नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब महज़ कुछ दिनों का समय बचा है, ऐसे में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) के आठ विधायक पार्टी से इस्तीफा देने के एक दिन बाद शनिवार (1 फरवरी) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. इसे ‘आप’ के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, विधायकों ने आगामी चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद इस्तीफे दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी केंद्रीकृत, अपारदर्शी हो गई है और इसमें आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है.
इस्तीफ़ा देने वालों में महरौली के विधायक नरेश यादव, त्रिलोकपुरी के रोहित कुमार, जनकपुरी के राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर के मदन लाल, आदर्श नगर के पवन शर्मा, बिजवासन के भूपेंदर सिंह जून, पालम की भावना गौड़ और मादीपुर के गिरीश सोनी शामिल हैं.
इस्तीफे के बाद मदन लाल और भावना गौड़ ने कहा कि उनका आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से भरोसा उठ गया है. वहीं, दलित बहुल त्रिलोकपुरी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले रोहित कुमार ने ‘आप’ पर वोटों के लिए दलित/वाल्मीकि समुदाय का शोषण करने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने संविदा रोजगार समाप्त करने और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने जैसे वादों को पूरा करने में असफल बताया.
कभी ‘आप’ के सत्ता में आने के प्रबल समर्थक रहे नरेश यादव ने आंतरिक आवाज़ों के दमन पर निराशा व्यक्त की, जबकि राजेश ऋषि ने पार्टी पर पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को छोड़ने का आरोप लगाया.
ज्ञात हो कि नरेश यादव पर पंजाब के 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान कु़रान की बेअदबी के आरोप थे, जिस मामले में उनकी उम्मीदवारी का एलान होने के बाद कोर्ट में आरोप साबित हो गए. उन्हें दो साल की सज़ा सुनाई गई. इस कारण पार्टी ने उनकी जगह महेंद्र चौधरी को टिकट दे दी.
आदर्श नगर के विधायक पवन शर्मा ने कहा कि आम आदमी पार्टी जिस ईमानदार विचारधारा पर बनी थी, उस विचारधारा से पार्टी भटक चुकी है. आम आदमी पार्टी की यह दुर्दशा देखकर मन बहुत दुखी है. इसके अलावा बिजवासन के विधायक भूपेंदर सिंह जून ने भी पार्टी के बुनियादी मूल्यों और सिद्धांतों से भटकाव की बात कही है.
जनकपुरी सीट के विधायक राजेश ऋषि ने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से ये आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दिया है कि पार्टी संगठन ने अपने भ्रष्टाचार मुक्त शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने जैसे बुनियादी सिद्धांतों को छोड़ दिया है.
गौरतलब है कि बीते 2020 के विधानसभा चुनाव को देखें, तो आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं, वहीं भाजपा को आठ सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका था. तब आम आदमी पार्टी ने 21 मौजूदा विधायकों का टिकट काटा था. हालांकि, इसमें चार विधायक ऐसे भी थे जिनकी जगह उनके परिवार के सदस्य को टिकट दिया गया था.
मालूम हो कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 5 फ़रवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है और नतीजे 8 फ़रवरी को आएंगे. ऐसे में सवाल इन विधायकों के इस्तीफ़ा देने के समय को लेकर भी उठ रहा है. हालांकि, इस्तीफ़ा देने के बाद इन नेताओं ने भले ही दल बदल लिया हो, लेकिन इन्हें इस बार वे टिकट पाने में सफल फिर भी नहीं हो पाएं, क्योंकि नामांकन का आख़िरी दिन 17 जनवरी और नाम वापस लेने की आख़िरी तारीख 20 जनवरी थी जो बीत चुकी है. फिर भी इनके इस्तीफ़े से ये चर्चा शुरू हो गई है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस इस्तीफ़े का आम आदमी पार्टी के पर क्या असर होगा?