भारतीय महिलाओं की एनआरआई पुरुषों से शादी के बाद आ रही समस्याओं से निपटने के लिए सरकार उठाएगी कदम.
देश में भारतीय महिलाओं और अनिवासी भारतीय (एनआरआई) पुरुषों के विवाह के बाद होने वाली समस्याओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां एनआरआई पति द्वारा अपनी पत्नी को दहेज या किसी अन्य कारण से शादी के बाद भारत में ही छोड़ दिया गया या विदेश ले जाकर उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर उन्हें भारत लौटकर आने नहीं दिया गया.
ऐसे मामलों से निपटने के लिए भारत सरकार ने एक वेबसाइट बनाकर एनआरआई पुरुषों की जानकारी का रिकॉर्ड रखने का निर्णय लिया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एक ऐसी वेबसाइट की शुरुआत कर रहा है, जिस पर देश के हर राज्य में एनआरआई पुरुषों से होने वाले विवाह का विवरण राज्य के रजिस्ट्रार को अपलोड करना होगा.
इस ख़बर के अनुसार इस वेबसाइट को शुरू करने का उद्देश्य एनआरआई पतियों द्वारा पत्नियों को छोड़ देने की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना है. विदेश में रहने वाले इन पुरुषों द्वारा अपनी पत्नियों के साथ ग़लत व्यवहार और घरेलू हिंसा की भी कई घटनाएं सामने आई हैं.
बीते 20 दिसंबर को मंत्रालय ने एनआरआई वैवाहिक विवादों से संबंधित सभी मुद्दों को हल करने के लिए अपने सचिव की अध्यक्षता में एक ‘इंटीग्रेटेड नोडल एजेंसी’ का भी गठन किया.
इसके बाद एनआरआई पुरुषों द्वारा छोड़ी गयी महिलाओं के सामने आने वाली क़ानूनी और नियमों संबंधी चुनौतियों को समझने के लिए सुषमा स्वराज की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक पैनल द्वारा सिफारिशें पेश की गईं.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘एक ऐसी वेबसाइट, जिस पर एनआरआई दूल्हे के घर और दफ्तर के पते समेत उससे जुड़ी सभी जानकारियां होने से हम इस तरह की शिकायतों से बेहतर तरह से निपट पाएंगे. रजिस्ट्रार को विवाह के पंजीकरण के ठीक बाद सभी डिटेल्स वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य होगा.’
हालंकि सरकार के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि एक साल में औसतन कितनी भारतीय महिलाओं ने एनआरआई व्यक्तियों से विवाह किया, पर बीते 21 दिसंबर को विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने संसद में बताया कि साल 2015 से अब तक विदेशों में स्थित भारतीय मिशन के पास भारतीय महिलाओं ने अपने एनआरआई पति से जुड़े विवादों की 3,328 शिकायतें दर्ज करवाई हैं.
इनमें से 3,268 महिलाओं को परामर्श दिया गया और उन प्रक्रियाओं के बारे में भी बताया गया है जिसके ज़रिए वे एनआरआई पतियों को क़ानूनी समन भेज सकती हैं.
इन शिकायतों में वे एनआरआई दूल्हे शामिल थे जो भारत में शादी करने के तुरंत बाद गायब हो गए, वो जो अपनी पत्नियों को (उनका पासपोर्ट जब्त करके) भारत आने से रोक रहे थे. कुछ ऐसे पति भी थे, जिन्होंने अपनी पत्नी को विदेश में ले जाकर छोड़ दिया. कुछ ऐसे जिन्होंने अपनी पत्नी को तो भारत भेज दिया लेकिन बच्चों की कस्टडी देने से इनकार कर दिया.
ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है, जिस पर कम ही ध्यान दिया गया है. सुषमा स्वराज और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी इन मुद्दों को निपटाने के लिए एक कानूनी ढांचा बनाने के लिए जोर दे रही हैं.
स्वराज के नेतृत्व वाले मंत्रिस्तरीय पैनल ने वेबसाइट पर एनआरआई पुरुषों को अदालत द्वारा भेजे गए नोटिस भी अपलोड करने की सलाह दी है.
एक अन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘पैनल ने यह भी सुझाव दिया है कि कानून मंत्रालय द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन किया जाए ताकि वेबसाइट पर दिए गये समन को कानूनी तौर पर मान्य समझा जाये.’
ऐसा होने से एक बड़ी समस्या का समाधान हो जायेगा जो एनआरआई पतियों से जुड़े विवादों में भारतीय अधिकारियों के सामने आती है. भारतीय मिशन द्वारा जारी किया गया कोई आदेश तब तक विदेश में मान्य नहीं होता है, जब तक वह देश आपसी कानूनी मदद के अनुरोध को स्वीकार न कर ले.
वेबसाइट पर दिए गये समन को क़ानूनी मान्यता मिलने से इस समस्या का हल हो सकता है.
पैनल ने यह भी सिफारिश की है कि सभी एनआरआई शादियों को होने के एक सप्ताह के भीतर पंजीकृत किया जाए. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि क़ानून मंत्रालय सभी शादियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने वाला है. वे अब इस प्रस्ताव को भी देख रहे हैं.
वर्तमान में केवल कुछ राज्य ही हैं, जहां एनआरआई विवाहों को पंजीकृत किया जाता है. जैसे पंजाब, जहां सबसे पहले ऐसी शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया था.
विदेश मंत्रालय द्वारा मई में सेवानिवृत्त जज अरविंद कुमार गोयल (जो पंजाब में एनआरआई के लिए बने राज्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष भी हैं) की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय पैनल गठित किया गया था.
इस पैनल द्वारा पिछले महीने सौंपी गई रिपोर्ट में सिफारिश की गयी थी कि ऐसे एनआरआई पति जो दहेज के लिए अपनी पत्नी को प्रताड़ित करते हैं, उनसे दुर्व्यवहार करते हैं या उन्हें विदेश में छोड़ देते हैं, उनके पासपोर्ट जब्त या रद्द कर दिए जाएं.