हज सब्सिडी ख़त्म, पैसे का इस्तेमाल अल्पसंख्यक लड़कियों की शिक्षा पर होगा: नक़वी

आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि केंद्र सरकार हज यात्रियों को नहीं बल्कि घाटे में चल रही एयर इंडिया की मदद के लिए सब्सिडी दे रही थी.

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अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि केंद्र सरकार हज यात्रियों को नहीं बल्कि घाटे में चल रही एयर इंडिया की मदद के लिए सब्सिडी दे रही थी.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी. (फाइल फोटो: पीटीआई)
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने मंगलवार को कहा कि इस साल से हज पर कोई सब्सिडी नहीं होगी और सब्सिडी पर ख़र्च होने वाली राशि का इस्तेमाल अल्पसंख्यक लड़कियों के शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिए किया जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस क़दम के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है और मुस्लिम समाज के लोग ख़ुद इस सब्सिडी नामक ‘गाली’ से मुक्ति चाहते थे.

नक़वी ने संवाददाताओं से कहा, ‘साल 2018 का जो हज होगा उसमें सब्सिडी नहीं रहेगी. हज सब्सिडी पर ख़र्च होने वाले धन का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक सशक्तीकरण पर ख़ासकर लड़कियों के शैक्षणिक सशक्तीकरण पर ख़र्च किया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम समाज के लोग ख़ुद यह कहते थे कि हज सब्सिडी एक गाली जैसी हो गई है. इसलिए इन चीज़ों से मुक्ति मिल सके, इसकी कोशिश है. कोई भी मुसलमान सब्सिडी पर हज करना पसंद नहीं करेगा. मैं इतना ज़रूर कहना चाहता हूं कि हज पर हम पूरी सुविधा देंगे.’

नक़वी ने कहा, ‘यह अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण के बिना और गरिमा के साथ सशक्तीकरण की हमारी नीति का हिस्सा है.’ मंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले साल हज सब्सिडी पर 250 करोड़ रुपये ख़र्च किए थे.

साल 2012 में आए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद के वर्षों में हज सब्सिडी की राशि में लगातार कमी की गई.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से आठ फरवरी, 2017 को जारी बयान के अनुसार सरकार ने 2013 में 680.03 करोड़ रुपये, 2014 में 577.07 करोड़ रुपये, 2015 में 529.51 और 2016 में करीब 405 करोड़ रुपये सब्सिडी के तौर पर दी.

नक़वी ने इस बात से इनकार किया हज सब्सिडी ख़त्म करने का क़दम राजनीतिक है.

उन्होंने कहा, ‘जब सरकार ने एलपीजी पर सब्सिडी ख़त्म की तो क्या वह सियासी मुद्दा है? हम पारदर्शी ढंग से हज यात्रा चाहते हैं. हम हज सब्सिडी पर ख़र्च होने वाले पैसे का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिए करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हज पर सब्सिडी की व्यवस्था ख़त्म किए जाने के बावजूद इस बार आज़ादी के बाद सबसे ज़्यादा 1.75 लाख लोग हज पर जाएंगे. हमने हज यात्रियों के लिए अलग-अलग प्रस्थान स्थलों का विकल्प देने का भी फैसला किया है. इसके साथ हजयात्रा के लिए समुद्री मार्ग को लेकर भी विचार चल रहा है.’

उन्होंने यह भी कहा कि सऊदी अरब की सरकार ने भारत से पानी के जहाज के ज़रिये हज यात्रा फिर से आरंभ करने को सैद्धांतिक रूप से सहमति प्रदान कर दी है और दोनों देशों के अधिकारी इससे जुड़े तौर-तरीकों को अंतिम रूप देंगे.

इस साल की शुरुआत में नकवी ने कहा था कि केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक हज सब्सिडी ख़त्म करेगी. वर्ष 2012 में उच्चतम न्यायालय ने अपने एक आदेश में वर्ष 2022 तक हज सब्सिडी को चरणबद्ध ढंग से समाप्त करने को कहा था.

‘हज सब्सिडी के नाम पर मुसलमानों के साथ हो रहा था धोखा’

लखनऊ: आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हज यात्रियों को दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी को ख़त्म किए जाने पर मंगलवार को कहा कि अब तक अनुदान के नाम पर मुसलमानों के साथ धोखा किया जा रहा था और इस निर्णय का कोई मतलब नहीं है.

बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने हज सब्सिडी को ख़त्म किए जाने के बारे में पूछने पर बताया कि सरकार दरअसल, हज यात्रियों को नहीं बल्कि घाटे में चल रही एयर इंडिया की मदद के लिए सब्सिडी दे रही थी. यह एक छलावा था. सब्सिडी के नाम पर मुसलमानों के साथ सिर्फ़ धोखा किया जा रहा था.

उन्होंने कहा कि हज सब्सिडी बुनियादी तौर पर एयर इंडिया के लिए हुआ करती थी, हाजियों के लिए नहीं. आम दिनों में सऊदी अरब आने-जाने का टिकट 32 हज़ार रुपये में मिलता है जबकि एयर इंडिया हज के वक़्त किराये में बेतहाशा बढ़ोतरी करते हुए हाजियों से 65 हज़ार से लेकर एक लाख रुपये तक वसूलती है. अगर बगैर किसी सब्सिडी के हाजियों से किराया लिया जाए तो वह कम होगा.

रहमानी ने कहा कि जब हज यात्री विमान के टिकट के थोक ख़रीदार हैं, तो उनका किराया सस्ता होना चाहिए, ना कि महंगा. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का नियम है कि अगर कोई किसी तीर्थस्थल पर जा रहा है तो उसे किराये में 40 प्रतिशत की छूट मिलेगी. अगर किराया सस्ता ना हो तो उतना तो होना ही चाहिए जितना सामान्य दिनों में होता है.

इस बीच, आॅल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने हज सब्सिडी ख़त्म किये जाने पर कहा कि बोर्ड हज अनुदान का पक्षधर रहा है. सरकार एयर इंडिया के घाटे को कम करने के लिए हज सब्सिडी दिया करती थी लेकिन अब इसे पूरी तरह ख़त्म कर दिया गया है.

उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी का कहना है कि वह इस सब्सिडी के धन को मुसलमानों की शिक्षा पर ख़र्च करेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह अच्छी बात होगी. मगर वो गरीब लोग अब सब्सिडी से महरूम हो जाएंगे जो इसके सहारे हज करने चले जाते थे.

उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा कि हज सब्सिडी को पूरी तरह ख़त्म नहीं किया जाना चाहिए. सब्सिडी मिलने से ग़रीब मुसलमान भी हज करने चले जाते थे. यह कोई सियासी बात नहीं है. यह एक धार्मिक मामला है, इसमें हाजियों को जितनी ज़्यादा सुविधा दी जा सकती है वह मिलनी चाहिए.