नई दिल्ली: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित पुस्तक मेले को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के अनुरोध के बाद रद्द कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘किताब कौथिग’ का 12वां संस्करण क्रिएटिव उत्तराखंड की टीम द्वारा शुरू में जनवरी के महीने में पौड़ी के श्रीनगर स्थित सरकारी गर्ल्स इंटर कॉलेज में आयोजित किया जाना था, लेकिन कार्यक्रम के आयोजकों में से एक हेम पंत की माने, तो आरएसएस ने इसका विरोध किया, जिसके चलते इसका आयोजन नहीं किया जा सका.
पंत ने दावा किया कि इसे आरएसएस के विरोध के बाद स्थगित कर दिया गया और फिर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के डीन से इसके आयोजन की अनुमति मांगी गई. विश्वविद्यालय की ओर से सीनेट हॉल में पुस्तक मेले और एक पैनल चर्चा को मंजूरी भी मिल गई. लेकिन बाद में उन्हें सूचित किया गया कि वे लोग परिसर में पुस्तक मेला आयोजित नहीं कर सकते. इसके बाद शहर के मैदान में पुस्तक मेला आयोजित करने के लिए रामलीला समिति से संपर्क किया गया, लेकिन लिखित अनुमति के बावजूद आरएसएस ने उसी दिन उसी स्थान पर अपना एक कार्यक्रम आयोजित कर लिया है.
पंत ने कहा कि अब उन्होंने कार्यक्रम रद्द करने का फैसला किया है. क्योंकि कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने उनसे कहा है कि अगर उन्होंने कार्यक्रम आयोजित किया तो वे लोग किताबें जला देंगे.
पंत का ये भी कहना है कि इन समूहों ने कम्युनिस्ट साहित्य रखने को लेकर उन पर आरोप लगाए हैं. ‘लेकिन यह एक पुस्तक मेला है जिसमें विभिन्न विषयों पर 70,000 से अधिक पुस्तकें हैं.’
उन्होंने बताया कि आयोजकों द्वारा सामाजिक मुद्दों पर बोलने वाले लोक कलाकार नरेंद्र सिंह नेगी को भी लाने की योजना बनाई गई थी. यह भी आरएसएस को भी पसंद नहीं आया.
इस संबंध में एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के डीन ने कहा कि उन्हें एबीवीपी छात्र संघ के साथ ‘बैठक’ के बाद अनुमति पर पुनर्विचार करना पड़ा.
डीन के मुताबिक, ‘एबीवीपी ने पुस्तक मेले और परिसर में कार्यक्रम पर असंतोष व्यक्त किया. वे चिंतित थे कि किताबें लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करेंगी, इसलिए हमें इस पर पुनर्विचार करना पड़ा.’
एमए अंग्रेजी के छात्र और संघ अध्यक्ष जसवंत सिंह राणा ने कहा कि विश्वविद्यालय में परीक्षाएं हो रही थीं. हमने भी एक कार्यक्रम की योजना बनाई थी, लेकिन हम नहीं चाहते थे कि परीक्षाएं बाधित हों. हमने प्रशासन के साथ चर्चा की, जिसके कारण विश्वविद्यालय ने पुस्तक मेले की अनुमति रद्द कर दी.
15 फरवरी को रामलीला मैदान में उनके ‘विद्यार्थी एकीकरण’ कार्यक्रम के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए क्षेत्रीय आरएसएस छात्र विंग के अध्यक्ष शुभम भट्ट ने कहा, ‘हमने पुस्तक मेले से बहुत पहले ही रामलीला मैदान में अपना कार्यक्रम निर्धारित कर लिया था. विश्वविद्यालय ने अनुमति देने से इनकार कर दिया क्योंकि विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में सभी के लिए भी किताबें हैं. हम इस बारे में विस्तार से नहीं बता सकते कि इसे क्यों रद्द करना पड़ा.’
मालूम हो पुस्तक मेला राज्य में सक्रिय हो गया है, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी बैजनाथ में इसके दूसरे संस्करण में भाग ले रही हैं.
इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए भाजपा मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि एबीवीपी देश और युवाओं के भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘एबीवीपी राष्ट्र के विकास के लिए शिक्षा और संस्कृति के सही स्वरूप में विश्वास करती है. अगर उन्होंने चिंताएं जताई हैं, तो वे युवाओं की भलाई के लिए होनी चाहिए.’
लेखक ने निराशा जताई
उधर, किताब कौथिग रद्द होने पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने निराशा व्यक्त की है.
उन्होंने सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर लिखा, ‘साथियों मुझे ज्ञात हुआ कि भाजपा से जुड़े विद्यार्थी संगठन के दबाव में प्रशासन ने श्रीनगर में किताब कौथिग के आयोजन की अनुमति नहीं दी. मैं सोच रहा हूं, वो कैसे विद्यार्थी और कैसे अधिकारी हैं जो किताबों से इतना डर रहे हैं. इस किताब कौथिग में हिंदी अंग्रेजी के अलावा हमारी लोकभाषाओं की किताबों के भी 40-50 प्रकाशक आ रहे थे. मैंने भी शामिल होना था लेकिन…’
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किताब कौथिग को अनुमति न मिलने को लेकर भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भी हल्ला बोला है.
भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा, ‘भाजपा के छात्र संगठन का नाम विद्यार्थी परिषद है. उसे किताबों और कविताओं से डर लग रहा है. इतना डर कि लोक-कवियों और किताबों के कार्यक्रम ‘किताब कौथिक’ को निरस्त करवा दिया है. भाजपा ने नाम विद्यार्थी परिषद रखा है जरूरी थोड़ी है काम पढ़ने-लिखने वाले हों.’
भाजपा @BJP4UK के छात्र संगठन का नाम विद्यार्थी परिषद @ABVPUttarakhand है और उसे किताबों और कविताओं से डर लग रहा है । इतना डर कि लोक-कवियों और किताबों के कार्यक्रम ‘किताब कौथिक’ को निरस्त करवा दिया ।
भाजपा ने नाम विद्यार्थी परिषद रखा है जरूरी थोड़ी है काम पढ़ने-लिखने वाले हों । pic.twitter.com/Hw6ratdD8d— Mohit Dimri (@mohitdimriuk) February 13, 2025
इस मामले को लेकर एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव अंकित सुंदरियाल और प्रदेश सचिव मुकुल कुमार ने भी नाराजगी व्यक्त की है.
उन्होंने कहा 15 और 16 फरवरी को श्रीनगर रामलीला मैदान में किताब कौथिग मेला होना था, जिसमें गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की उपस्थिति अपेक्षित थी. इस आयोजन में हिंदी, अंग्रेजी और गढ़वाली लोकभाषा के लेखकों की पुस्तकें प्रदर्शित की जानी थीं, लेकिन विद्यार्थी परिषद के विरोध के चलते इसे रद्द कर दिया गया.
एनएसयूआई नेताओं ने इसे भाजपा के अनुशांगिक संगठन की ‘कुंठित मानसिकता’ का उदाहरण बताया.
उन्होंने कहा ज्ञान किसी भी माध्यम से ग्रहण करना चाहिए, लेकिन विरोध के कारण बुद्धिजीवियों और छात्रों को इस अवसर से वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा राज्य के शिक्षा मंत्री इसी विधानसभा क्षेत्र से आते हैं. उन्हें शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए, बजाय इसके कि छात्रों को इस तरह के आयोजनों से रोका जाए.