रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जज लोया के बेटे द्वारा उनकी मौत पर कोई शक़ होने की बात नकारने के बाद जज लोया के चाचा ने कहा कि मामले की जांच होनी ही चाहिए.
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई कर रहे जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की ‘संदिग्ध’ परिस्थितियों में मौत का मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है.
रविवार को उनके बेटे अनुज लोया द्वारा मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को उनके पिता की मौत पर कोई संदेह नहीं है और वो चाहते हैं कि उनके परिवार को परेशान न किया जाए.
इस प्रेस वार्ता के बाद द कारवां पत्रिका से बात करते हुए जज लोया के चाचा श्रीनिवास लोया ने कहा कि अनुज अभी बहुत ‘छोटा’ है और उस पर दबाव हो सकता है.
अनुज की प्रेस से हुई बात के हवाले से श्रीनिवास लोया ने कहा कि उसने खुद बताया कि वो दबाव में है. श्रीनिवास ने यह भी कहा कि जज लोया की मौत की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘अगर आप मुझसे एक रिश्तेदार नहीं बल्कि एक नागरिक के बतौर पूछें तो मैं कहूंगा कि कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की जांच के लिए शुरू हुई सुनवाई चलनी चाहिए.’
जब उनसे पूछा गया कि अनुज लोया पर किस तरह का दबाव हो सकता है, तब उन्होंने कहा, ‘उसके (अनुज के) दादा 85 बरस के हैं. उसकी मां हैं, एक बहन है, जिसकी शादी होनी है. दबाव की यही वजहें हो सकती हैं.’
श्रीनिवास लातूर में रहते हैं और उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि इस समय जज लोया का परिवार कहां रह रहा है.
ज्ञात हो कि लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी, जिसकी वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था. वे नागपुर अपनी सहयोगी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में गए हुए थे.
बीते नवंबर में द कारवां पत्रिका में जज लोया की बहन और पिता के हवाले से छपी एक रिपोर्ट में उनकी मौत से संबंधित संदिग्ध परिस्थितियों पर सवाल उठाया गया था.
जज लोया की बहन अनुराधा बियानी ने कहा था कि उनके भाई से मनचाहा फैसला देने के लिए उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह द्वारा 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया था.
रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब अनुज लोया से मीडिया में आये उनके एक पत्र और जज लोया की बहन के संदेह के बारे में पूछने पर जवाब दिया गया था कि अब परिवार को कोई शक नहीं है. जब उन्होंने वह पत्र लिखा था, तब वे भावनात्मक रूप से परेशान थे.
श्रीनिवास लोया के साथ ही जज लोया के दोस्त और वरिष्ठ वकील बलवंत जाधव ने भी जज लोया के परिवार पर राजनीतिक दबाव होने की बात कही. उन्होंने द कारवां से बात करते हुए कहा, ‘मैं सालों से इस परिवार को जानता हूं. उन्हें अमित शाह को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव बनाकर चुप करा दिया गया है.’
मालूम हो कि सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपी थे, जिन्हें जज लोया की मौत के बाद सुनवाई कर रहे जज एमबी गोसावी द्वारा बरी कर दिया गया था.
बलवंत का कहना है कि न केवल जज लोया की मौत बल्कि दिसंबर 2014 तक की सभी घटनाओं की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए. उन्होंने जज लोया के परिवार की चुप्पी पर आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘ये डराने वाली बात है कि जिस परिवार को जज लोया की मौत के बारे में शुबहे थे, वे इस बात के प्रेस में आने के बाद चुप हो गए हैं.’
ज्ञात हो कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार 12 जनवरी को जज लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु को ‘गंभीर मामला’ बताते हुए महाराष्ट्र सरकार को उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.