नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने 17 फरवरी को जेल में बंद पत्रकार महेश लांगा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कथित तौर पर गोपनीय सरकारी दस्तावेजों के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस दिव्येश ए जोशी ने कहा, ‘इस मामले में जांच के दौरान जांच अधिकारी द्वारा एकत्र की गई सामग्री से प्रथम दृष्टया अपराध में याचिकाकर्ता की संलिप्तता का पता चलता है. इसके अलावा, जांच अभी शुरुआती चरण में है और इस स्तर पर याचिकाकर्ता के पक्ष में अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करना इस अदालत के लिए उचित नहीं होगा. उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है.’
मामले में अभियोजन पक्ष के दावों के अनुसार, द हिंदू के पत्रकार लांगा से गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) के गोपनीय दस्तावेज जब्त किए गए, जिसके कारण वर्तमान प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई.
लांगा पर आपराधिक विश्वासघात, क्लर्क द्वारा चोरी और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अन्य अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया है.
लांगा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि पत्रकार का नाम शुरू में एफआईआर में नहीं था और उसे धारणाओं के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने यह भी बताया कि आज तक जीएमबी के किसी भी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है और केवल लांगा को ही हिरासत में लिया गया है. जिसके बारे में सिब्बल ने कहा कि पत्रकार को गिरफ्तार करने के पीछे एक अप्रत्यक्ष मकसद है.
हालांकि, अदालत ने पाया कि प्रथम दृष्टया लांगा के खिलाफ मामला बनता है, और याचिका खारिज कर दी.
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) की शिकायत के आधार पर भी एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें उन पर जीएमबी के गोपनीय दस्तावेज रखने के आरोप लगाया गया है. इस संबंध में 22 अक्टूबर 2024 को गांधीनगर के सेक्टर-7 पुलिस थाने में दर्ज की गई थी.
इससे पहले पत्रकार संगठनों ने गुजरात पुलिस द्वारा लांगा के खिलाफ की गई कार्रवाई की निंदा की थी.
मालूम हो कि द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं और साबरमती सेंट्रल जेल में बंद हैं. उन पर तीन केस दर्ज किया गया है. पहली एफआईआर कथित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी के मामले में दर्ज की गई थी. तीसरी एफआईआर धोखाधड़ी के मामले में दर्ज की गई थी.
अहमदाबाद अपराध शाखा ने उन्हें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी करने वाली कंपनियों के गठजोड़ का हिस्सा होने के आरोप में 10 अक्टूबर 2024 को गिरफ्तार किया था. ये एफआईआर जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की शिकायत पर आधारित है.
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 200 फर्जी फर्मों का एक नेटवर्क एक ही पैन नंबर का इस्तेमाल करके सरकार को जीएसटी का चूना लगाने का काम कर रहा है. इन 13 कंपनियों में से एक कंपनी कथित तौर पर पत्रकार के भाई लांगा मनोज कुमार रामभाई की है. दिलचस्प बात यह है कि मनोज कुमार रामभाई को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, एफआईआर में उनका नाम नहीं है. लांगा के वकील वेदांत राजगुरु ने यह भी कहा है कि उनके मुवक्किल डीए एंटरप्राइज कंपनी के न तो निदेशक थे और न ही प्रमोटर थे, जिसका नाम मामले की एफआईआर में है.
द हिंदू में वरिष्ठ सहायक संपादक महेश लांगा पिछले दो दशकों से गुजरात से संबंधित मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं.