मार्च 2015 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इस लाभ का पद बताते हुए याचिका दाख़िल की गई थी.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने से जुड़ी चुनाव आयोग की सिफ़ारिश को रविवार को मंज़ूर कर लिया. लाभ के पद के चलते आयोग ने इन विधायकों को अयोग्य ठहराया था.
विधि मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया कि निर्वाचन आयोग द्वारा व्यक्त की गई राय के आलोक में दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को अयोग्य क़रार दिया गया है.
आप विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था और इस पद को याचिकाकर्ता ने लाभ का पद बताया था. आप को झटका देते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया था.
अधिसूचना में कहा गया, ‘निर्वाचन आयोग द्वारा व्यक्त की गयी राय के आलोक में, मैं, रामनाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए… दिल्ली विधानसभा के उक्त 20 सदस्य विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाते हैं.’
आप के सभी 20 विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफ़ारिश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी लेकिन न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था.
70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 66 विधायक थे. 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाने के बावजूद आम आदमी पार्टी के पास 46 विधायक रहेंगे जो कि सामान्य बहुमत से ज़्यादा है. दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 सीटों की ज़रूरत होती है.
आम आदमी पार्टी के विधायकों के ख़िलाफ़ लाभ का पद मामले में जुलाई 2015 में वकील प्रशांत पटेल ने याचिका दाख़िल की थी.
बीते शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान वकील प्रशांत पटेल से पूछा गया कि याचिका दाख़िल करने का विचार उनके मन में कैसे आया, इस पर उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘दिल्ली सरकार की शक्तियां और सीमाएं’ में इस विषय पर एक अध्याय था.
इस अवसर पर उन्होंने कहा, ‘मैंने लाभ का पद के संबंध में याचिका दायर की थी और इसे जुलाई 2015 में स्वीकार किया गया था. ऐसा नहीं है कि भाजपा और कांग्रेस ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं की. वो नियुक्तियां भी अवैध थीं, लेकिन उस पर किसी ने आपत्ति नहीं की.’
क्या था मामला?
मार्च 2015 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था. इस पर एक प्रशांत पटेल नाम के एक वकील ने राष्ट्रपति को याचिका भेजकर लाभ का पद बताते हुए इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी.
राष्ट्रपति द्वारा यह मामला चुनाव आयोग में भेजा गया जहां उन्होंने मार्च 2016 में इन विधायकों को नोटिस भेजकर इस मामले की सुनवाई शुरू की.
इसके बाद दिल्ली सरकार द्वारा संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से निकालने के लिए दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन एक्ट 1997 में संशोधन करने का प्रयास किया लेकिन इसे राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली.
इसके बाद से इन विधायकों की सदस्यता पर सवाल खड़े हो गए. सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाबों से संतुष्ट नहीं है. ऐसे में राष्टपति के पास इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है.
इन 21 विधायकों में से एक जरनैल सिंह (विधायक राजौरी गार्डन) विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं.
वो 20 विधायक और उनके विधानसभा क्षेत्र, जिन्हें अयोग्य घोषित किया गया है:
1. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
2. सोम दत्त, सदर बाजार
3. अनिल कुमार बाजपेयी, गांधी नगर
4. शरद कुमार, नरेला
5. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
6. विजेंदर गर्ग विजय, राजिंदर नगर
7. शिव चरण गोयल, मोती नगर
8. जरनैल सिंह, तिलक नगर
9. मनोज कुमार, कोंडली
10. नितिन त्यागी, लक्ष्मीनगर
11. अलका लाम्बा, चांदनी चौक
12. सरिता सिंह, रोहतास नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. नरेश यादव, मेहरौली
15. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
16. सुखवीर सिंह, मुंडका
17. कैलाश गहलोत, नज़फ़गढ़
18. अवतार सिंह, कालकाजी
19. आदर्श शास्त्री, द्वारका
20. राजेश ऋषि, जनकपुरी
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के आधार पर)