सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से की भेंट. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी मामले के एक हफ़्ते में सुलझने की उम्मीद जताई.
नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) से उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के मतभेद के मामले में अब भी असमंजस की स्थिति बरक़रार है. इस मामले में बार काउंसिल आॅफ इंडिया का कहना है कि मामला सुलझ गया है वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा है कि मामला सुलझने में अभी वक्त लगेगा.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मंगलवार को कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उच्चतम न्यायालय में संकट अभी सुलझा नहीं है. उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन ने भी ऐसी ही उम्मीद जताई है. संगठन के अध्यक्ष विकास सिंह ने उम्मीद जताई कि इस सप्ताह के अंत तक संकट सुलझ जाएगा.
एक दिन पहले सोमवार को वेणुगोपाल ने कहा था कि शीर्ष न्यायालय में सब कुछ सुलझ गया है. हालांकि मंगलवार को उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि संकट अभी सुलझा नहीं है. उम्मीद करते हैं कि दो-तीन दिन के भीतर चीज़ें सुलझ जाएंगी.’
उच्चतम न्यायालय में 12 जनवरी को तब संकट उत्पन्न हो गया था जब चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में शीर्ष न्यायालय के कामकाज की खुले तौर पर आलोचना की थी.
संकट के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने मंगलवार को कहा कि इस संकट के सप्ताह के अंत तक सुलझ जाने की संभावना है.
मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘इस सप्ताह के अंत तक संकट के सुलझने की उम्मीद है.’ सिंह ने कहा कि जब उन्होंने रविवार को प्रधान न्यायाधीश को एससीबीए का प्रस्ताव सौंपा तो उन्हें ऐसा लगा कि संकट सुलझ जाएगा.
सिंह ने कहा कि सीजेआई ने उम्मीद जताई थी कि एक सप्ताह के भीतर स्थिति सामान्य हो जाएगी. उन्होंने भी यह कहा कि अभी तक ऐसा लग रहा है कि सबकुछ सामान्य हो रहा है.
एससीबीए ने शनिवार को अपनी आपात बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर प्रधान न्यायाधीश से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की बैठक बुलाने तथा सभी लंबित जनहित याचिकाओं को सुनवाई के लिए पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों को स्थानांतरित करने के लिए कहा, जो कॉलेजियम के सदस्य हैं.
चार न्यायाधीशों या सीजेआई से कोई मुलाकात या उनसे कोई बातचीत करने के बारे में पूछे जाने पर वेणुगोपाल ने कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं हुआ.’ हालांकि सरकारी सूत्रों ने मुलाकात होने के बारे में बताया है.
बहरहाल, उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले कुछ दिनों में संकट सुलझ जाएगा. इस बीच उच्चतम न्यायालय के शीर्ष चार न्यायाधीशों ने सोमवार को काम शुरू कर दिया. अटॉर्नी जनरल ने इस अभूतपूर्व संकट को ‘राई का पहाड़ बना देना’ बताया.
इन चारों न्यायाधीशों ने उच्चतम न्यायालयों में मामलों के आवंटन समेत कुछ समस्याएं उठाईं और उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो देश के शीर्ष न्यायालय को प्रभावित कर रहे हैं.
भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल तथा उच्चतम न्यायालय की बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह से मुलाकात की थी तथा उन्हें आश्वासन दिया था कि संकट जल्द ही सुलझ जाएगा तथा फिर से सद्भावना कायम होगी.
इस बीच शीर्ष अदालत ने सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के गठन की घोषणा की जिसमें ये चारों न्यायाधीश शामिल नहीं हैं, जिन्होंने सीजेआई से अपने मतभेदों को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी
चारों न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ में से किसी का नाम पांच जजों की संविधान पीठ के सदस्यों में नहीं है.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, पांच न्यायाधीशों की पीठ में सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं. यह संविधान पीठ 17 जनवरी से कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी.
बार काउंसिल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में अब कोई संकट नहीं
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय में ‘निश्चित रूप से अब कोई संकट नहीं’ है और उच्चतम न्यायालय में शीघ्र ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि सात सदस्यों वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई से मुलाकात की और उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया है कि अब कोई संकट नहीं है.
न्यायमूर्ति गोगोई उन चार न्यायाधीशों में से एक हैं जिन्होंने 12 जनवरी को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के काम-काज के तरीके पर सवाल उठाया था.
मीडिया में इस बारे में आ रही ख़बरों के बारे में जब मनन कुमार मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने बताया, ‘न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा है कि संकट ख़त्म हो गया है. उन्होंने कहा है कि अब कोई विवाद नहीं है.’
बीसीआई अध्यक्ष ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि किस आधार पर मीडिया का एक धड़ा यह कह रहा है कि यह संकट सुलझने से अभी कोसों दूर है. लेकिन उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस मामले को अब और आगे खींचने की कोई ज़रूरत नहीं है.
मिश्रा का ध्यान जब अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बयान की तरफ दिलाया गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि कैसे और क्यों अटॉर्नी जनरल इस तरह की बातें कह रहे हैं. सभी न्यायाधीश न्यायालय जा रहे हैं और उच्चतम न्यायालय में काम-काज सामान्य रूप से चल रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए अब सार्वजनिक मंच पर कुछ सामने नहीं आएगा और शीघ्र ही सभी मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे. निश्चित रूप से अब कोई संकट नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से की भेंट: सूत्र
उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के मुखर विरोध से उत्पन्न संकट के समाधान के इरादे से प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने मंगलवार को इन चारों न्यायाधीशों से मुलाकात की. इन न्यायाधीशों ने संवदेनशील प्रकृति वाली जनहित याचिकाओं को सुनवाई के लिये आवंटन सहित अनेक गंभीर आरोप लगाए थे.
शीर्ष अदालत के सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश ने सवेरे न्यायालय का कामकाज शुरू होने से पहले न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ से करीब 15 मिनट तक मुलाकात की.
सूत्रों के अनुसार इस मुलाकात के दौरान कई अन्य न्यायाधीश भी उपस्थित थे. इस मुलाकात के बाद प्रधान न्यायाधीश और चारों न्यायाधीश अपने काम के लिये चले गए.
इन न्यायाधीशों द्वारा 12 जनवरी को अप्रत्याशित कदम उठाते हुए की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस से उत्पन्न संकट के समाधान को लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया और उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन सोमवार को काफी आशान्वित थीं परंतु ऐसा लगता है कि प्रधान न्यायाधीश के ख़िलाफ़ शिकायतों को लेकर विवाद का समाधान अभी दूर ही है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)