बिट्स पिलानी के गोवा कैंपस पर एक और छात्र ने ली अपनी जान, परेशान अभिभावकों ने उठाए संस्थान पर सवाल

गोवा स्थित बिट्स पिलानी में तीन महीनों के भीतर दूसरी आत्महत्या का मामला सामने आया है. 20 वर्षीय अथर्व देसाई हॉस्टल के कमरे में मृत पाए गए हैं. इससे पहले दिसंबर 2024 में भी एक छात्र ने अपनी जान ले ली थी. एक छात्र की मां ने संस्थान पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मसले पर सिर्फ एक ईमेल कर देना पर्याप्त नहीं है.

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बिट्स पिलानी गोवा कैंपस

नई दिल्ली: बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बिट्स), पिलानी के गोवा स्थित कैंपस में तीन महीने के भीतर दो छात्र अपनी जान ले चुके हैं. बीते बुधवार (5 मार्च) को गोवा निवासी छात्र अथर्व देसाई (20 वर्षीय) अपने हॉस्टल (AH8) के कमरे में मृत पाए गए.

बिट्स पिलानी (गोवा) के पीआरओ अर्जुन सी. हलारांकर ने द वायर हिंदी को बताया कि घटना की सूचना तुरंत वेरना पुलिस स्टेशन को दी गई थी और संस्थान ने एक जांच समिति भी गठित की है.

उनके अनुसार, ‘यह घटना तब सामने आई जब उनके साथी छात्रों ने बताया कि अथर्व देसाई अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोल रहे हैं. यह सुबह करीब 8:30 बजे की बात है. संस्थान छात्र की मृत्यु के कारणों को जानने के लिए पुलिस जांच का इंतजार कर रहा है.’

द वायर हिंदी से बातचीत में चीफ वार्डन वीरेंद्र ने भी घटना की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि अथर्व के पिता आर्मी ऑफ़िसर हैं.

अथर्व 2022 बैच के थे. वह ड्यूल डिग्री प्रोग्राम के तहत गणित और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. 

घटना के तुरंत बाद डायरेक्टर प्रो. सुमन कुंडु ने छात्रों और अध्यापकों को एक ईमेल किया, ‘हम अथर्व देसाई के माता-पिता और दोस्तों के साथ इस अपूरणीय क्षति और शोक के क्षण में खड़े हैं.’ 

इस पत्र में कुंडु ने संस्थान के काउंसलर के फोन नंबर भी दिए हैं, जिनसे छात्र कठिन परिस्थिति में संपर्क कर सकते हैं. लेकिन अभिभावकों का कहना है कि आखिर कितने छात्र उनसे संपर्क कर पाते हैं. 

जब द वायर हिंदी ने पूछा कि क्या छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य शैक्षणिक दबाव की वजह से प्रभावित हो रहा है, पीआरओ ने कहा, ‘बिट्स पिलानी में हम एक रिलेटिव ग्रेडिंग सिस्टम अपनाते हैं, जिसमें कोई भी छात्र फेल नहीं होता. छात्रों को अगले सेमेस्टर के लिए कोर्स रजिस्टर करने के लिए न्यूनतम सीजीपीए की जरूरत नहीं होती. उन्हें अपने कोर्स चुनने और अपनी पढ़ाई की गति तय करने की पूरी स्वतंत्रता होती है, ताकि वे अपनी सुविधा के अनुसार ग्रेजुएशन पूरा कर सकें. संस्थान पाठ्यक्रम में बदलाव करने पर विचार कर रहा है ताकि छात्रों के लिए पढ़ाई का माहौल और भी तनावमुक्त बनाया जा सके.’

पीआरओ ने बताया कि संस्थान मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाने की तैयारी में है, इसके तहत: मानसिक स्वास्थ्य केंद्र का विस्तार किया जाना है. अनुभवी मनोचिकित्सक एवं थेरेपिस्ट को जोड़े जाना है. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े छात्र क्लब बनाने की तैयारी चल रही है.

इससे पहले दिसंबर 2024 में ग़ाज़ियाबाद के एक 20 वर्षीय छात्र बिट्स पिलानी (गोवा कैंपस) के हॉस्टल में मृत पाए गए थे. वह बी.ई. (कंप्यूटर साइंस) और एमएससी (फिजिक्स) की पढ़ाई कर रहे थे.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने घटना की जानकारी देते हुए कहा था, ‘छात्र की मंगलवार (10 दिसंबर) को परीक्षा थी, लेकिन वह उसमें शामिल नहीं हुआ. शाम को जब कुछ छात्र उसे ढूंढने गए, तो उसका हॉस्टल का कमरा अंदर से बंद मिला. इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी. एक पुलिस टीम ने दरवाजा तोड़कर अंदर प्रवेश किया. कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ.’ 

