मणिपुर: कुकी संगठनों ने बीरेन सिंह के इस्तीफ़े का स्वागत किया, विपक्ष की जल्द शांति बहाली की मांग

मणिपुर हिंसा के क़रीब दो साल बाद सीएम पद से एन. बीरेन सिंह के इस्तीफ़े को लेकर कुकी संगठन ने कहा कि सिंह के जाने से उनकी बुनियादी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा. वहीं, कांग्रेस ने केंद्र और पीएम नरेंद्र मोदी से जातीय तनाव को समाप्त करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक/Manipur CMO)

नई दिल्ली: मणिपुर में जातीय संघर्ष छिड़ने के लगभग दो साल बाद एन. बीरेन सिंह ने सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया. हालांकि, विपक्षी नेताओं का मानना है कि बीरेन सिंह का इस्तीफा बहुत देर से लिया गया फैसला है. उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जातीय तनाव को समाप्त करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह भी किया है.

ज्ञात हो कि इस संघर्ष में अब तक कम से कम 250 लोगों की जान गई है, 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं और क्षेत्र में करीब दो साल से सामान्य जीवन को अस्त-व्यस्त हो गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कुकी-ज़ो और मेईतेई समुदायों के नेताओं – जो जातीय विभाजन के दोनों पक्षों में हैं – ने सिंह के जाने से कोई खास सार्थक बदलाव नहीं देखा.

कुकी-ज़ो समुदाय की मांगों का नेतृत्व करने वाले इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने कहा कि सिंह के जाने से उनकी बुनियादी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा.

आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा, ‘बीरेन सिंह सीएम हों या न हों, अलग प्रशासन की हमारी मांग वही रहेगी. मेईतेई लोगों ने हमें अलग कर दिया है और अब वापस जाने का कोई रास्ता नहीं है.’

वुअलज़ोंग ने सुझाव दिया कि सिंह का इस्तीफा राजनीतिक गणनाओं के कारण हुआ. उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना ​​है कि उन्हें पता था कि मणिपुर विधानसभा में ‘अविश्वास’ मतदान में उन्हें बाहर कर दिया जाएगा और अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया होगा. साथ ही, उनके ऑडियो टेप के लीक होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को उठाया है, मुझे लगता है कि इस बार भाजपा सरकार भी उन्हें बचाने के लिए कुछ खास नहीं कर सकती.’

वहीं, मणिपुर इंटीग्रिटी को समिति के पूर्व समन्वयक जीतेंद्र निंगोंबा, जो एक प्रमुख मेतेई संगठन है, ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि सिंह के लिए अपना इस्तीफा देने का यह सही समय था. यह कदम मणिपुर में कुकी अलगाववादी ताकतों को मजबूत करेगा. केंद्र मणिपुर में संकट को प्रभावी ढंग से निपटने में विफल रहा है और सिंह का इस्तीफा इसका एक और उदाहरण है.’

कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के प्रवक्ता सेलेन हाओकिप ने शांति वार्ता में प्रगति की संभावना देखी. उन्होंने कहा, ‘निवर्तमान मुख्यमंत्री केंद्र की ‘पहले शांति और फिर समझौता’ की स्थिति के प्रति असहयोगी थे. अब जब इंफाल में नेतृत्व में बदलाव की संभावना है, तो त्रिपक्षीय वार्ता फिर से शुरू होने की संभावना सकारात्मक दिखती है.’

‘बीरेन सिंह ने विभाजन को बढ़ावा दिया’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान ‘मणिपुर में विभाजन को बढ़ावा दिया’. गांधी ने एक्स पर लिखा, ‘मणिपुर में हिंसा, जानमाल की हानि और भारत के विचार के विनाश के बावजूद पीएम मोदी ने उन्हें पद पर बने रहने दिया.’

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने कहा, ‘सबसे जरूरी प्राथमिकता राज्य में शांति बहाल करना और मणिपुर के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाना है. प्रधानमंत्री मोदी को तुरंत मणिपुर का दौरा करना चाहिए, लोगों की बात सुननी चाहिए और अंत में सामान्य स्थिति वापस लाने की अपनी योजना के बारे में बताना चाहिए.’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सिंह का इस्तीफा ‘घोड़ा भाग जाने के बाद अस्तबल का दरवाजा बंद करने जैसा है.’

उन्होंने कहा, ‘यह कहना दुखद है कि 21 महीने तक भाजपा ने मणिपुर में आग लगाई और लोगों को, सभी समुदायों को उनके हाल पर छोड़ दिया. उनकी अक्षमता और राजधर्म के प्रति घोर उपेक्षा के परिणामस्वरूप कम से कम 258 लोग मारे गए, पुलिस शस्त्रागारों से 5,600 से अधिक हथियार और 6.5 लाख राउंड गोला-बारूद लूट लिए गए, 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए और हजारों लोग अभी भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तिरस्कार और उदासीनता के असली दोषी हैं. वह भूल गए हैं कि मणिपुर भारत का हिस्सा है. अब समय आ गया है कि वह अपनी याददाश्त को फिर से जगाएं और मणिपुर राज्य को भारत के मानचित्र पर खोजें!’

खरगे ने कहा, ‘जनवरी 2022 में अपने आखिरी चुनाव अभियान के बाद से मोदी जी ने मणिपुर की धरती पर कदम नहीं रखा है, हालांकि बीच में उनके पास कई विदेशी देशों का दौरा करने का समय था. अब जबकि सीएम ने देर से ही सही, इस्तीफा दे दिया है, हम उम्मीद करते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वे मणिपुर का दौरा करें और लोगों से भयावह कहानियां सुनें.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी के अविश्वास प्रस्ताव, जनता के बढ़ते दबाव और सुप्रीम कोर्ट की जांच के परिणामस्वरूप बदनाम सीएम को इस्तीफा देना पड़ा है. शुक्र है कि इस बार यह 2023 जैसा इस्तीफ़ा-ड्रामा नहीं है, और बेहतर समझ की जीत हुई है!’

वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा ने कहा कि इस्तीफा भाजपा की तथाकथित ‘डबल इंजन’ सरकार की पूर्ण विफलता की स्वीकृति है. उन्होंने मणिपुर में सभी हितधारकों और राजनीतिक दलों को स्थायी शांति की दिशा में काम करने के लिए शामिल करने का आह्वान किया.

मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष के मेघचंद्र सिंह का कहना है कि इस्तीफा 2022 के चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हुए नौ विधायकों के खिलाफ उनकी योजनाबद्ध अविश्वास प्रस्ताव और अयोग्यता याचिकाओं के कारण दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘नौ विधायकों के खिलाफ हमारी अयोग्यता याचिकाओं और अविश्वास प्रस्ताव की धमकी ने सत्तारूढ़ भाजपा के भीतर विभाजन पैदा कर दिया, जिसने अंततः सीएम को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया.’

बीरेन सिंह के खिलाफ सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर लंबे समय से चल रहे विद्रोह को और हवा देने वाली बात यह रही कि 3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के एक मामले में ट्रुथ लैब जैसी प्रतिष्ठित निजी प्रयोगशाला ने यह प्रमाणित किया कि सिंह की आवाज के नमूने लीक हुए ऑडियो टेप, जिसमें उन्होंने राज्य में जातीय हिंसा को बढ़ावा देने का श्रेय लिया गया था, में कथित तौर पर उनकी आवाज से ’93 प्रतिशत’ मेल खाते हैं.