भाजपा सांसद ने कहा, क्या केवल प्रतिशोध की राजनीति की जा रही है, यहां तक कि समाज और देश के लिए ईमानदारी से पेश आने वाली जनता को भी परेशान किया जा रहा है.
नई दिल्ली: भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने सोमवार को कहा कि आधार ब्यौरे के दुरुपयोग को रेखांकित करने वाली खबर देने वाली पत्रकार को कथित सच्चाई सामने लाने के लिए परेशान किया जा रहा है. उन्होंने पूछा कि क्या देश के लोग किसी बनाना रिपब्लिक में रह रहे हैं.
बनाना रिपब्लिक शब्द का इस्तेमाल ऐसे देश के लिए किया जाता है जो राजनीतिक रूप से अस्थिर है. सिन्हा ने ट्विटर पर लिखा, यह कैसा न्याय है क्या केवल प्रतिशोध की राजनीति की जा रही है. यहां तक कि समाज और देश के लिए ईमानदारी से पेश आने वाली जनता को भी परेशान किया जा रहा है.
सिन्हा अलग-अलग मुद्दों पर केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व की आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने घटना के सिलसिले में पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देने के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को बधाई भी दी और उम्मीद जतायी कि सरकार के सच्चे अधिकारी और खासकर उच्चतम न्यायालय संग्यान लेकर त्वरित सुधारात्मक उपाय करेगा.
पटना साहिब के सांसद ने एक और ट्वीट में कहा, आधार में गड़बड़ी एवं उसके दुरुपयोग के बारे में कथित सच्चाई पेश करने के लिए पत्रकार को परेशान किया जा रहा है. क्या हम किसी बनाना रिपब्लिक में रह रहे हैं.
गौरतलब है कि आधार जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के एक अधिकारी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में ट्रिब्यून समाचार पत्र की उस पत्रकार का नाम भी शामिल है जिसने इस मामले का खुलासा अपनी खबर में किया. खबर में एक अरब से ज्यादा आधार कार्ड के आंकड़े कथित रूप से लीक होने की जानकारी दी गई थी.
सरकार ने कहा-प्रेस की आजादी को प्रतिबद्ध
आधार डेटा में सेंध के मामले में समाचार पत्र की खबर पर कार्रवाई को लेकर आलोचना के बीच विधि व आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इस मामले में अज्ञात इकाइयों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
प्रसाद ने इस मामले में सोशल मीडिया वेबसाइट ट्वीटर पर लिखा है, सरकार भारत के विकास के लिए प्रेस की स्वतंत्रता व आधार की संरक्षा व सुरक्षा बनाए रखने को प्रतिबद्ध है. एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ है.
उल्लेखनीय है कि आधार जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के एक उपनिदेशक की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में ट्रिब्यून समाचार पत्र की उस पत्रकार का नाम भी शामिल है जिसने इस मामले का खुलासा अपने समाचार में किया.
प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर आलोचकों के निशाने पर आने के बाद प्राधिकरण ने कहा कि वह प्रेस की आजादी समेत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है. प्राधिकार के अनुसार उसकी पुलिस शिकायत को संवाददाता को रोकने की कोशिश की तरह नहीं देखना चाहिए.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी प्राथमिकी वापस किए जाने को लेकर सरकार से दखल की मांग की और कहा कि मामले की निस्पक्ष जांच की जानी चाहिए.
प्रसाद के अनुसार, मैंने यूआईडीएआई को सुझाव दिया है कि वह ट्रिब्यून व इसकी पत्रकार से पुलिस को हर संभव मदद का आग्रह करे ताकि वास्तविक दोषियों का पता लगाया जा सके.