बिट्स पिलानी का गोवा कैंपस भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और विज्ञान संस्थानों में शुमार है. 2004 में स्थापित हुआ यह कैंपस भारत के शीर्ष निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में गिना जाता है.

चिंतित परिजन, छात्र परेशान

द वायर हिंदी से बातचीत में एक छात्र की मां ने संस्थान पर गंभीर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, ‘सिर्फ तीन महीनों में दो छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. यह दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक है, फिर भी कॉलेज इसे गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा? सिर्फ एक ईमेल भेज देना काफी नहीं है. जब हम अपने बच्चों को कॉलेज भेजते हैं, तो हम उम्मीद करते हैं कि संस्थान उनकी देखभाल करेगा. लेकिन जब परिसर में नशा और शराब इतनी आसानी से उपलब्ध हो, तो इसे कैसी देखभाल कहा जाए?’

उन्होंने आगे कहा, ‘कॉलेज ने ईमेल में बताया कि काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य टीम उपलब्ध है, लेकिन कितने छात्र इनका सहारा ले पाते हैं.’

इस झकझोर देने वाली घटना से कैंपस में डर और निराशा का माहौल बन गया है. कई छात्र सोशल मीडिया पर अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं.

अथर्व के हॉस्टल AH8 में रहने वाले एक छात्र ने रेडिट पर लिखा है, ‘वो भयावह दृश्य मेरी आंखों के सामने है. जिस तरह से उसने यह किया, वह बहुत डराने वाला था. सोचकर ही डर लगता है कि आखिर उसे ऐसा कदम उठाने के लिए क्या झेलना पड़ा होगा.’

एक अन्य छात्र ने लिखा है, ‘उसके ग्रैंडपेरेंट्स दो दिन पहले उसके जन्मदिन पर मिलने आए थे…सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उसने पंखे से लटककर आत्महत्या नहीं की. बल्कि उसने ज़मीन पर ही अपना गला घोंटने की कोशिश की. यह दृश्य बेहद भयावह था, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने उसकी लाश देखी.’


द वायर हिंदी से बातचीत में चीफ वार्डन वीरेंद्र ने भी इसकी पुष्टि की.

द वायर हिंदी ने बिट्स पिलानी के पीआरओ अर्जुन से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

बिट्स पिलानी में ‘आत्महत्या’ का सिलसिला 

बिट्स पिलानी के अलग-अलग कैंपस के विद्यार्थियों के आत्महत्या का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है. दिसंबर 2024 की घटना से पहले मार्च 2024 में इसके झुंझुनूं कैंपस में पीएचडी सेकंड ईयर की छात्रा ने हॉस्टल में अपने कमरे में दुपट्टे से फंदा लगा आत्महत्या कर ली थी. जनवरी 2018 में हैदराबाद कैंपस के उन्नीस वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र टी वरुण ने अपने घर में आत्महत्या कर ली थी.

फरवरी 2018 में हैदराबाद कैंपस के एक छात्र राघव शांताराम (21 वर्ष) ने हॉस्टल के अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के छात्र थे.

सितंबर 2017 में गोवा कैंपस के छात्र चमला नरसिम्हा रेड्डी (21 वर्ष) ने होस्टल में आत्महत्या कर ली थी. रेड्डी कंप्यूटर साइंस के चौथे वर्ष के छात्र थे और हैदराबाद से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित संगारेड्डी गांव के रहने वाले थे.

मई 2012 में बिट्स पिलानी हैदराबाद के एक पीएचडी छात्र थिम्मप्पा मंजुशेट्टी (30 वर्ष) ने कैंपस की एक इमारत की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी.

विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रबंधन और अनुसंधान के क्षेत्र में अव्वल रहने वाला बिट्स पिलानी जेईई के जरिए एडमिशन नहीं देता, बल्कि खुद की परीक्षा (BITSAT) आयोजित करता है. इस संस्थान में प्रवेश के बाद युवाओं का भविष्य सुरक्षित माना जाता है. लेकिन इसके बावजूद ये युवा अपनी जान ले रहे हैं.

(बिट्स पिलानी (गोवा) के जनसंपर्क अधिकारी का बयान जोड़ने के लिए इस रिपोर्ट को अपडेट किया गया है.)