असम: पंचायत चुनाव से पहले कांग्रेस काफिले पर हमले में कई नेता घायल, पार्टी ने की सरकार की आलोचना

बीते 27 अप्रैल को नागांव में में अज्ञात हमलावरों ने आगामी पंचायत चुनाव के लिए एक बैठक में भाग लेने जा कांग्रेस काफिले पर हमला किया, जिसमें सांसद प्रद्युत बोरदोलोई, विधायक सिबामोनी बोरा और पार्टी प्रवक्ता मोहसिन खान घायल हो गए. पार्टी ने इसे भाजपा द्वारा पूर्व नियोजित हमला बताया है.

बीते 27 अप्रैल को अज्ञात बदमाशों ने कांग्रेस के काफीले पर हमला किया. क्षतिग्रस्त कार. (फोटो: X/@pradyutbordoloi)

नई दिल्ली: असम में हिमंता बिस्वा शर्मा के शासनकाल में विपक्षी नेताओं पर चुनावी हिंसा का बढ़ता चलन कहा जा सकता है, राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नागांव से सांसद प्रद्युत बोरदोलोई, उनकी पार्टी के विधायक सिबामोनी बोरा और पार्टी प्रवक्ता मोहसिन खान 27 अप्रैल को अज्ञात हमलावरों के हमले में घायल हो गए, जब वे आगामी पंचायत चुनाव के लिए एक बैठक में भाग लेने जा रहे थे.

असम के सभी 27 जिलों में पंचायत चुनाव दो चरणों में – 2 मई और 7 मई को होने वाले हैं. राज्य में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद यह पहली बार है जब चुनाव हो रहे हैं. मतों की गिनती 11 मई को होगी.

27 अप्रैल की घटना के बारे में नागांव पुलिस के हवाले से ख़बरों में बताया गया है कि बोरदोलोई सहित अन्य लोग मामूली रूप से घायल हो गए, लेकिन उनके वाहनों को लोहे की छड़ों और हॉकी स्टिक से बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया गया.

जिले के धींग पुलिस थाने के एक अधिकारी ने डेक्कन हेराल्ड को बताया कि यह घटना उपर-दुमदुमिया गांव में उस समय हुई, जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक प्रचार बैठक से दूसरी बैठक में जा रहे थे.

‘काले कपड़े पहने 10-12 नकाबपोश बदमाशों ने काफिले पर हमला किया’

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘बालिकाटिया में एक चुनावी बैठक में भाग लेने के बाद बोरदोलोई एपीसीसी प्रवक्ता मोहसिन खान और बोरा के साथ एक अन्य बैठक में भाग लेने के लिए जेंगोनी गांव की ओर बढ़ रहे थे. उसी समय काले कपड़े पहने 10-12 नकाबपोश बदमाशों के एक गिरोह ने एक सुनसान जगह पर काफिले को रोक लिया और उन पर हमला कर दिया.’

बाद में बोरदोलोई ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने सिलीगुड़ी पुलिस चौकी में एफआईआर दर्ज करा दी है. सांसद ने कहा कि हालांकि गुंडों ने उन पर लाठी-डंडों से हमला करने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी गाड़ियों से उतरकर अपनी गाड़ियों के नीचे छिप गए, जिससे वे बच सके और उन्हें केवल मामूली चोटें आईं.

बोरदोलोई ने इसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा पूर्व नियोजित हमला बताया और संवाददाताओं को याद दिलाया कि इसी तरह का हमला 2014 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान नागांव जिले के सामागुरी में एक अन्य सांसद और राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रकीबुल हुसैन पर किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘हमलावर अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस ने कुछ नहीं किया है.’

विधायक सिबामोनी बोरा ने डेक्कन हेराल्ड से कहा कि उन्होंने एक राजनेता के तौर पर अपने ऊपर इतना क्रूर हमला नहीं देखा था. उन्होंने कहा, ‘विधायक बनने के बाद मुझ पर यह तीसरा हमला है. सत्तारूढ़ भाजपा ने राज्य में राजनीति को सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है.’

राज्य कांग्रेस ने एक बयान में कहा कि उसके पार्टी नेताओं पर हमला ‘भाजपा समर्थित अपराधियों’ द्वारा किया गया था और इस घटना की तत्काल न्यायिक जांच की मांग की.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी ने चुनाव आयोग की स्पष्ट निष्क्रियता पर भी निराशा व्यक्त की और राज्य चुनाव आयुक्त पर 3 अपीलों के बावजूद शांतिपूर्ण चुनावी माहौल सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाया.

बाद में मुख्यमंत्री शर्मा ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि उन्होंने राज्य पुलिस से उचित कार्रवाई करने को कहा है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना कांग्रेस के गढ़ में हुई और वह ‘इस बात से हैरान हैं कि उनके अपने गढ़ में उनके साथ क्या हुआ.’

कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर उम्मीदवारों को परेशान करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया

इन चुनावों से पहले विपक्षी कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के इशारे पर अपने उम्मीदवारों को पुलिस द्वारा धमकाने का आरोप लगाया है.

बीते 17 अप्रैल को गुवाहाटी में पत्रकारों से बात करते हुए राज्य पार्टी अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा, ‘भाजपा चुनावों का सामना करने से डरती है क्योंकि लोग उसके कुशासन से तंग आ चुके हैं और पंचायत चुनावों में जवाब देने के लिए तैयार हैं. भाजपा को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले शर्मिंदगी का डर है. इसलिए हिमंता बिस्वा शर्मा हमारे उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें चुनाव से हटने के लिए मजबूर कर रहे हैं.’

बोरदोलोई ने तब आरोप लगाया था कि उनकी महिला उम्मीदवारों के पतियों पर झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं और उन पर अपनी पत्नियों की उम्मीदवारी वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. जिसके कारण उन्होंने दो दिन पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक हरमीत सिंह के समक्ष यह मुद्दा उठाया था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.

18 अप्रैल को नामांकन वापसी के आखिरी दिन एक अभूतपूर्व मोड़ में भाजपा और उसके सहयोगियों ने 37 जिला परिषदों (भाजपा 35) और 288 आंचलिक पंचायत सीटों (भाजपा 259) पर निर्विरोध जीत हासिल की.

​​चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 15 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी आंचलिक परिषद सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की. ​​कांग्रेस ने जहां नौ सीटें निर्विरोध जीतीं, वहीं ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) को एक सीट निर्विरोध मिली.

असम में कुल 21,920 ग्राम पंचायतें, 2,192 आंचलिक परिषदें, 397 जिला परिषदें और 288 आंचलिक पंचायत सीटें हैं. भाजपा और उसके सहयोगियों के लिए पंचायत चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में अगले साल बोडोलैंड परिषद चुनाव और विधानसभा चुनाव होने हैं. मतदाता सूची में 1.8 करोड़ मतदाता शामिल हैं.