जयपुर साहित्य महोत्सव में फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने कहा कि लोग पहले भी आहत होते थे लेकिन अब आहत होने वालों को संरक्षण दिया जा रहा है.
जयपुर: जाने-माने फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने कहा कि लोगों को फिल्म पद्मावत के ख़िलाफ़ हिंसक प्रदर्शन करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि इसे सेंसर बोर्ड और उच्चतम न्यायालय ने हरी झंडी दी है.
जयपुर साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को एक सत्र को संबोधित करते हुए 52 वर्षीय निर्देशक और संगीतकार भारद्वाज ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों के साथ सरकार की मिलीभगत है.
उन्होंने कहा, ‘अगर उच्चतम न्यायालय और सेंसर बोर्ड ने हरी झंडी दी है तो क्या समस्या है. अगर वे कह रहे हैं कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है तो हमें सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर ध्यान नहीं देना चाहिए.’
भारद्वाज ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार प्रदर्शनों पर नियंत्रण करने में अक्षम है तो उसे इस्तीफ़ा दे देना चाहिये.
फिल्म पद्मावत 13वीं सदी में मेवाड़ के महाराजा रतन सिंह और उनकी सेना तथा दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है. इस फिल्म के सेट पर दो बार जयपुर और कोल्हापुर में तोड़फोड़ की गई और इसके निदेशक संजय लीला भंसाली के साथ करणी सेना के लोगों ने हाथापाई भी की थी.
फिल्म में दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं.
लगातार विवादों में रहने की वजह से पिछले साल दिसंबर में रिलीज़ होने जा रही इस फिल्म की रिलीज़ को टाल दिया गया था.
राजस्थान की राजपूत करणी सेना और तमाम हिंदूवादी के साथ कुछ राजपूत समुदाय ने फिल्म पर आरोप लगाया है कि फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है. लोग आरोप लगा रहे है कि फिल्म में अलाउद्दीन ख़िलजी और रानी पद्मावती के बीच ड्रीम सीक्वेंस फिल्माया गया है. हालांकि फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है.
फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने बीते 18 जनवरी को हटा दिया था. हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान सरकार ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके खिलाफ फिल्म के निर्माता वायाकॉम 18 ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी लगाई थी.
न्यायालय ने अपने 18 जनवरी के आदेश के ज़रिये पूरे देश में 25 जनवरी को फिल्म रिलीज करने का रास्ता साफ़ कर दिया था. अपने आदेश में उसने गुजरात और राजस्थान में फिल्म के प्रदर्शन पर लगी रोक को स्थगित कर दिया था.
राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में फिल्म पर राज्य सरकारों द्वारा प्रतिबंध लगाने पर उन्होंने कहा, ‘लोग पहले भी आहत होते थे. अब आहत होने वालों को संरक्षण दिया जा रहा है. उन्हें क़ानून लागू करने वाली एजेंसियां पत्थर फेंकने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. जब निर्देशक ने बताए गए बदलावों को कर दिया है तो किसी को भी हिंसक प्रदर्शन में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘भारतीय फिल्मों को आक्रामक तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. फिल्म उद्योग बेहद दुखी है. डरावनी बात यह है कि प्रदर्शनकारी बच निकल रहे हैं.’
भारद्वाज ने कहा, ‘आज बंदूक आपके सिर पर है. यह ग़लत दिशा में जा रहा है. अगर आपको अपनी सोच पर अंकुश लगाना है तो कैसे इसे लोकतांत्रिक समाज कहा जा सकता है. पहले आप प्रधानमंत्री और नीतियों की आलोचना कर सकते थे. अब आपको दो बार सोचना होगा.’
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘कलाकारों के लिए यह बेहतरीन समय है. जब कोई आपको दबाता है तो इसके ख़िलाफ़ आप प्रतिक्रिया कर सकते हैं. जब वे हमारा गला दबाते हैं तो हम चीखेंगे ही और यह समय चीखने का है.’
उन्होंने कहा, ‘जब आपको दबाया जाता है, दमित किया जा रहा है या राज्य द्वारा चुप कराया जा रहा है तो आपके पास प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए एक शत्रु है. अन्यथा शत्रु बेकार है. इससे पहले, अगर आप कुछ कहते थे तो उस पर ध्यान नहीं दिया जाता था. अब वे आपको सुन रहे हैं. अगर आप मौन हैं तो भी आपकी खामोशी उन्हें बेंध रही है.’
उन्होंने कहा, ‘यह जनता पर निर्भर है कि वह किसका समर्थन करना चाहती है. वह कलाकारों के साथ खड़ा होना चाहती है या दमन करने वालों के साथ.’
पद्मावत विवाद पर फिल्म बिरादरी के रुख़ के बारे में भारद्वाज ने कहा कि समुदाय एकजुट है, लेकिन उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह शक्तिविहीन है और उसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.
बतौर संगीतकार बॉलीवुड में कदम रखने वाले विशाल भारद्वाज अब तक चार श्रेणियों में सात राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके हैं. विशाल ने मकड़ी, मक़बूल, द ब्ल्यू अम्ब्रेला, ओंकारा, कमीने, सात ख़ून माफ़, मटरू की बिजली का मंडोला, हैदर और रंगून आदि फिल्मों का निर्देशन किया है.
आलोचकों द्वारा सराही गईं उनकी फिल्में- मक़बूल, ओंकारा और हैदर विलियम शेक्सपीयर के नाटकों- मैक्बेथ, ओथेलो और हैमलेट पर आधारित हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)