जम्मू-कश्मीर: विधायक का आरोप- चिनार के पेड़ों की कटाई पर ख़बर के बाद पत्रकार हिरासत में लिए गए

सूत्रों ने बताया कि अनंतनाग में स्थानीय समाचार संस्थाओं के साथ काम करने वाले कम से कम तीन पत्रकारों को जिला प्रशासन ने पिछले महीने कई चिनार पेड़ों की कथित कटाई पर उनकी ख़बरों के बाद हिरासत में लिया था. कथित तौर पर कटे गए पेड़ों में से कुछ सैकड़ों साल पुराने माने जाते थे.

कश्मीर में चिनार के पेड़ों की फ़ाइल तस्वीर. (फोटो साभर: फिरदौस पैर्रे/Pixahive. CC0)

नई दिल्ली: सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य बशीर अहमद वीरी ने बुधवार (5 मार्च) को आरोप लगाया कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में पेड़ों की कटाई को लेकर रिपोर्टिंग करने वाले कुछ पत्रकारों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को विधानसभा में बोलते हुए बिजबेहरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बशीर अहमद वीरी ने अनंतनाग में अज्ञात संख्या में कश्मीरी पत्रकारों की कथित हिरासत की निंदा की, जिन्होंने पिछले महीने जिले के रानी बाग में चिनार (प्लैटैनस ओरिएंटलिस) के पेड़ों की कटाई पर रिपोर्ट की थी.

वीरी ने कहा कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय जिला प्रशासन ने कथित तौर पर इस मुद्दे पर खबर देने वाले पत्रकारों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था.

उन्होंने स्पीकर अब्दुल रहीम राथर से कश्मीर में पत्रकारों के लिए प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया ताकि वे बिना किसी डर के अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन कर सकें.

उन्होंने कहा, ‘लोकतांत्रिक समाज में स्वतंत्र प्रेस जरूरी है और पत्रकारों को दबाने के बजाय उनकी सुरक्षा के प्रयास किए जाने चाहिए.’

सूत्रों ने बताया कि स्थानीय समाचार आउटलेट्स के साथ काम करने वाले कम से कम तीन पत्रकारों को जिला प्रशासन ने पिछले महीने कई चिनार पेड़ों की कथित कटाई पर उनकी रिपोर्ट के बाद हिरासत में लिया था. इन में से कुछ पेड़ सैकड़ों साल पुराने माने जाते थे.

सूत्रों ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन पत्रकारों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग से ‘खुश’ नहीं था, जो कथित तौर पर पर्यावरणीय क्षति के इस कथित कृत्य के बारे में अपनी रिपोर्ट में आधिकारिक दृष्टिकोण को शामिल करने में विफल रहे थे.

हिरासत में लिए गए पत्रकारों के नाम द वायर ने सुरक्षा चिंताओं के कारण उजागर नहीं किए हैं. इन्हें 27 फरवरी को हिरासत में लिया गया था, लेकिन यह तुरंत पता नहीं चल पाया था कि उनके खिलाफ कोई आरोप लगाए गए हैं या नहीं.

एक सूत्र ने द वायर को बताया, ‘उन्हें एक पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था और तीन दिनों तक वहां रखा गया था, जिसके बाद 1 मार्च को उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.’

इस संबंध में अनंतनाग के डिप्टी कमिश्नर सैयद फखरुद्दीन हामिद से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका. वहीं, अनंतनाग के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जीवी संदीप चक्रवर्ती ने कहा कि वह एक मीटिंग में हैं और ‘बाद में’ फोन करने का वादा किया.

द वायर ने मैसेज और फोन कॉल के जरिये अधिकारियों तक पहुंचने की कोशिश की है. प्रतिक्रिया मिलने पर यह स्टोरी अपडेट की जाएगी.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विशिष्ट वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1969 के तहत संरक्षित प्रजाति चिनार के पेड़ों की कथित कटाई ने कश्मीर में सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया है, वीरी और अन्य राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ कुछ पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में देखा जा सकता है कि रानी बाग में तीन चिनार के पेड़ों को काटा गया है, इसकी चोटियां और शाखाएं लकड़ी के लट्ठों के रूप में अनंतनाग जिले में एक छोटी पहाड़ी की गोद में स्थित सार्वजनिक पार्क में फैली हुई हैं.

