नई दिल्ली: अप्रैल 2020, देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था. सड़कों पर मातम पसरा था. पूरे भारत की तरह दिल्ली के अभावग्रस्त अस्पतालों की भी पोल खुल चुकी थी. ऐसे वक्त में भी सफाई कर्मचारी, डॉक्टर, नर्स, पुलिस, दवा विक्रेता और अन्य स्टाफ अपनी जान की परवाह किए बिना जनता की सेवा में लगे थे.
इसे देखते हुए दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी, ‘यदि कोई भी व्यक्ति कोविड-19 मरीज की सेवा करते हुए अपनी जान गंवाता है, चाहे वह सफाई कर्मचारी हो, डॉक्टर, नर्स या कोई अन्य स्टाफ, अस्थायी हो या स्थायी, निजी या सरकारी क्षेत्र से हो, उसके परिवार को उनकी सेवा के प्रति सम्मान स्वरूप एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे.’
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल अक्सर दावा करते हैं कि वह जनता से किया हर वादा पूरा करते हैं, लेकिन उनके अन्य कई वादों की तरह एक करोड़ रुपये देने का वादा भी अधूरा पड़ा है. दिल्ली सरकार ने ऐसे 40 प्रतिशत आवेदकों को एक करोड़ रुपये की ‘सम्मान राशि’ नहीं दी है, जिनके परिवार का सदस्य जनता की सेवा करते हुए मर गया.
मौत का भी नहीं हुआ ‘सम्मान’
शुरुआत में दिल्ली सरकार प्रतिबद्ध दिखी. ख़ुद अरविंद केजरीवाल कोरोना संक्रमितों का इलाज करते हुए जान गंवाने वाले एक डॉक्टर के परिवार से मिले थे, और एक करोड़ रुपये का चेक दिया था. लेकिन घोषणा के पांच साल बाद दिल्ली सरकार ने जान गंवाने वाले कितने फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिवारवालों को एक करोड़ रुपये की ‘सम्मान राशि’ दी है?
सामाजिक कार्यकर्ता कन्हैया कुमार द्वारा दाखिला आरटीआई के जवाब से पता चलता है कि इन पांच वर्षों में दिल्ली सरकार ने मात्र 92 मृतक फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि दी है.
दिल्ली सरकार ख़ुद बता रही है कि उसके पास 237 आवेदन आए थे. लेकिन उन्होंने इसमें से 83 आवेदनों को अस्वीकार कर दिया. जिन 154 मृतक फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों का आवेदन स्वीकार हुआ, उनमें से भी सिर्फ 92 को ही एक करोड़ रुपये की राशि मिली है यानी स्वीकृत आवेदकों में से भी 40 प्रतिशत को सरकार ने ‘सम्मान राशि’ नहीं दी है.
कितने फ्रंटलाइन वर्कर्स की गई जान?
एक अन्य आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया, ‘वर्तमान उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, कोविड-19 के कारण मरने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की कुल संख्या 177 है.’ इस 177 में 56 डॉक्टर, 16 पैरामेडिकल स्टाफ, 12 नर्स, और 92 सफाई कर्मचारी शामिल हैं.
संख्या ज्यादा हो सकती है क्योंकि इतना डेटा देने साथ ही आरटीआई के जवाब में यह भी लिखा है, ‘इसके अलावा, संबंधित सरकारी अस्पतालों/ संस्थानों से अलग-अलग आरटीआई के माध्यम से भी सूचना प्राप्त की जा सकती है, जैसा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के नियमों/ आदेशों के अनुसार है.’