नई दिल्ली: बिहार सरकार ने कहा है कि वह महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए शुरू की गई अपनी योजना के तहत गलत लाभार्थियों के खातों में गई राशि की वसूली के लिए ज़बरदस्ती की कोई कार्रवाई नहीं करेगी.
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत योग्य महिलाओं के खातों में पहली किस्त के रूप में 10,000 रुपये जमा किए जाते हैं. यह योजना अपने समय को लेकर आलोचनाओं के घेरे में रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव से करीब दो महीने पहले इसकी घोषणा की थी.
ख़बरों के मुताबिक, इस योजना के तहत राज्य भर में 1.5 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये दिए गए हैं.
बिहार सरकार की गरीबी उन्मूलन पहल जीविका के अधिकारियों ने हाल ही में बताया कि कुछ पुरुषों को भी इस योजना के तहत 10,000 रुपये मिल गए. जब अधिकारियों ने उनको रकम की वसूली के लिए नोटिस जारी किए, तब उन्होंने कथित तौर पर कहा कि पहले उनके वोट वापस किए जाएं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जीविका के सीईओ हिमांशु पांडेय ने कहा, ‘11 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों के अलावा हमारे पास दिव्यांगों के भी करीब 1,000 समूह हैं. हमे पता चला कि 470 दिव्यांग पुरुषों को भी महिला रोजगार योजना के तहत 10,000 रुपये मिल गए.’
पांडेय ने कहा कि इतनी बड़ी योजना में ‘गलतियां हो सकती हैं’ और जोड़ा कि ‘470 दिव्यांग पुरुषों’ के मामले के अलावा अन्य गलतियां बहुत कम थीं. उन्होंने अख़बार से कहा, ‘कुछ छिटपुट मामले ऐसे भी मिले, जहां पैसा ऐसे संयुक्त बैंक खातों में चला गया जो पति-पत्नी दोनों के नाम पर थे, लेकिन यह ठीक है.’
पांडेय ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार सरकार गलत लाभार्थियों से राशि वसूलने के लिए कोई दबावपूर्ण कार्रवाई नहीं करेगी.
विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने इन गड़बड़ियों को इस बात का सबूत बताया है कि सरकार ने 10,000 रुपये बांटने में काफी जल्दबाज़ी दिखाई.
विपक्षी राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि क्या जीविका ने चुनावी दबाव में, बैंक खातों की ठीक से जांच किए बिना, 10,000 रुपये बांटे.’