मालूम हो कि विधायक वीरी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से इस घटना का संज्ञान लेने का आग्रह किया था, जबकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए प्रशासन को इस ‘हरकत’ के लिए आलोचना की थी.

एक बयान में श्रीनगर स्थित नागरिक समाज सूत्रीकरण पर्यावरण नीति समूह (ईपीजी) ने पूरे कश्मीर में चिनार के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के लिए जिला प्रशासन की आलोचना की है. यह देखते हुए कि ये पेड़ अत्यधिक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिक मूल्य रखते हैं.

ईपीजी के संयोजक फैज़ बख्शी ने एक बयान में कहा, ‘चिनार के पेड़ों का विनाश इस विरासत की रक्षा के लिए स्थापित कानूनों के घोर उल्लंघन और कश्मीर की संस्कृति के साथ गंभीर अन्याय को दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि अधिकारियों के बीच चिनार के पेड़ों के प्रति कथित असंवेदनशीलता है.

समूह ने कहा,’यह बेहद चिंताजनक है कि यह घटना (रानी बाग) इकलौती नहीं है. हाल की इंफ़्रा विकास परियोजनाओं में 100 से अधिक चिनार पेड़ों को उखाड़ दिया गया.’

ज्ञात हो कि इससे पहले भी ईपीजी ने चिनार के पेड़ों को काटने का विरोध किया था. लेखक और पर्यावरण कार्यकर्ता राजा मुजफ्फर भट ने भी पेड़ों की कटाई के लिए प्रशासन की आलोचना की है.

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘पिछले 30 वर्षों में कश्मीर में जिन चिनार के पेड़ों को काटा गया है, उन्हें काटने की नहीं, बल्कि सिर्फ छंटाई की अनुमति ली गई थी. लेकिन छंटाई का आदेश लेकर इन पर कुल्हाड़ी चला दी गई. यह नदी तल या मिट्टी के खनन के लिए डीसी द्वारा दिए गए निपटान परमिट की तरह है. किसी चीज़ के लिए परमिट प्राप्त करें और फिर उसका सब कुछ लूट लें.’

जिला प्रशासन का इनकार

इस मामले के तूल पकड़ने और सार्वजनिक आक्रोश के बाद जिला प्रशासन ने पेड़ों की कटाई की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद केवल कुछ पेड़ों की ‘सूखी शाखाएं’ काटी गई हैंं.

जिला पुष्प कृषि अधिकारी मजहर मुस्तफा अंसारी ने एक बयान में कहा, ‘हमने डिप्टी कमिश्नर को एक रिमाइंडर लिखा था और हमें सूखी शाखाओं को काटने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति मिल गई थी.’

उल्लेखनीय है कि कश्मीर के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय इतिहास में चिनार एक आवश्यक तत्व है. कानून के तहत, इन पेड़ों को केवल तभी काटा जा सकता है जब वे जीवन या संपत्ति के लिए खतरा पैदा करते हों और जिला प्रशासन से अनुमति लेने के बाद ही काटे जा सकते हैं.

पिछले साल, जम्मू और कश्मीर वन अनुसंधान संस्थान ने ‘वृक्ष आधार’ लॉन्च किया था, जो उन भव्य पेड़ों को जियोटैग करने की एक पहल है, जो हाल के वर्षों में घाटी में विकासात्मक परियोजनाओं के रास्ते में अक्सर आते रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी संख्या घट रही है.

एक समय अनुमानतः 42,000 से 45,000 के बीच रहे चिनार के पेड़ों की संख्या अब वन अनुसंधान संस्थान के अध्ययन के अनुसार महज 28,500 के करीब रह गई है.

2018 की जनगणना के अनुसार, अनंतनाग जिले में लगभग 6,222 चिनार के पेड़ थे.