आप विधायक सौरभ भारद्वाज का कहना है कि इन 20 विधायकों को चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया.
चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को कथित तौर पर लाभ के पद पर काबिज रहने के कारण अयोग्य घोषित किये जाने की अनुशंसा की है.
इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने कहा कि वे राष्ट्रपति को भेजी गई सिफारिशों पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा.
एएनआई की खबर के मुताबिक चुनाव आयोग ने कहा है, ‘आप विधायकों से जुड़ी सिफारिशें अभी विचाराधीन हैं. हम राष्ट्रपति को भेजी गई सिफारिशों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
Recommendation on AAP MLAs is sub judice, will not comment on what recommendation has been given to the President: Election Commission on reports of disqualification of 20 AAP MLAs in Office of Profit case.
— ANI (@ANI) January 19, 2018
वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि वो इस मसले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट जायेंगे. आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने प्रेस से बात करते हुए कहा, ‘यह अप्रत्याशित है. इन 20 विधायकों को चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया. हमें यह बात समाचार चैनलों से पता चली है.’
हालांकि अगर इन विधायकों की सदस्यता रद्द भी हो जाती है तब भी विधानसभा में पार्टी बहुमत में ही रहेगी.
नवभारत टाइम्स के मुताबिक शुक्रवार को चुनाव आयोग की उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया. मामले की जांच राष्ट्रपति के निर्देश पर ही हो रही थी. हालांकि आप इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकती है.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा है कि संसदीय सचिव बनकर वे लाभ के पद पर हैं और दिल्ली विधानसभा के विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित होने योग्य हैं.
राष्ट्रपति आयोग की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं. जिन मामलों में विधायकों या सांसदों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाएं दी जाती हैं, उन्हें राष्ट्रपति राय जानने के लिए चुनाव आयोग के पास भेजते हैं.
चुनाव आयोग मामले पर अपनी राय भेजता है. मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोती ने कहा कि मामला चूंकि न्यायालय के विचाराधीन है, इसलिए वह इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं देंगे,
क्या था मामला?
मार्च 2015 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इस पर एक प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने राष्ट्रपति को याचिका भेजकर लाभ का पद बताते हुए इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी.
राष्ट्रपति द्वारा यह मामला चुनाव आयोग में भेजा गया जहां उन्होंने मार्च 2016 में इन विधायकों को नोटिस भेजकर इस मामले की सुनवाई शुरू की.
इसके बाद दिल्ली सरकार द्वारा संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से निकालने के लिए दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन एक्ट 1997 में संशोधन करने का प्रयास किया लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली.
इसके बाद से इन विधायकों की सदस्यता पर सवाल खड़े हो गए. सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाबों से संतुष्ट नहीं है. ऐसे में राष्टपति के पास इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है.
इन 21 विधायकों में से एक जरनैल सिंह (विधायक राजौरी गार्डन) विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं.
वो 20 विधायक और उनके विधानसभा क्षेत्र, जिन्हें अयोग्य घोषित किया गया है:
1. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
2. सोम दत्त, सदर बाजार
3. अनिल कुमार बाजपेयी, गांधी नगर
4. शरद कुमार, नरेला
5. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
6. विजेंदर गर्ग विजय, राजिंदर नगर
7. शिव चरण गोयल, मोती नगर
8. जरनैल सिंह, तिलक नगर
9. मनोज कुमार, कोंडली
10. नितिन त्यागी, लक्ष्मीनगर
11. अलका लाम्बा, चांदनी चौक
12. सरिता सिंह, रोहतास नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. नरेश यादव, मेहरौली
15. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
16. सुखवीर सिंह, मुंडका
17. कैलाश गहलोत, नज़फ़गढ़
18. अवतार सिंह, कालकाजी
19. आदर्श शास्त्री, द्वारका
20. राजेश ऋषि, जनकपुरी
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के आधार पर)