नई दिल्ली: केरल की एक अदालत ने शनिवार (1 फरवरी) को योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किया, क्योंकि दोनों कथित भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों को लेकर दिव्य फार्मेसी के खिलाफ केरल ड्रग्स इंस्पेक्टर द्वारा दायर आपराधिक मामले की सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुए.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, 15 फरवरी को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए वॉरंट जारी किए गए हैं.
इससे पहले पलक्कड़ के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट-द्वितीय की अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ जमानती वॉरंट जारी कर उन्हें एक फरवरी को अदालत में पेश होने को कहा था, लेकिन वे नहीं पहुंचे.
कन्नूर के नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू द्वारा कई शिकायतें दर्ज कराए जाने के बाद, नवंबर 2023 में केरल के औषधि नियंत्रण विभाग ने राज्य भर में अपने कार्यालयों को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, (डीएमआर अधिनियम) 1954 का उल्लंघन करने के लिए पतंजलि के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया था.
केरल औषधि निरीक्षक ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, (डीएमआर अधिनियम) 1954 की धारा 3, 3 (बी) और 3 (डी) के तहत शिकायत दर्ज की है, जिसमें अधिनियम की धारा 3 कुछ निर्दिष्ट बीमारियों और विकारों के उपचार के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाती है.
इस मामले में दिव्य फार्मेसी प्रथम आरोपी है, बालकृष्ण दूसरे और रामदेव तीसरे आरोपी हैं.
विज्ञापनों में दावा किया गया था कि पतंजलि आयुर्वेद के कुछ उत्पाद उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं. हालांकि, डीएमआर अधिनियम के तहत ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध है.
मालूम हो कि केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिखा था. फरवरी 2024 में लिखे पत्र में केंद्र से शिकायत करते हुए उत्तराखंड के अधिकारियों पर केंद्र के कई निर्देशों और प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बावजूद पतंजलि के हर्बल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था.