नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने ‘गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने और उनका पालन करने वाले 18 कर्मचारियों का तबादला कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 फरवरी को जारी टीटीडी के कार्यकारी आदेश के अनुसार, कर्मचारियों में से छह विभिन्न टीटीडी शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक हैं. अन्य में एक उप कार्यकारी अधिकारी (कल्याण), एक सहायक कार्यकारी अधिकारी, एक सहायक तकनीकी अधिकारी (विद्युत), एक छात्रावास कार्यकर्ता, दो इलेक्ट्रीशियन और दो नर्स शामिल हैं.
आंध्र प्रदेश के धर्मस्व मंत्री अनम रामनारायण रेड्डी ने अखबार को बताया कि जो कर्मचारी ‘गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल हैं’ उसका मतलब है कि वे या तो ईसाई हैं या फिर मुसलमान. यह तब हुआ जब बोर्ड ने नवंबर में आयोजित एक बैठक में गैर-हिंदुओं को स्थानांतरित करने और राजनीतिक भाषणों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था – टीटीडी द्वारा अपने मौजूदा अध्यक्ष बी आर नायडू के शपथ ग्रहण के बाद पहली बैठक आयोजित की गई थी.
मंत्री ने कहा, ‘उनकी धार्मिक मान्यताएं या आस्था टीटीडी की हिंदू प्रथाओं से मेल नहीं खातीं, इसलिए उनका तबादला किया गया है. उन सभी को अन्यत्र समान पदों पर नियुक्त किया जाएगा.’
स्थानांतरित किए गए लोगों में तिरूपति के एस वी आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रोफेसर डॉ के वी विजया भास्कर रेड्डी, तिरूपति में एसपीडब्ल्यू डिग्री और पीजी कॉलेज में लेक्चरर और प्रिंसिपल के. सुजाता और जी. असुंथा, एसजीएस आर्ट्स कॉलेज के लेक्चरर के. प्रताप, एसवी आर्ट्स कॉलेज के लेक्चरर के. मानेकशॉ दयान, एसवी आयुर्वेदिक कॉलेज तिरूपति की प्रिंसिपल डॉ. रेणु दीक्षित शामिल हैं.
इसके अलावा ए. आनंद राजू, उप कार्यकारी अधिकारी (कल्याण विभाग, टीटीडी) और ए. राजशेखर बाबू, सहायक ईओ (नीलामी) का भी तबादला किया गया है.
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव द्वारा जारी आदेश में बोर्ड ने कहा है कि 18 कर्मचारियों को अन्य पदों पर स्थानांतरित कर दिया गया है.
इसमें आगे कहा गया है कि ‘भगवान वेंकटेश्वर और आदरणीय टीटीडी के समर्पित सेवकों के रूप में टीटीडी के सभी कर्मचारी सदियों से चली आ रही परंपराओं और मूल्यों को कायम रखते हुए मंदिर की पवित्रता बनाए रखने और भक्तों की मान्यताओं और भावनाओं को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
आदेश में कहा गया है कि 18 कर्मचारियों की पहचान गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने वालों के रूप में की गई है, भले ही ‘उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर के सामने शपथ ली है कि वे केवल हिंदू धर्म और हिंदू परंपराओं का पालन करेंगे और यह भी कहा है कि वे 24 अक्टूबर 1989 को राजस्व विभाग (बंदोबस्ती) के जीओ संख्या 1060 में जारी नियम 9 (vi) के अनुपालन में गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों का पालन नहीं करेंगे.’
आदेश में कहा गया है कि शपथ लेने के बाद भी 18 कर्मचारी गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में भाग ले रहे थे और हिंदू धार्मिक मेलों, त्योहारों और टीटीडी द्वारा आयोजित समारोहों में भी भाग ले रहे थे. आदेश में दावा किया गया है कि इससे ‘करोड़ों हिंदू भक्तों की पवित्रता, भावनाओं और विश्वासों पर असर पड़ता है.’
आदेश में टीटीडी के मुख्य अभियंता और उप कार्यकारी अधिकारी (एचआर) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि 18 लोगों को पहला तिरुमाला, दूसरा किसी मंदिर और तीसरा किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से संबंधित कार्य में तैनात न किया जाए.
स्थानांतरित किए गए अन्य लोगों में एसवी आर्ट्स कॉलेज में अनुबंध कर्मचारी एनसी भीमन्ना, श्री वेंकटेश्वर कर्मचारी प्रशिक्षण अकादमी (एवीईटीए) के निदेशक कार्यालय की वीबी कोमला देवी, टीटीडी के बिजली विभाग में इलेक्ट्रीशियन एम शेखर, बीआईआरआरडी अस्पताल की हेड नर्स टी कल्याणी और स्टाफ नर्स ए सौभाग्यम और एस रोजी, एसवी पुअर होम में मेडिको नर्सिंग अधिकारी टी नारायण स्वामी, सहायक तकनीकी अधिकारी (इलेक्ट्रिकल) जी असरवदम और सेंट्रल हॉस्पिटल, तिरुपति में रेडियोग्राफर जी गोपी शामिल हैं.
इस बीच, विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने इस कदम की निंदा की. तिरुपति वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सांसद मदिला गुरुमूर्ति ने अखबार से कहा, ‘अधिकांश कर्मचारी तिरुमाला में नहीं बल्कि तिरुपति में काम करते हैं, लेकिन धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कर्मचारियों को न्याय मिले और उन्हें राज्य सरकार के अन्य विभागों में सम्मान के साथ समायोजित किया जाए.’