नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने पिछले छह वर्षों में छात्रों से 18 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला है. ये वसूली विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने और विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन करने की वजह से हुई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने एक विश्लेषण में बताया है कि यह राशि जेएनयू के स्नातक (अंडरग्रेजुएट) पाठ्यक्रमों में दाखिल छात्रों से लिए जाने वाले वार्षिक शुल्क से लगभग चार गुना अधिक है.
जेएनयू एक सरकारी विश्वविद्यालय है, जहां अधिकांश अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का शुल्क प्रति वर्ष 410 रुपये है. नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 तक जेएनयू में 10 अंडरग्रेजुएट कार्यक्रमों में 1,209 छात्र दाखिल थे. इस तरह विश्वविद्यालय ने शुल्क के माध्यम से कुल 4,95,690 रुपये इकट्ठा किए हैं.
छात्रों पर चल रहा है ‘डिसिप्लिनरी रूल्स’ का हंटर!
ये जुर्माने जेएनयू द्वारा कड़े अनुशासन (डिसिप्लिनरी) नियम लागू किए जाने के बीच आए हैं, विशेष रूप से चीफ प्रॉक्टोरियल ऑफिस के माध्यम से, जो दिसंबर 2023 में विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचित एक मैन्युअल के तहत काम कर रहा है.
यह मैन्युअल कैंपस में प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाता है और ‘देश विरोधी’ नारे लगाने, वाइस चांसलर के कार्यालय जैसे प्रतिबंधित क्षेत्रों में धरना देने, और दीवारों पर नारे या ग्रेफिटी लिखने जैसे उल्लंघनों पर 20,000 रुपये तक जुर्माना लगाने की बात करता है. यह मामला जेएनयू में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है.
मैन्युअल के लागू होने के बाद विश्वविद्यालय ने लाखों रुपये के जुर्माने लगाए हैं, जिसमें कुछ छात्रों ने जुर्माना अदा किया है, जबकि अन्य छात्रों को भुगतान न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी सामने आई है.
किस साल कितना जुर्माना?
आरटीआई से मिले आंकड़ों के अनुसार, जेएनयू ने 2019 में 3.5 लाख रुपये, 2020 में 40,000 रुपये, 2021 में 2.4 लाख रुपये, 2022 में 3.8 लाख रुपये और 2023 में 5.5 लाख रुपये जुर्माना लिया. पिछले साल विश्वविद्यालय ने 2.5 लाख रुपये जुर्माना इकट्ठा किया. कुल जुर्माना राशि इससे अधिक है, क्योंकि कई छात्रों ने जुर्माना नहीं भरा या उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा माफ कर दिया गया.
विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार, जो छात्र जुर्माना नहीं भरते, उन्हें अतिरिक्त कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, जिसमें निष्कासन और एक विशेष समय के लिए ‘आउट ऑफ बॉउंड्स’ घोषित कर दिया जाना शामिल है, जिससे उन्हें कक्षाओं में भाग लेने या विश्वविद्यालय की गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया जाता है.