श्रीनगर: वरिष्ठ कश्मीरी पत्रकार को सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हिरासत में लिया गया

कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार हिलाल मीर को पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर ने तलब कर उनके द्वारा साझा एक फेसबुक पोस्ट को लेकर पूछताछ की थी. मीर पर सोशल मीडिया के ज़रिये भारत के ख़िलाफ़ असंतोष, अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर स्थित एक वरिष्ठ पत्रकार को सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये से भारत के खिलाफ ‘असंतोष और अलगाववादी विचारधारा’ को बढ़ावा देने के आरोप में हिरासत में लिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार (7 मई) को एक बयान में जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (सीआईके) विंग ने कहा कि श्रीनगर के बेमिना के निवासी हिलाल मीर, जो तुर्की स्थित एक समाचार एजेंसी के साथ काम करते थे, को सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को भड़काने, देश की गलत छवि पेश करने और अलगाववादी विचारधारा फैलाने की कोशिश के आरोप में हिरासत में लिया गया है.

सीआईके ने मीर को ‘कट्टरपंथी सोशल मीडिया यूज़र्स’ बताते हुए एक बयान में कहा है कि मीर ‘शांति भंग करने, असंतोष फैलाने और अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देने सहित भारत की छवि खराब करने के इरादे से चरमपंथी/विकृत सामग्री का प्रसार कर रहे थे.’

सूत्रों ने द वायर को बताया कि मीर, जो पहले हिंदुस्तान टाइम्स के साथ काम कर चुके हैं, को पिछले हफ्ते सीआईके ने तलब किया था और 1 मई को उनके द्वारा साझा किए गए एक फेसबुक पोस्ट को लेकर उनसे पूछताछ की थी. मीर की पोस्ट को साझा करने के लिए एक अन्य पत्रकार को भी तलब किया गया था, लेकिन उन्हें सोमवार को छोड़ दिया गया.

हालांकि, इस फेसबुक पोस्ट को बाद में मीर ने हटा दिया था. इसमें एक फोटो शामिल थी, जिसमें एक वृद्ध महिला एक घर के मलबे के साथ चलती हुई दिखाई दे रही थीं. यह मकान पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा दक्षिण कश्मीर में ध्वस्त किए गए कम से कम नौ मकानों में से एक था.

इन महिला की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. इस पोस्ट में मीर ने कश्मीर को लेकर कई बातें लिखी थी, जिसमें कश्मीर की आत्मा को संबोधित करते हुए कहा गया था कि तुम्हें बिना किसी अपराध के दबाया गया है, तुम्हारे साथ क्रूरता की गई है, तुम्हें अपंग बनाया गया और मिटाने की कोशिश की जा रही है. तुमने किसी से कुछ नहीं लिया, खासकर उन लोगों से, जो तुम्हारे दुख में खुश होते हैं. आराम करो और सोचो कि तुम अकेले खतरे में हो, कमज़ोर हो और निशाने पर हो.

सीआईके के बयान में कहा गया है कि फेसबुक और एक्स पर मीर के पोस्ट सार्वजनिक आक्रोश पैदा करने के एक छिपे हुए प्रयास को दर्शाते हैं, जो भारत की सुरक्षा/संप्रभुता के लिए खतरा है.

पुलिस ने मीर का लैपटॉप और मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया है. बयान में कहा गया है कि डिजिटल उपकरणों’ की शुरुआती जांच से पता चला है कि मीर की पहुंच कट्टरपंथी अकाउंट के साथ-साथ आपत्तिजनक सामग्री और अन्य चरमपंथी, विकृत सामग्री और प्रचार तक है. साथ ही कहा गया है कि मीर ‘संदिग्ध गतिविधियों में शामिल कुछ संदिग्ध विदेशी सेल नंबरों के संपर्क में पाए गए हैं.’

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मीर ने तुर्की के सरकारी प्रसारक टीआरटी वर्ल्ड के लिए बड़े पैमाने पर लिखा है और कश्मीर के प्रमुख अंग्रेजी अखबारों में संपादक के तौर पर भी काम किया है, और वे तुर्की की समाचार एजेंसी में अपने सहकर्मियों के संपर्क में थे और पत्रकारों के कुछ वॉट्सऐप ग्रुप का भी हिस्सा थे, जिनमें विदेशी पत्रकार भी सदस्य हो सकते हैं.

हालांकि, सीआईके के बयान में कहा गया है कि मीर ‘संभवतः घाटी में शांति और सौहार्द बिगाड़ने के लिए दुश्मन से निर्देश ले रहे थे, जो जांच का विषय है.’ इसमें कहा गया है कि मीर को ‘जांच के दायरे में लाया गया है और आगे की जांच जारी है.’

ज्ञात हो कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद  टीआरटी वर्ल्ड के लिए 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक था ‘भारत ने कश्मीर के प्रमुख अखबारों के टिप्पणीकारों को कैसे चुप कराया’, मीर ने लिखा था कि कैसे सरकार ने जम्मू-कश्मीर में ‘स्थानीय प्रेस पर दबाव डाला’ और कैसे आलोचनात्मक राय रखने वाले लेखकों से कहा गया कि वे या तो अपने लेखों को संयमित करें या लिखना बंद कर दें.’

उल्लेखनीय है कि मीर उन चार पत्रकारों में शामिल थे, जिनके घरों पर 2021 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ‘कश्मीर फाइट’ ब्लॉग द्वारा प्रकाशित एक भड़काऊ पोस्ट की जांच के सिलसिले में छापेमारी की थी. पोस्ट में कश्मीर के कुछ लोगों, जिनमें कुछ पत्रकार भी शामिल थे, पर सुरक्षा एजेंसियों और सरकार के एजेंट होने का आरोप लगाया गया था.

हालांकि, उस समय पत्रकारों के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया था और कई लोगों द्वारा उक्त छापेमारी की निंदा की गई थी.