1984 सिख दंगे से जुड़े एक मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सज़ा

दिल्ली की एक अदालत ने 1 नवंबर, 1984 को सिख विरोधी दंगों के दौरान हुई दो हत्याओं के मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. फिलहाल वह दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Allen Allen/Flickr CC BY 2.0)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक हत्या मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को मंगलवार (25 फरवरी) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

दंगों के 40 साल बाद यह फैसला आया. सज्जन कुमार वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं, जहां वे 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में पहले से ही सजा काट रहे हैं.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने 1 नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या के मामले में फैसला सुनाया.

अदालत ने अभियोजन पक्ष और शिकायतकर्ता की कुमार के लिए मौत की सज़ा की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया. न्यायाधीश ने स्वीकार किया कि कुमार द्वारा किए गए अपराध क्रूर और निंदनीय थे.

उन्होंने कहा, ‘साथ ही, कुछ ऐसे कारक भी हैं जो, मेरी राय में मृत्युदंड के बजाय कम सजा देने के पक्ष में हैं. जेल अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार दोषी का ‘संतोषजनक’ आचरण, वह बीमारियां जिनसे वह पीड़ित हैं, यह तथ्य कि दोषी की जड़ें समाज में हैं और उसके सुधार और पुनर्वास की संभावना ऐसे भौतिक विचार हैं जो, मेरी राय में मृत्युदंड के बजाय आजीवन कारावास की सजा के पक्ष में हैं.’

अदालत ने 12 फरवरी को कुमार को अपराध के लिए दोषी ठहराया था और तिहाड़ सेंट्रल जेल से उनके मानसिक और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन पर रिपोर्ट मांगी थी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड वाले मामलों में ऐसी रिपोर्ट मांगती है.

अदालत ने पहले पाया था कि कुमार ने 1984 में एक भीड़ को उकसाया था, जो लाठियों और सरिया जैसे घातक हथियारों से लैस थी. अदालत ने 12 फरवरी के फैसले में कहा था, ‘आरोपी सज्जन कुमार ऐसी गैरकानूनी सभा का सदस्य होने के नाते, 1 नवंबर 1984 को हुए दंगों की घटना के दौरान शिकायतकर्ता पीडब्लू-13 के पति और बेटे जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या के दोषी हैं.’

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 1 नवंबर 1984 को पश्चिमी दिल्ली के राज नगर निवासी एस.  जसवंत सिंह और उनके बेटे एस. तरुण दीप सिंह की कुमार के नेतृत्व में हजारों लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी थी.

मामले में एफआईआर शिकायतकर्ता के 9 सितंबर, 1985 के हलफनामे के आधार पर दर्ज की गई थी, जिसकी पहचान गुप्त रखी गई थी.

2015 में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 1984 के दंगों के मामलों की फिर से जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया, जिसके बाद मामले में शिकायतकर्ता ने 23 नवंबर, 2016 को अपना बयान दर्ज कराया. कुमार को इस मामले में 6 अप्रैल, 2021 को गिरफ्तार किया गया था, जबकि वह 1984 के दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे.

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि कुमार एक भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने गैरकानूनी सभा को ‘बड़े पैमाने पर दंगे, आगजनी और लूटपाट’ करने के लिए उकसाया.