नई दिल्ली: डेढ़ साल से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में कोरौंगनबा खुमान और इसके ‘पीआरओ’ रॉबिन मंगांग के नेतृत्व में कट्टरपंथी मेईतेई संगठन अरमबाई तेंग्गोल के सदस्यों ने मंगलवार को राजभवन में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की, जिसके बाद उन्होंने हथियार छोड़ने के लिए ‘नियम और शर्तें’ रखने का दावा किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर राइफल्स परिसर से हथियार और गोला-बारूद की लूट सहित कई मामलों के संबंध में अरमबाई तेंग्गोल और खुमान की एनआईए द्वारा जांच की जा रही है.
यह बैठक राज्यपाल भल्ला द्वारा 20 फरवरी को दोनों समुदायों के सदस्यों द्वारा लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सरेंडर करने के लिए सात दिनों की समयसीमा तय करने के बाद हुई है.
उन्होंने कहा था कि इस अवधि के बाद ऐसे हथियार रखने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बाद में मीडिया से बात करते हुए रॉबिन मंगांग ने कहा कि बैठक सकारात्मक रही और जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उनसे हथियार छोड़ने का अनुरोध किया है, लेकिन ‘हमने अपनी शर्तें भी रखी हैं.’ उन्होंने जोड़ा, ‘अगर हमारी शर्तें पूरी होती हैं, तो हम हथियार छोड़ देंगे और अगर नहीं, तो हम देखेंगे.’
समूह ने राज्यपाल को एक ‘ज्ञापन’ भी सौंपा. इसमें मांग की गई है कि किसी भी आयोग, न्यायाधिकरण, अदालत आदि द्वारा अरमबाई तेंग्गोल सहित गांव के वॉलंटियर्स के खिलाफ कोई गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई न की जाए.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कोरौंगनबा खुमान ने हथियार समर्पण की शर्तें और समयसीमा बताने से इनकार करते हुए कहा कि अरमबाई तेंग्गोल बाद में इसका खुलासा करेंगे.
अरमबाई तेंग्गोल द्वारा भल्ला को सौंपे ज्ञापन में म्यांमार के साथ सीमा पर बाड़ लगाने, 1951 को कट-ऑफ मानकर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू करने, अवैध प्रवासियों को वापस भेजने, कुकी समूहों के खिलाफ अभियान के निलंबन के समझौते को रद्द करने आदि की भी मांग की गई है.
इसमें आश्वासन मांगा गया कि अरमबाई तेंग्गोल सहित वॉलंटियर्स या सशस्त्र नागरिकों के खिलाफ कोई गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी और बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया जाएगा.
बता दें कि मणिपुर में हिंसा मई 2023 में तब भड़की थी, जब मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने एकजुटता मार्च निकाला था.
अरमबाई तेंग्गोल पर कुकी आदिवासियों की हत्या करने और उनके घरों को नष्ट करने का आरोप है. कुकी-ज़ो समूहों द्वारा समूह पर उनके समुदाय के खिलाफ हिंसक हमलों में सबसे आगे रहने का आरोप लगाया गया है.
मालूम हो कि 3 मई 2023 को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 226 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.