्ति की पर्याप्त व्यवस्था होगी.

अयोध्या, कानपुर, फतेहपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़ और वाराणसी सहित इलाहाबाद की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गों पर गश्त बढ़ाने और यातायात प्रवाह को सुव्यवस्थित करने का आदेश दिया गया है.