असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा प्रकाशित हो चुका है. इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे.
गुवाहाटी: असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के पहले प्रारूप में उल्फा के शीर्ष नेता परेश बरूआ का नाम है. वहीं इसमें असम के कई नेताओं के नाम नदारद हैं.
एनआरसी के पहले मसौदे में नाम न होने पर राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि अगर नाम न हो तो चिंता की कोई बात नहीं क्योंकि जाति अथवा समुदाय के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा और नागरिकता साबित करने के अवसर दिए जाएंगे.
31 दिसंबर की मध्य रात्रि को जारी की गई पहली सूची में परेश बरूआ के अलावा ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख और धुब्री से लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अज़मल, उनके बेटे और जमुनामुख से विधायक अब्दुर रहीम अज़मल और उनके भाई एवं बारपेटा से लोकसभा सदस्य सिराज़ुद्दीन अज़मल समेत कई का नाम नहीं है.
पहली फहरिस्त में कई नामों को शामिल नहीं होने पर भारत के महापंजीयक सैलेश ने कहा, ‘घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि काफी वक़्त है. प्रक्रिया चल रही है. ठोस प्रगति हुई है लेकिन अब भी बहुत काम किए जाने की ज़रूरत है.’
एनआरसी के पहले प्रारूप में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों को भारत के वैध नागरिक के तौर पर सूचित किया गया है. इस व्यापक कवायद का मकसद बांग्लादेश की सरहद से लगते राज्य में अवैध प्रवासियों की पहचान करना है.
सूची में जिन अन्य विधायकों के नाम नहीं है उनमें अभयापुरी दक्षिण से विधायक अनांता कुमार मालो, धींग से विधायक अमीन उल इस्लाम, गौरीपुर से विधायक निजान-उर-रहमान, बिलासीपारा पश्चिम से विधायक हफ़ीज़ बशीर अहमद कासिमी शामिल हैं.
जबकि भाजपा विधायकों में होजई से विधायक शिलादित्य देब और गोलकगंज से विधायक अश्विनी राय सरकार का नाम नहीं है. वहीं कांग्रेस के विधायकों में सेंगा से विधायक सुकुर अली, बाघबोर से विधायक शेरमान अली और रूपोही से विधायक नूर-उल-हुदा का नाम भी फेहरिस्त से नदारद हैं.
सूची में परेश बरूआ के अलावा अनके साथी अरूनूधोई डोहोतिया और एनडीएफबी नेता बी. बिडाई के नाम शामिल हैं. बरूआ ने असम की संप्रभुता के लिए करीब 40 साल पहले अपना विद्रोह शुरू किया था.
एनआरसी के पहले मसौदे में नाम नहीं आए तो भी चिंता की बात नहीं: मुख्यमंत्री
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को कहा कि एनआरसी के पहले मसौदे में जिनके नाम शामिल होने से रह गए हैं उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि जाति अथवा समुदाय के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा और नागरिकता साबित करने के अवसर दिए जाएंगे.
सोनोवाल ने कहा कि राज्य के नागरिकों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद जो लोग अवैध आव्रजक पाए जाएंगे उनके साथ क्या करना चाहिए, इस बारे में केंद्र सरकार को मानवोचित तरीके से चिंतन करना चाहिए.
सोनोवाल ने कहा, ‘किसी के भी ख़िलाफ़ भेदभाव करने का सवाल ही नहीं उठता चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, बंगाली हो या फिर नेपाली हो.’
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सभी के साथ समानता का व्यवहार होगा और लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए मौके दिए जाएंगे ताकि उनके नाम एनआरसी के आने वाले मसौदों में शामिल किए जा सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआरसी ने प्रामाणिक नागरिकों को अवैध आव्रजकों से अलग करने का मौका दिया है. यह उन लोगों के लिए भी अच्छा है जो बीते चार दशक से संदिग्ध अवैध आव्रजक का कलंक लिए जी रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक समझदारी से काम कर रही है. अंतिम सूची के बाद जो लोग अवैध आव्रजक पाए जाएंगे उनके साथ भी मानवोचित व्यवहार होगा. उनके साथ क्या करना है इसे लेकर केंद्र सरकार को एक व्यवस्था बनानी होगी.’
एनआरसी के मसौदे का एक हिस्सा 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरमियान रात में प्रकाशित हुआ था. इसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)