ओडिशा: काठमांडू के हस्तक्षेप के बाद केआईआईटी के नेपाली छात्रों के कैंपस छोड़ने का आदेश रद्द

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी ने एक नेपाली छात्रा की कथित आत्महत्या के बाद नेपाल के छात्रों को परिसर छोड़कर जाने को कहा गया था. हालांकि, नेपाल के प्रधानमंत्री द्वारा हस्तक्षेप के बाद संस्थान ने नेपाली छात्रों से कैंपस में लौटने की अपील की है.

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी. (फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री ने सोमवार (17 फरवरी) को घोषणा की कि नेपाल के दूतावास ने भुवनेश्वर में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में नेपाली छात्रों को परामर्श देने के लिए दो अधिकारियों को भेजा है. यह घोषणा काठमांडू द्वारा छात्रों को कैंपस से बाहर निकालने के मामले में हस्तक्षेप करने के तुरंत बाद की गई.

ख़बरों के अनुसार, केआईआईटी अधिकारियों ने रविवार को परिसर में एक नेपाली छात्रा की कथित आत्महत्या के बाद छात्रों को वहां से चले जाने को कहा तथा नेपाल के कुछ छात्रों ने प्रतिक्रियास्वरूप विरोध प्रदर्शन किया.

नई दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास ने एक बयान में कहा कि केआईआईटी ने नेपाली छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में रहने और अध्ययन की व्यवस्था की.

देश के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक्स पर कहा कि अगर नेपाली छात्र चाहें तो उनके लिए भी घर वापस जाने की व्यवस्था की गई है. केआईआईटी ने सोमवार को नेपाली छात्रों से कैंपस में लौटने की अपील की.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया है कि छात्रा ने रविवार को अपने छात्रावास में आत्महत्या कर ली.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह भी कहा गया कि छात्रा ने इसलिए आत्महत्या की होगी कि उसका एक अन्य छात्र, जिसके बारे में माना जाता है कि वह उसके साथ रिलेशनशिप में थीं, के साथ ‘व्यक्तिगत विवाद’ था. विश्वविद्यालय ने कहा कि छात्र को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में ले लिया गया है.

अखबार के अनुसार कुछ नेपाली छात्रों ने परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि महिला ने अपने एक बैचमेट द्वारा उत्पीड़न के संबंध में विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय में शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की.

विश्वविद्यालय ने कथित तौर पर सभी नेपाली छात्रों के लिए अनिश्चितकाल (अगली सूचना तक) के लिए बंद घोषित कर उन्हें सोमवार को परिसर खाली करने का आदेश दिया था.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 500 ​​से ज़्यादा नेपाली छात्रों को जबरन परिसर छोड़ने पर मजबूर किया गया और यूनिवर्सिटी ने छात्रों को कटक रेलवे स्टेशन तक बसों से भेजा ताकि वे घर जा सकें. अख़बार के मुताबिक कई छात्रों के पास ट्रेन टिकट नहीं थे.

लेकिन बाद में केआईआईटी ने सार्वजनिक रूप से अपने नेपाली छात्रों से अपील की, जो परिसर छोड़ चुके हैं या छोड़ने की योजना बना रहे हैं कि वे वापस लौट आएं और कक्षाएं फिर से शुरू करें.

इसके तुरंत बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय ने अपने भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक विज्ञप्ति सार्वजनिक रूप से पोस्ट की जिसमें कहा गया कि उसने केआईआईटी से नेपाली छात्रों को परिसर में रहने की अनुमति देने का अनुरोध सफलतापूर्वक किया है. इसमें यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय ने छात्रा की मौत की ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष’ जांच पर जोर देने की प्रतिबद्धता जताई है.