कॉलेज कैंपसों में महिलाओं के लिए बनाए जा रहे ऊटपटांग नियमों की फ़ेहरिस्त दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है. नया फरमान कोल्लम (केरल) के एक नर्सिंग कॉलेज से निकला है.
केरल के एक नर्सिंग कॉलेज की छात्राएं पिछले शुक्रवार से कॉलेज की प्रिंसिपल के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही हैं. विद्यार्थियों का यह ग़ुस्सा कॉलेज प्रशासन द्वारा थोपे जा रहे बेतुके नियमों के ख़िलाफ़ है.
वेबसाइट न्यूज़मिनट के अनुसार कोल्लम ज़िले के उपासना कॉलेज आॅफ नर्सिंग की छात्राएं तीन मार्च से कॉलेज प्रबंधन और प्रिंसिपल द्वारा लगाए जा रहे बेसिर-पैर के नियमों और लगातार लिए जाने वाले फाइन के विरोध में प्रदर्शन कर रही हैं. इन छात्राओं ने बताया कि इस तरह के बेतुके नियम काफ़ी समय से बनाए जा रहे थे पर इस बार हद पार हो गई.
चौथे साल की एक छात्रा वीणा वीएस ने बताया, ‘लड़कियों को हॉस्टल में अपना कमरा बंद करने की मनाही है, भले ही वे कपड़े बदल रही हों, वे दरवाज़ा बंद नहीं कर सकतीं. प्रिंसिपल का कहना है कि हम बंद कमरे में मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं या समलैंगिक संबंध बनाते हैं. हमें कहा गया है कि दरवाज़े के पीछे कुर्सी लगा लो पर उसे बंद नहीं कर सकते.’
यह कॉलेज मशहूर कारोबारी रवि पिल्लई की उपासना चैरिटेबल सोसाइटी द्वारा चलाया जाता है.
ग़ौरतलब है कि कॉलेज कैंपस में मोबाइल फोन का उपयोग वर्जित है. विद्यार्थियों को एक कॉमन फोन मिला हुआ है, जिस पर वे हफ़्ते के कुछ चुनिंदा दिनों में कुछ मिनट बात कर सकते हैं. फोन के साथ कॉलेज प्रशासन विद्यार्थियों को इंटरनेट के ‘ग़लत असर’ से भी छिपा के रखना चाहते हैं. एक विद्यार्थी ने बताया कि लाइब्रेरी में भी हम इंटरनेट प्रयोग नहीं कर सकते क्योंकि कॉलेज वालों का सोचना है कि हम इस पर पॉर्न देखते हैं.
विरोध प्रदर्शन कर रही ये छात्राएं प्रिंसिपल के इस्तीफ़े की मांग कर रही हैं. प्रिंसिपल एमपी जेसीकुट्टी पर विद्यार्थियों पर जातिगत और भद्दी टिप्पणियां करने, उनकी निजता का हनन करने और ग़ैर-ज़रूरी फाइन लगाने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं.
Kollam (Kerala): Students of Upasana College of Nursing protest against college authorities alleging mistreatment & misogynistic statements pic.twitter.com/YCqx1c6r5B
— ANI (@ANI) March 7, 2017
प्रिंसिपल के ख़िलाफ़ शिकायतों का सिलसिला यहीं नहीं रुकता. कई छात्रों ने बताया कि प्रिंसिपल विद्यार्थियों की पर्सनल डायरी पूरी क्लास के सामने ज़ोर-ज़ोर से पढ़कर सुनाती हैं. छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों से भी बदतमीज़ी से बात करती हैं.
मिधुन मधु सेकंड ईयर में पढ़ती हैं. वे बताती हैं, ‘मैंने उन्हें (प्रिंसिपल को) अपने एक सीनियर पर उनकी जाति को लेकर टिप्पणी करते देखा है. जब इस बारे में शिकायत की गई तब उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति से आने वाले छात्रों को कुछ नहीं कहा जाएगा पर सामान्य जाति के विद्यार्थी इसके नतीजे भुगतेंगे. साथ ही वे हमें विरोध करने से भी रोकती हैं.’
छात्रों के इस विरोध के शुरू होने के बाद से जो छात्र इसका समर्थन कर रहे हैं, उन्हें हॉस्टल छोड़ने के लिए कह दिया गया है. एक अभिभावक द्वारा रिकॉर्ड की गई एक कॉल में एक स्टाफ मेंबर द्वारा उनसे अपनी बेटी को कॉलेज से ले जाने की बात सुनी जा सकती है. स्टाफ मेंबर का कहना है कि विरोध प्रदर्शन करने वालों के लिए हॉस्टल में कोई जगह नहीं है.
कॉलेज में छात्रों के कोई राजनीतिक समूह भी नहीं हैं. छात्र केवल ‘नर्सिंग स्टूडेंट एसोसिएशन’ में शामिल हो सकते हैं. हालांकि यह एसोसिएशन भी धांधली के आरोपों से अछूता नहीं है. चौथे साल में पढ़ रही जी सरन्या बताती हैं, ‘हमें नर्सिंग स्टूडेंट एसोसिएशन के लिए एक निश्चित राशि जमा करवानी होती है पर हम नहीं जानते वो पैसा कहां जाता है. प्रिंसिपल किसी भी कारण के लिए फाइन वसूलती हैं, वजह कोई भी हो सकती है, जैसे छुट्टी लेना, बाल या नाखून बढ़ाना. हर बार किसी नई वजह के लिए फाइन लिया जाता है. यह पूरा विरोध-प्रदर्शन प्रिंसिपल के ख़िलाफ़ है. कॉलेज प्रबंधन को उनकी जगह किसी और को लाना ही होगा.’
जबसे यह विरोध शुरू हुआ है तबसे कॉलेज बंद है. विद्यार्थियों और प्रबंधन के बीच हुई बातचीत में भी इस समस्या का कोई हल नहीं निकाला जा सका. एक छात्र ट्रस्ट के मालिक का नाम लिए बगैर कहती हैं, ‘हमें यह भी लगता है कि हमारे इस विरोध पर उतना ध्यान दिया भी जाएगा या नहीं, सब जानते हैं कि यह किससे जुड़ा हुआ है.’
वहीं न्यूज़मिनट द्वारा कई बार संपर्क करने के बावजूद कॉलेज प्रबंधन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया.