नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार (7 फरवरी) को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत देते हुए मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से जुड़े भूमि घोटाला मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया है.
मालूम हो कि सामाजिक कार्यकर्ता एस. कृष्णा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करके इस मामले की जांच का केस सीबीआई को ट्रांसफर करने की अपील की थी. इस कथित घोटाले में कथित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती और उनके भाई के शामिल होने का दावा किया गया था. कर्नाटक की लोकायुक्त पुलिस इस मामले की जांच कर रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने इससे पहले 27 जनवरी को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि लोकायुक्त पुलिस मामले की प्रभावी ढंग से जांच नहीं कर रही है क्योंकि यह राज्य सरकार के दायरे में काम करती है.
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में लाए गए दस्तावेजों से ऐसी बिल्कुल भी प्रतीत नहीं होता है कि लोकायुक्त की ओर से की जा रही जांच में कोई लापरवाही बरती जा रही है. जांच में पक्षपात, एकतरफा या गलत दिशा में जाने के भी कोई सबूत नहीं हैं. ऐसे में मामले को सीबीआई को सौंपने का कोई औचित्य नहीं है. इसलिए याचिका खारिज की जाती है. मामले की जांच लोकायुक्त जारी रखेगा.
जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा, ‘रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने के बाद इस अदालत को ऐसा कोई संकेत नहीं मिला, जो यह बताता हो कि लोकायुक्त द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण, असंतुलित, या ग़लत है.’
ज्ञात हो कि सिद्धारमैया को मैसूर में अपनी पत्नी को 14 आवासीय स्थल आवंटित करने और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए राज्य विकास निगम से 89.73 करोड़ रुपये की चोरी से जुड़े कथित भूमि सौदे के लिए राज्य में विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
इस मामले में बीते साल अगस्त के महीने में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी दी थी. तब सिद्धारमैया ने कहा था कि राज्यपाल का निर्णय न केवल संविधान के विरुद्ध है, बल्कि कानून के भी विरुद्ध है.
कथित घोटाला क्या है?
एमयूडीए घोटाला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण की 50:50 प्रोत्साहन योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है.
एमयूडीए घोटाले में शहर के दूरदराज के इलाके में कम वांछनीय भूमि के लिए एक प्रमुख क्षेत्र में मूल्यवान भूमि का लेन-देन शामिल है. विपक्षी दलों का दावा है कि यह घोटाला 3,000 करोड़ रुपये का है और इसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती लाभार्थी हैं.
सिद्धारमैया ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि एमयूडीए ने मैसूर के केसरूर में उनकी पत्नी के स्वामित्व वाली चार एकड़ भूमि पर उचित अधिग्रहण के बिना अवैध रूप से एक लेआउट बनाया है.
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी खूब देखने को मिला.
बीएस येदियुरप्पा को भी हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
एक अन्य मामले में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को भी हाईकोर्ट से राहत मिली है. जस्टिस नागप्रसन्ना ने पूर्व सीएम येदियुरप्पा को पॉस्को केस में अग्रिम जमानत दे दी. लेकिन, हाईकोर्ट ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में उनके खिलाफ दर्ज पॉक्सो केस को खारिज करने से मना कर दिया.
गौरतलब है कि यह मामला 17 वर्षीय लड़की की मां द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है, जिन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया था जब वे इस फरवरी में मदद मांगने के लिए उनके बेंगलुरु आवास पर गए थे. येदियुरप्पा के खिलाफ 14 मार्च को सदाशिवनगर पुलिस स्टेशन में पोक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत शिकायत भी दर्ज की गई थी.